लापता विमान AN-32 पर हुआ बड़ा खुलासा, 14 साल पुराने SOS सिग्नल यूनिट से चलाया जा रहा था एयरक्राफ्ट

भारतीय वायु सेना के रूस निर्मित एएन-32 परिवहन विमान के लापता होने के बाद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.

लापता विमान AN-32 पर हुआ बड़ा खुलासा, 14 साल पुराने SOS सिग्नल यूनिट से चलाया जा रहा था एयरक्राफ्ट

लापता विमान AN-32 पर बड़ा खुलासा

खास बातें

  • पश्चिमी सियांग के टाटो गांव के आसपास अंतिम बार देखा गया था
  • नौसेना के 'पी 8 आई' टोही विमान ने अरुणाचल में तलाश शुरू की
  • 14 साल पुराने SOS सिग्नल यूनिट से चलाया जा रहा था एयरक्राफ्ट
नई दिल्ली:

भारतीय वायु सेना के रूस निर्मित एएन-32(AN-32) परिवहन विमान के लापता होने के बाद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. मिली जानकारी के मुताबिक एएन-32 में जो एसओएस सिग्नल यूनिट थी, वह 14 साल पुरानी थी. एएन-32 ने ग्राउंड कंट्रोलर्स के साथ सोमवार दोपहर 1 बजे से कम्यूनिकेट करना बंद कर दिया था. सोमवार दोपहर असम के जोरहाट से उड़ान भरने के करीब 33 मिनट बाद यह विमान लापता हो गया था और इस विमान में 13 लोग सवार थे. इस विमान में सिंगल इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर(ईएलटी) था. इसे एसएआरबीई-8 कहते हैं जो बिट्रिश फर्म सिग्नेचर इंडस्ट्री द्वारा मैन्यूफैक्चर किया गया था. एसएआरबीई-8 को एएन-32 के कार्गो कंपार्टमेंट में इंस्टाल किया गया था. जिससे यह कठिन परिस्थितियों में सिग्नल भेज सके.

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डिस्ट्रेस सिग्नल को एक सैटेलाइट द्वारा पकड़ा जाता था जो कॉसपास सारसट(इंटरनेशनल सैटेलाइट एडेड सर्च एण्ड रेस्क्यू फैसिलिटी) से संबंधित था. इसके अलावा डिस्ट्रेस सिग्नल को खोज पर गए विमान द्वारा भी सुना गया था जो 243 एमएचजेड पर ट्यून किया गया था जोकि इंटरनेशनल एयर डिस्ट्रेस फ्रीक्वेंसी है.   

सिग्नेचर इंडस्ट्रीज के संदर्भ में 2004 की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, 'SARBE 5, 6,7 और 8 मॉडल के ऑर्डर को केवल 5 जनवरी तक ही स्वीकार किया जाएगा. इसकी डिलीवरी 2005 में ही प्लान की गई थी. बैटरी, स्पेयर, सर्विस और सपोर्ट इस तारीख के बाद भी मौजूद रहेंगे.' इस विज्ञप्ति में कहा गया, 'इस तरह की सामग्री को प्रयोग करने वाले ऑर्गनाइजेशन को यह नोट करना चाहिए कि पर्सनल लोकेटर बीकोन्स के लिए सैटेलाइट मॉनीटरिंग फैसिलिटीज में बदलाव लाने का मतलब है कि पुराने प्रोडक्ट्स 2009 तक पुराने पड़ जाएंगे.' SARBE 8 इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर को SARBE G2R-ELT यूनिट द्वारा रिप्लेस किया गया था. जिसे ओरोलिया द्वारा बेचा गया है. यह एक यूएस और फ्रांस आधारित कंपनी है जो 2006 में बनी थी.  

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भारतीय वायु सेना जोकि AN-32 की लॉन्च कस्टमर थी, ने 1986 में इसकी शुरुआत की थी. वर्तमान में, भारतीय वायुसेना 105 विमानों को संचालित करती है जो ऊंचे क्षेत्रों में भारतीय सैनिकों को लैस करने और स्टॉक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसमें चीनी सीमा भी शामिल है. 2009 में भारत ने 400 मिलियन का कॉन्ट्रैक्ट यूक्रेन के साथ किया था जिसमें एएन-32 की ऑपरेशन लाइफ को अपग्रेड और एक्सटेंड करने की बात कही गई थी. अपग्रेड किया गया एएन-32 आरई एयरक्राफ्ट 46 में 2 कॉन्टेमपररी इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर्स शामिल किए गए हैं. लेकिन एएन-32 को अब तक अपग्रेड नहीं किया गया था. हालांकि अभी तक विमान के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है. इस खोज में इंडियन नेवी  भी अपने पी-8 मारीटाइम एयरक्राफ्ट के साथ लग गया है.

VIDEO : लापता विमान को खोजने के लिए अभियान जारी

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