सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:
आम्रपाली मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आम्रपाली द्वारा हजारों लोगों को अब तक फ्लैट मुहैया न कराया जाना गंभीर धोखाधड़ी है. अगर इस मामले में 100 लोगों की भूमिका होगी तो वे सभी अंदर जाएंगे. कंपनी के खातों से लेकर सभी निदेशकों के खातों की फोरेंसिक ऑडिट कराया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने ऑडिटर के नाम सुझाने के लिए कहा है.
कोर्ट ने कहा कि हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इस पूरे मामले में किन लोगों की भूमिका है. जिनकी भी भूमिका सामने आएगी उन पर मुकदमा चलेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को संकटग्रस्त आम्रपाली समूह के 46575 फ्लैटों का निर्माण 8500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पूरा करने के लिए सरकारी संस्था एनबीसीसी को कोष का आश्वासन दिया. शीर्ष अदालत ने आम्रपाली द्वारा गबन के आकलन के लिए उसके लेखे जोखे की फारेंसिक आडिट का समर्थन किया.
एनबीसीसी ने कहा है कि आम्रपाली के बचे तमाम प्रोजेक्टों को पूरा करने में करीब 8500 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. आम्रपाली की संपत्तियों को बेचने के बाद भी 2038 करोड़ रुपये कम पड़ेंगे. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) बेचने से करीब 2100 करोड़ रुपये आ सकते हैं. ऐसा करने से प्रोजेक्ट पूरे हो सकते हैं.
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इस पर पीठ ने कहा कि कि फ्लैट खरीदारों से पैसे तो नहीं लिए जाने हैं. ऐसे में प्रश्न यह है कि प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए रकम की व्यवस्था कैसे होगी. फिलहाल तो हमें यह देखना है कि प्रोजेक्टों को शुरू करने के लिए पैसे कहां से आएंगे. छह महीने काम होने के बाद फ्लैट बेचकर पैसे आ सकते हैं. पीठ ने एनबीसीसी से पूछा कि क्या आपके पास काम शुरू करने के पैसे हैं. इस पर एनबीसीसी ने कहा कि वह प्रोजेक्टों को शुरू करने में रकम लगाने की स्थिति में नहीं है.
इस पर पीठ ने एनबीसीसी से कहा कि आप आम्रपाली की संपत्तियों को बेचकर रकम का इंतजाम कर सकते हैं. लेकिन एनबीसीसी ने इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि वह संपत्तियों को बेचने का काम नहीं कर सकता. इसके बाद पीठ ने आम्रपाली से पूछा कि प्रोजेक्टों को पूरा करने केलिए रकम की व्यवस्था कैसे होगी. साथ ही पीठ ने एक बार फिर से आम्रपाली से सवाल किया कि आखिर फ्लैट खरीदारों से लिए गए 2700 करोड़ रुपये कहां गए?
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सुनवाई के दौरान फ्लैट खरीदारों की ओर से पेश वकील एमएल लाहौटी ने पीठ से कहा कि बैंक के फोरेंसिक ऑडिट में कहा गया है कि करीब 2100 करोड़ रुपये किसी अन्य कंपनी को ट्रांसफर किए गए. इस पर पीठ ने आम्रपाली से पूछा कि आपकी कौन-कौन सी ऐसी संपत्तियां हैं जिन्हें बेचकर रकम का जुगाड़ हो सकता है. इस पर आम्रपाली ने करीब 1800 करोड़ रुपये की संपत्तियों की सूची दी. इनमें तीन व्यावसायिक संपत्तियां भी हैं. वकील लाहौटी ने कहा कि हाईकोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाई जाए जो आम्रपाली की सपंत्तियों की पहचान करेगी. जिसके बाद संपत्तियों की नीलामी होगी.
VIDEO : आम्रपाली के खरीददारों को बड़ी राहत
वहीं करीब 2700 करोड़ रुपये को डायवर्ट करने के आरोप पर पीठ ने कहा कि पैसे कहां से आए और किन व्यक्तियों के पास गए इसका पता फोरेंसिक ऑडिट से लगाया जाएगा. पीठ ने कहा कंपनी के निदेशकों के खातों और उनके परिवार के सदस्यों का फोरेंसिक ऑडिट होगा. पीठ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को गुरुवार को उन लोगों का नाम सुझाने के लिए कहा है जिनसे फोरेंसिक ऑडिट कराया जा सकता है. अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.
कोर्ट ने कहा कि हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इस पूरे मामले में किन लोगों की भूमिका है. जिनकी भी भूमिका सामने आएगी उन पर मुकदमा चलेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को संकटग्रस्त आम्रपाली समूह के 46575 फ्लैटों का निर्माण 8500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पूरा करने के लिए सरकारी संस्था एनबीसीसी को कोष का आश्वासन दिया. शीर्ष अदालत ने आम्रपाली द्वारा गबन के आकलन के लिए उसके लेखे जोखे की फारेंसिक आडिट का समर्थन किया.
एनबीसीसी ने कहा है कि आम्रपाली के बचे तमाम प्रोजेक्टों को पूरा करने में करीब 8500 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. आम्रपाली की संपत्तियों को बेचने के बाद भी 2038 करोड़ रुपये कम पड़ेंगे. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) बेचने से करीब 2100 करोड़ रुपये आ सकते हैं. ऐसा करने से प्रोजेक्ट पूरे हो सकते हैं.
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इस पर पीठ ने कहा कि कि फ्लैट खरीदारों से पैसे तो नहीं लिए जाने हैं. ऐसे में प्रश्न यह है कि प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए रकम की व्यवस्था कैसे होगी. फिलहाल तो हमें यह देखना है कि प्रोजेक्टों को शुरू करने के लिए पैसे कहां से आएंगे. छह महीने काम होने के बाद फ्लैट बेचकर पैसे आ सकते हैं. पीठ ने एनबीसीसी से पूछा कि क्या आपके पास काम शुरू करने के पैसे हैं. इस पर एनबीसीसी ने कहा कि वह प्रोजेक्टों को शुरू करने में रकम लगाने की स्थिति में नहीं है.
इस पर पीठ ने एनबीसीसी से कहा कि आप आम्रपाली की संपत्तियों को बेचकर रकम का इंतजाम कर सकते हैं. लेकिन एनबीसीसी ने इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि वह संपत्तियों को बेचने का काम नहीं कर सकता. इसके बाद पीठ ने आम्रपाली से पूछा कि प्रोजेक्टों को पूरा करने केलिए रकम की व्यवस्था कैसे होगी. साथ ही पीठ ने एक बार फिर से आम्रपाली से सवाल किया कि आखिर फ्लैट खरीदारों से लिए गए 2700 करोड़ रुपये कहां गए?
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सुनवाई के दौरान फ्लैट खरीदारों की ओर से पेश वकील एमएल लाहौटी ने पीठ से कहा कि बैंक के फोरेंसिक ऑडिट में कहा गया है कि करीब 2100 करोड़ रुपये किसी अन्य कंपनी को ट्रांसफर किए गए. इस पर पीठ ने आम्रपाली से पूछा कि आपकी कौन-कौन सी ऐसी संपत्तियां हैं जिन्हें बेचकर रकम का जुगाड़ हो सकता है. इस पर आम्रपाली ने करीब 1800 करोड़ रुपये की संपत्तियों की सूची दी. इनमें तीन व्यावसायिक संपत्तियां भी हैं. वकील लाहौटी ने कहा कि हाईकोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाई जाए जो आम्रपाली की सपंत्तियों की पहचान करेगी. जिसके बाद संपत्तियों की नीलामी होगी.
VIDEO : आम्रपाली के खरीददारों को बड़ी राहत
वहीं करीब 2700 करोड़ रुपये को डायवर्ट करने के आरोप पर पीठ ने कहा कि पैसे कहां से आए और किन व्यक्तियों के पास गए इसका पता फोरेंसिक ऑडिट से लगाया जाएगा. पीठ ने कहा कंपनी के निदेशकों के खातों और उनके परिवार के सदस्यों का फोरेंसिक ऑडिट होगा. पीठ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को गुरुवार को उन लोगों का नाम सुझाने के लिए कहा है जिनसे फोरेंसिक ऑडिट कराया जा सकता है. अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.
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