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This Article is From Oct 22, 2021

Amit Shah Birthday: ड्राइंग रूम में लगाई है चाणक्य की तस्वीर, 3.5 दशक से कर रहे BJP का चुनाव प्रबंधन, गुजरात में ऐसे तोड़ी थी कांग्रेस की कमर

Amit Shah: 1990 के दौर में जब गुजरात में राजनीतिक उथल-पुथल मची थी और राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस के सामने बीजेपी एकमात्र बड़ी विपक्षी पार्टी थी, तब अमित शाह ने गुजरात बीजेपी के तत्कालीन संगठन सचिव नरेंद्र मोदी के निर्देशन में पार्टी के प्राथमिक सदस्यों का न केवल आंकड़ा जुटाया था बल्कि उसका दस्तावेजीकरण भी किया था.

Amit Shah Birthday: ड्राइंग रूम में लगाई है चाणक्य की तस्वीर, 3.5 दशक से कर रहे BJP का चुनाव प्रबंधन, गुजरात में ऐसे तोड़ी थी कांग्रेस की कमर
अमित शाह की पॉलिटिकल एंट्री 19 साल के तेजतर्रार नवयुवक के तौर पर 1983 में ABVP में हुई थी.
नई दिल्ली:

केंद्रीय गृह मंत्री (Union Home Minister) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता अमित शाह (Amit Shah) को मौजूदा राजनीति का चाणक्य और चुनाव जिताऊ राजनेता कहा जाता है. इसके पीछे उनका चुनावी रणकौशल, आंकड़ों की बाजीगरी, माइक्रो लेवल पर प्लानिंग, नए टैलेंट को अपने साथ करने की शक्ति, धुर राजनीतिक विरोधियों को भी तोड़कर आत्मसात कर लेने की कला और हर हाल में पार्टी के विस्तार की अद्भुत क्षमता है. 

नरेंद्र मोदी के साथ निभाई शुरुआती भूमिका:
1990 के दौर में जब गुजरात में राजनीतिक उथल-पुथल मची थी और राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस के सामने बीजेपी एकमात्र बड़ी विपक्षी पार्टी थी, तब अमित शाह ने गुजरात बीजेपी के तत्कालीन संगठन सचिव नरेंद्र मोदी के निर्देशन में पार्टी के प्राथमिक सदस्यों का न केवल आंकड़ा जुटाया था बल्कि उसका दस्तावेजीकरण भी किया था. यह बीजेपी के लिए एक चुनावी ताकत बनकर उभरा था. इससे बीजेपी गुजरात के ग्रामीण स्तर तक फैल गई और 1995 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी सत्ता में आ गई. इसके बाद से बीजेपी ने गुजरात में फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. 

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हालांकि, 1995 में बनी बीजेपी की सरकार 1997 में गिर गई लेकिन बीजेपी कार्यकर्ताओं में जोश जाग चुका था. इस दौरान अमित शाह ने गुजरात प्रदेश वित्त निगम के अध्यक्ष के तौर पर दूसरा बड़ा करिश्मा कर डाला था. उन्होंने निगम को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड करवा डाला. इसके बाद उन्होंने गुजरात में सहकारी आंदोलन पर कांग्रेस की पकड़ कुंद कर डाली और आंकड़ों की कलाबाजी से सहकारी बैंकों, डेयरियों और कृषि मंडियों तक पैठ बना वहां के चुनाव जीतने शुरू कर दिए.

मुंबई में गुजराती परिवार में हुआ जन्म:
22 अक्टूबर, 1964 को मुंबई में जन्मे अमित शाह की पॉलिटिकल एंट्री 19 साल के तेज तर्रार नवयुवक के तौर पर 1983 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में हुई. करीब ढाई साल बाद ही उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर लिया और अगले ही साल बीजेपी युवा मोर्चा के सदस्य बन गए.  पार्टी ने उन्हें सबसे पहला प्रोजेक्ट अहमदाबाद नगर निगम चुनाव में नारणपुरा वार्ड की जिम्मेदारी दी, जहां उन्होंने जीत दिलाई. इसके बाद वह युवा मोर्चा के कोषाध्यक्ष फिर राज्य सचिव बनाए गए.

अटल-आडवाणी का कर चुके चुनाव प्रबंधन:
1989 के लोकसभा चुनावों में उन्हें गांधीनगर सीट पर लालकृष्ण आडवाणी के चुनाव प्रबंधन का काम सौंपा गया. इसके बाद लगातार 2009 तक अमित शाह आडवाणी के लिए गांधीनगर में चुनाव प्रबंधन करते रहे. जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गांधीनगर से चुनाव लड़ा था, तब भी अमित शाह ने ही चुनाव प्रबंधन का काम संभाला था.

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शुद्ध शाकाहारी हैं शाह:
अपने ड्राइंग रूम में चाणक्य और सावरकर की तस्वीर लगाने वाले अमित शाह विशुद्ध शाकाहारी हैं. उन्होंने पहला चुनाव 1997 में लड़ा. उन्होंने सरखेज विधान सभी सीट पर हुए उपचुनाव में 25,000 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी. इसके अगले ही साल यानी 1998 के चुनावों में उन्होंने इसी सीट से 1.30 लाख वोटों को अंतर से बड़ी जीत दर्ज की थी. इसके बाद उन्होंने इसी सीट से 2002 और 2007 का भी चुनाव जीता.साल 2012 में उन्होंने नरनपुरा से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.

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केंद्रीय राजनीति में चुनाव जिताऊ भूमिका:
साल 2013 में उन्होंने केंद्रीय राजनीति में कदम रखा. उन्हें पार्टी महामंत्री बनाया गया. उन्होंने देशभर में व्यापक दौरे किए और 2014 के चुनावों की व्यापक रणनीति बनाई. शाह ने सभी राज्यों में छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन किया. इसके तहत उन्होंने खासतौर पर पिछड़ी, अति पिछड़ी जाति के कई नेताओं के बीजेपी के साथ लाया और पार्टी को ब्राह्मणों और बनियों की पार्टी की इमेज से बाहर निकालने की कोशिश की.

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इसका असर 2014 के चुनावों में नरेंद्र मोदी की प्रतिभा के प्रदर्शन के तालमेल के साथ दिखा और पार्टी को बड़ी जीत हासिल हुई. 2019 के आम चुनावों से पहले उन्होंने न केवल बीजेपी को 11 करोड़ कार्यकर्ताओं की पार्टी बनाया बल्कि मोदी सरकार की योजनाओं से लाभान्वित लोगों का डेटा जुटाकर उसे वोट बैंक में तब्दील करने में बड़ी सार्थक भूमिका निभाई.
 

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