भारतीय सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
16 दिसंबर गैंगरेप मामले में अमिक्स क्यूरी बनाए गए वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन ने ट्रायल कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट पर ही सवाल उठा दिए हैं. साथ ही कहा है कि ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के चार दोषियों को फांसी की सजा देने के फैसले को दरकिनार किया जाना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट को फैसले का गहराई से परीक्षण करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट में लिखित रूप में अपना पक्ष रखते हुए राजू रामचंद्रन ने कहा है कि निचली अदालत और हाईकोर्ट का निर्णय सजा देने के मूल कसौटी के विपरीत है.
उनका कहना है कि इस मामले में आपराधिक दंड संहिता के प्रावधानों का सही तरह से पालन नहीं किया गया. साथ ही फांसी की सजा देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो आधार बताए हैं, ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने उसे नजरअंदाज कर दिया. हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट ने अपनी कसौटियों पर इसे परखा.
रामचंद्रन का कहना है कि फांसी की सजा देने के प्रश्न पर आरोपियों को किसी तरह का नोटिस जारी नहीं किया गया. आरोपियों को इसके लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया. किसी भी आरोपी को व्यक्तिगत रूप से नहीं सुना गया. फांसी की सजा देने को लेकर हर आरोपी के लिए अलग से कोई आधार नहीं दिया गया. रामचंद्रन ने इसके अलावा ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले में खामियां गिनाई हैं.
सुप्रीम कोर्ट में लिखित रूप में अपना पक्ष रखते हुए राजू रामचंद्रन ने कहा है कि निचली अदालत और हाईकोर्ट का निर्णय सजा देने के मूल कसौटी के विपरीत है.
उनका कहना है कि इस मामले में आपराधिक दंड संहिता के प्रावधानों का सही तरह से पालन नहीं किया गया. साथ ही फांसी की सजा देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो आधार बताए हैं, ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने उसे नजरअंदाज कर दिया. हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट ने अपनी कसौटियों पर इसे परखा.
रामचंद्रन का कहना है कि फांसी की सजा देने के प्रश्न पर आरोपियों को किसी तरह का नोटिस जारी नहीं किया गया. आरोपियों को इसके लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया. किसी भी आरोपी को व्यक्तिगत रूप से नहीं सुना गया. फांसी की सजा देने को लेकर हर आरोपी के लिए अलग से कोई आधार नहीं दिया गया. रामचंद्रन ने इसके अलावा ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले में खामियां गिनाई हैं.
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