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This Article is From Aug 31, 2021

काबुल से उड़ा आखिरी US विमान : सबसे लंबे अमेरिकी युद्ध का अंत - जानें, अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ कब क्या हुआ

US Afghanistan Mission : अमेरिका ने आखिरकार अफगानिस्तान में आतंक के खिलाफ 20 साल लंबे अभियान का अंत कर दिया है. 9/11 यानी 11 सितंबर 2001 को दुनिया को सबसे बड़ा आतंकी हमला झेलने के करीब एक महीने बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में आतंकवाद को पनाह देने वाले तालिबान के खिलाफ युद्ध छेड़ा था.

काबुल से उड़ा आखिरी US विमान : सबसे लंबे अमेरिकी युद्ध का अंत - जानें, अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ कब क्या हुआ
US Military ने तालिबान के कब्जे के बीच 20 साल बाद अफगानिस्तान (Afghanistan) को पूरी तरह छोड़ा
नई दिल्ली:

अमेरिका ने आखिरकार अफगानिस्तान में आतंक के खिलाफ 20 साल लंबे अभियान का अंत कर दिया है. 9/11 यानी 11 सितंबर 2001 को दुनिया को सबसे बड़ा आतंकी हमला झेलने के करीब एक महीने बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में आतंकवाद को पनाह देने वाले तालिबान के खिलाफ युद्ध छेड़ा था. दरअसल, दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के वजूद को चुनौती देने वाले इस हमले में 3 हजार से ज्यादा लोगों की जानें गई थीं. अमेरिका ने इस हमले के मास्टरमाइंड औऱ अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन (Al Qaeda Osama Bin laden) को सौंपने का हुक्म तालिबान को दिया था.  लेकिन सत्ता के गुरूर में तालिबान ने अमेरिका को ठेंगा दिखा दिया. जवाब में अमेरिका ने 7 अक्टूबर 2001 को अफगानिस्तान में धावा बोल दिया. अमेरिकी अगुवाई में नाटो सेनाओं ने ऑपरेशन एंड्योरिंग फ्रीडम के तहत तालिबान के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया.  

अमेरिका ने अफगानिस्तान में धर्मनिरपेक्ष, आधुनिक विचारधारा और पश्चिमी देशों के हितों के अनुकूल सरकार का बीज बोया लेकिन दो दशक के बाद भी काबुल की ओर बढ़ती तालिबान की आंधी में इस पेड़ के उखड़ने में देर न लगी. यह अमेरिका या उसकी सेना का किसी भी देश के खिलाफ सबसे लंबा और सबसे खर्चीला संघर्ष था. इससे पहले वियतनाम युद्ध महज 5 माह चला था.

2001 वर्ल्ड ट्रेंड सेंटर पर हमला
अलकायदा ने 11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर अपहृत विमानों के जरिये हवाई हमला बोला. सुबह 8.30 बजे के वक्त 45 मिनट के भीतर ही 110 मंजिला वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की दो इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढेर होते देख दुनिया सन्न रह गई. तीसरे विमान से अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन को निशाना बनाया गया. चौथे विमान में सवार आतंकियों का मकसद अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस पर हमला बोलना था, लेकिन प्लेन के अंदर आतंकियों और यात्रियों में हाथापाई के बीच वो विमान एक मैदान में जाकर गिरा.इमारतों का मलबा औऱ जहरीली गैसों के शिकार लोग दशकों तक बीमारी से जूझते रहे. अमेरिकी सरकार ने 300 अरब रुपये से ज्यादा खर्च किए. दो हजार अरब रुपये से ज्यादा का झटका न्यूयॉर्क शहर को लगा. 

7 अक्टूबर 2001 ः अमेरिका हमला शुरू

अमेरिका ने ऑपरेशन इंड्योरिंग फ्रीडम के तहत 7 अक्टूबर को अफगानिस्तान में हवाई हमला शुरू किया. नवंबर-दिसंबर में 1300 अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान पहुंचे. तालिबान के ज्यादातर बड़े नेता पाकिस्तान भाग गए. अफगानिस्तान (Afghanistan) में नाटो के सैन्य अभियान में ब्रिटेन, फ्रांस समेत कई देश हिस्सा थे. वर्ष 2001 से 2009 के बीच काबुल, कंधाार, हेरात समेत सभी बड़े शहरों को मिलाकर अमेरिकी सैनिकों की तादाद 67 हजार तक पहुंच गई.

2009- अमेरिकी सैनिक बढ़ाने का ऐलान
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा (US President Barack Obama ) ने 2009 में ऐलान किया कि अफगानिस्तान में आतंकी संगठनों को खत्म करने के लिए सैनिकों की संख्या 1 लाख तक बढ़ाई जाएगी. 

2011- ओसामा बिन लादेन ढेर
अफगानिस्तान में सैन्य अभियान के 10 साल बाद अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान के ऐबटाबाद शहर में खुफिया मिशन के तहत खोज निकाला. 2 मई 2011 को अमेरिकी नेवी सील कमांडो ऑपरेशन नेपच्यून स्पीयर(Operation Neptune Spear)  के तहत ऐबटाबाद में उस इमारत में घुसे और ओसामा बिन लादेन (Osama Bin Laden killed) का खात्मा कर दिया. कमांडो उसकी लाश को भी साथ ले गए. 

2013 तालिबान के बड़े नेता ढेर
अमेरिका के ड्रोन हमले (US drone strikes.) में हकीमुल्ला मेहसूद  तालिबान के तीन बड़े नेता ढेर हुए. तालिबान ने आत्मघाती हमलों की चेतावनी दी. काबुल और कंधार में तालिबान ने कई बड़े आत्मघाती हमलों को अंजाम दिया. सैकड़ों लोग मारे गए. 

2015 Trump ने घटाए अमेरिकी सैनिक 
बराक ओबामा के ऐलान के बाद अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की तादाद घटकर 10 हजार से भी कम रह गई. हालांकि 2017 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump ) ने और सैनिक भेजे, जिससे यह तादाद फिर 14 हजार पार कर गई.

2018 तालिबान से वार्ता का ऐलान
ट्रंप ने सितंबर 2018 में तालिबान नेताओं से बातचीत के लिए अफगान मूल के अमेरिकी राजनयिक जलमय खालिलजाद को जिम्मेदारी दी. बातचीत के बीच तालिबान ने अफगानिस्तान के कई सुदूरवर्ती इलाकों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया. 

2019 Taliban से​ बातचीत टूटी
अमेरिकी प्रतिनिधियों में बातचीत के बीच तालिबान के हमले जारी रहे. काबुल में हुए हमले में कई अमेरिकी सैनिक मारे जाने के बाद ट्रंप ने वार्ता खत्म करने का ऐलान कर दिया. 

2020- दोहा (Doha) में शांति समझौता
अमेरिका और तालिबान के बीच कतर की राजधानी दोहा में 29 फरवरी 2020 को एक शांति समझौता हुआ. इसके तहत अमेरिका 1 मई 2021 से अपने सैनिकों की वापसी पर राजी हुआ. तालिबान ने अफगानिस्तान की सरजमीं से किसी आतंकी संगठन को मदद न करने का भरोसा दिया. 

14 अप्रैल -बाइडेन ने किया वापसी का ऐलान
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden ) ने 14 अप्रैल 2021 को घोषणा की कि अमेरिकी सैनिकों की 1 मई से अफगानिस्तान से वापसी शुरू हो जाएगी और 11 सितंबर तक पूरी होगी. अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपने नागरिकों, एजेंटों और मददगार अफगानी लोगों को निकाला. करीब 1 लाख 20 हजार लोगों को 15 दिन में सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया. 

15 अगस्त 2021 -तालिबान का कब्जा, अशरफ गनी Kabul से भागे
अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ ही तालिबान ने मई में ही संघर्ष छेड़ दिया. ग्रामीण इलाकों के बाद कंधार, हेरात, जलालाबाद जैसे शहरों से भी अफगान सैनिक भाग खड़े हुए. तालिबान लड़ाके 15 अगस्त 2021 तक काबुल पहुंच गए और अफगान राष्ट्रपति कार्यालय पर धावा बोल दिया. राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani ) देश छोड़कर भागे. 

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