अमरनाथ शिवलिंग की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
2 जुलाई से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा का हिमलिंग इस बार 20 से 22 फीट का हुआ है। इसपर ग्लोबल वार्मिंग का कोई असर नहीं हुआ है। लेकिन करीब 14500 फुट की ऊंचाई पर मौजूद अमरनाथ यात्रा के प्रतीक हिमलिंग को बचाए रखना अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के लिये बड़ी चुनौती बन गया है।
राज्य सरकार ने सर्दी की वजह से हिमलिंग की सुरक्षा में सुरक्षाकर्मी तैनात करने से मना करने के बाद बोर्ड को अपनी एक टीम को भेजना पड़ा है। शून्य से नीचे 15 डिग्री के तापमान में ये टीम गुफा के बाहर डेरा डालेगी ताकि तय वक्त से पहले कोई भी हिमलिंग के दर्शन ना कर सके।
पहले ये आशंका जताई जा रही थी कि मौसम की मार की वजह से हिमलिंग का आकार कम हो सकता है पर इस गुफा में बाबा बर्फानी अपने पुराने रूप में ही मौजूद हैं। जहां एक ओर कश्मीर के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं वहीं इस साल भी बाबा बर्फानी माता पार्वती और पुत्र गणेश के साथ पहले जैसे ही आकार में प्रकट हुए हैं।
बाबा के भवन तक जाने वाले बालटाल के रास्ते में अभी भी बीस फुट के करीब बर्फ जमा है। सरकारी तौर पर 2015 के दर्शन के लिए गुफा तक अभी भक्त नहीं पहुंच पाए हैं। गुफा तक सिर्फ पुलिस की एक टुकड़ी ही पहुंची थी जिसने वहां का जायजा लिया है।
श्राइन बोर्ड ने यहां की सुरक्षा के लिये कई प्रबंध किये हैं। हिमलिंग के संरक्षण के लिए गुफा के गेट पर लोहे की ग्रिल दो साल पहले ही लगाई जा चुकी है। अब श्राइन बोर्ड ने अपनी एक टीम को गुफा के लिए रवाना कर दिया है। इस टीम के जिम्मे हिमलिंग का संरक्षण करना और इसको सुनिश्चित करना है कि गुफा के भीतर जाकर कोई हिमलिंग से छेड़छाड़ न करे। क्योंकि पिछले कई सालों से यह देखने को मिल रहा है कि यात्रा शुरू होने से पहले ही हिमलिंग पिघल जाता रहा है।
राज्य सरकार ने सर्दी की वजह से हिमलिंग की सुरक्षा में सुरक्षाकर्मी तैनात करने से मना करने के बाद बोर्ड को अपनी एक टीम को भेजना पड़ा है। शून्य से नीचे 15 डिग्री के तापमान में ये टीम गुफा के बाहर डेरा डालेगी ताकि तय वक्त से पहले कोई भी हिमलिंग के दर्शन ना कर सके।
पहले ये आशंका जताई जा रही थी कि मौसम की मार की वजह से हिमलिंग का आकार कम हो सकता है पर इस गुफा में बाबा बर्फानी अपने पुराने रूप में ही मौजूद हैं। जहां एक ओर कश्मीर के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं वहीं इस साल भी बाबा बर्फानी माता पार्वती और पुत्र गणेश के साथ पहले जैसे ही आकार में प्रकट हुए हैं।
बाबा के भवन तक जाने वाले बालटाल के रास्ते में अभी भी बीस फुट के करीब बर्फ जमा है। सरकारी तौर पर 2015 के दर्शन के लिए गुफा तक अभी भक्त नहीं पहुंच पाए हैं। गुफा तक सिर्फ पुलिस की एक टुकड़ी ही पहुंची थी जिसने वहां का जायजा लिया है।
श्राइन बोर्ड ने यहां की सुरक्षा के लिये कई प्रबंध किये हैं। हिमलिंग के संरक्षण के लिए गुफा के गेट पर लोहे की ग्रिल दो साल पहले ही लगाई जा चुकी है। अब श्राइन बोर्ड ने अपनी एक टीम को गुफा के लिए रवाना कर दिया है। इस टीम के जिम्मे हिमलिंग का संरक्षण करना और इसको सुनिश्चित करना है कि गुफा के भीतर जाकर कोई हिमलिंग से छेड़छाड़ न करे। क्योंकि पिछले कई सालों से यह देखने को मिल रहा है कि यात्रा शुरू होने से पहले ही हिमलिंग पिघल जाता रहा है।
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