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अमरनाथ यात्रा का ‘छड़ी मुबारक’ के साथ हुआ समापन, करीब सवा चार लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हुई और इस 38 दिवसीय यात्रा के दौरान करीब 4.20 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र हिमलिंग के दर्शन किए. अंतिम दिन करीब 150 श्रद्धालु, जिनमें अधिकांश सुरक्षा बलों के जवान थे, गुफा पहुंचे.

अमरनाथ यात्रा का ‘छड़ी मुबारक’ के साथ हुआ समापन, करीब सवा चार लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
38 दिवसीय अमरनाथ यात्रा के दौरान करीब 4.20 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र हिमलिंग के दर्शन किए.
  • श्रावण मास के आखिरी दिन ‘छड़ी मुबारक’ की प्रतिष्ठा के साथ इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा का विधिवत समापन हो गया.
  • यात्रा 3 जुलाई से शुरू होकर 38 दिनों तक चली, जिसमें करीब 4.20 श्रद्धालुओं ने पवित्र हिमलिंग के दर्शन किए.
  • अमरनाथ यात्रा शांतिपूर्ण और सुरक्षित संपन्‍न हो गई. इसके कारण प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों ने राहत महसूस की.
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नई दिल्‍ली :

अमरनाथ की पवित्र गुफा में श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर ‘छड़ी मुबारक' की प्रतिष्ठा के साथ इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा का विधिवत समापन हो गया.  महंत दीपेंद्र गिरि के नेतृत्व में शनिवार सुबह सूर्योदय के मुहूर्त पर विशेष पूजा-अर्चना और हिमलिंग के दर्शन संपन्न हुए. श्रद्धालुओं की संख्या में कमी, आतंकी खतरे और प्रतिकूल मौसम की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने कुछ दिन पहले ही यात्रा को व्यावहारिक रूप से रोक दिया था. 

इस बार समुद्र तल से 14,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित पवित्र गुफा के लिए अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हुई और इस 38 दिवसीय यात्रा के दौरान करीब 4.20 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र हिमलिंग के दर्शन किए. अंतिम दिन करीब 150 श्रद्धालु, जिनमें अधिकांश सुरक्षा बलों के जवान थे, गुफा पहुंचे. यात्रा के दौरान हुई दुर्घटनाओं में कितनी मौतें हुईं, इसकी आधिकारिक जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं की गई है. 

दशनामी अखाड़े से रवाना हुई थी छड़ी मुबारक 

भगवान शिव के केसरिया वस्त्र में लिपटी पवित्र ‘छड़ी मुबारक' श्रीनगर स्थित दशनामी अखाड़े से साधु-संतों के दल के साथ रवाना हुई थी. गुफा में प्रतिष्ठा के बाद इसे पुनः अखाड़े में स्थापित किया जाएगा. अब ‘छड़ी मुबारक' पहलगाम पहुंचेगी, जहां लिद्दर नदी के तट पर पूजा-विसर्जन और साधु-संतों के लिए पारंपरिक कढ़ी-पकौड़ा भंडारा आयोजित होगा. 

पंजीकृत यात्रियों को ही मिली यात्रा की अनुमति 

इस बार अधिकांश यात्रियों ने पारंपरिक 45 किलोमीटर लंबे पहलगाम मार्ग की बजाय 16 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग को चुना.सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इस बार यात्रा पर सख्त नियंत्रण रहा. केवल पंजीकृत यात्रियों को ही निर्धारित तिथियों पर यात्रा की अनुमति दी गई, जबकि गैर-पंजीकृत श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित रहा.

यात्रा संपन्‍न, सुरक्षाबलों ने ली राहत की सांस 

बालटाल और नुनवान आधार शिविरों से गुफा की ओर जाने वाली आवाजाही पर भी कड़ी निगरानी रखी गई. शांतिपूर्ण और सुरक्षित समापन से प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों ने राहत की सांस ली. सुरक्षा बलों की सतर्कता ने सभी संभावित खतरों को विफल कर दिया. पहले की तरह इस बार भी आतंकी घटनाओं ने श्रद्धालुओं का उत्साह कम करने के बजाय और दृढ़ बना दिया, जिससे प्रशासन के सामने नई चुनौतियां खड़ी हुईं. 
 

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