
- खराब मौसम और मार्गों की स्थिति के कारण अमरनाथ यात्रा को तय समय से पहले समाप्त करने की आधिकारिक घोषणा की गई है.
- लगातार भारी बारिश और बालटाल तथा पहलगाम मार्गों पर आवश्यक मरम्मत कार्य के कारण यात्रा तीन दिनों से स्थगित थी.
- इस वर्ष करीब चार लाख तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए जबकि उम्मीद आठ लाख की थी, जिससे व्यापार को नुकसान हुआ.
खराब मौसम और मार्गों की स्थिति बिगड़ने के चलते अमरनाथ यात्रा को निर्धारित समय से पहले समाप्त करने की आधिकारिक घोषणा कर दी गई है. हालांकि धार्मिक परंपरा के अनुसार, यात्रा का औपचारिक समापन 9 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन के दिन ‘छड़ी मुबारक' की पवित्र गुफा में स्थापना के साथ किया जाएगा. कश्मीर में हर साल सावन मास की शुरुआत पर पवित्र अमरनाथ यात्रा का आयोजन होता है. यह यात्रा सावन महीने के खत्म होने तक चलती है लेकिन इस बार इसे समय से पहले ही खत्म कर दिया गया है.
लगातार खराब है मौसम
अधिकारियों के अनुसार मौसम लगातार खराब बना हुआ है और इसका असर यात्रा के मार्ग पर भी पड़ा है. उन्होंने इन्हीं दो बातों को यात्रा बंद करने की मुख्य वजहों के तौर पर करार दिया. मौसम की वजह से यात्रा पहले ही पिछले तीन दिनों से सस्पेंड थी. प्रशासन ने शनिवार को ऐलान किया कि रविवार को भी यात्रा शुरू नहीं हो सकती है. कश्मीर के डिविजनल कमिश्नर विजय कुमार बिधूड़ी ने कहा, 'हाल ही में हुई भारी बारिश के कारण, बालटाल और पहलगाम, दोनों ही रास्तों पर अहम रिपेयर और मेनटेनेंस का काम होना है. यह देखा गया है कि कल से पटरियों पर लोगों और मशीनों की निरंतर तैनाती के कारण, हम यात्रा फिर से शुरू नहीं कर पाएंगे. इसलिए 3 अगस्त से दोनों मार्गों से यात्रा स्थगित रहेगी.'
व्यापारियों को हुआ नुकसान
वहीं श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की तरफ से कहा गया है कि इस साल करीब 4 लाख तीर्थयात्रियों ने पवित्र गुफा में दर्शन किए हैं, हालांकि पिछले एक हफ्ते में यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट देखी गई. इस वर्ष करीब 4.10 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा अमरनाथ के दर्शन किए, जबकि अमरनाथ श्राइन बोर्ड को 8 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद थी. अनुमान था कि यात्रा से राज्य के व्यापारियों को 3,000 से 4,000 करोड़ रुपये तक का कारोबार मिलेगा, लेकिन मौसम और अन्य कारणों से यह उम्मीद अधूरी रह गई.
घटाई जाएगी यात्रा की अवधि
विशेषज्ञों का मानना है कि हिमलिंग का समय से पहले पिघलना यात्रियों की संख्या में गिरावट का प्रमुख कारण है. जुलाई के पहले सप्ताह से ही बर्फ से निर्मित बाबा का स्वरूप काफी हद तक पिघल चुका था. यह पिछले कुछ वर्षों से लगातार देखने में आ रहा है.इस बार की परिस्थितियों को देखते हुए प्रशासन अब उन सुझावों पर गंभीरता से विचार कर रहा है, जिनमें यात्रा की अवधि को 60 दिन से घटाकर 30 दिन करने की बात कही गई है. पर्यावरणविदों और समाजिक संगठनों ने भी कई बार इसका समर्थन किया है, ताकि पर्यावरण संतुलन और हिमलिंग की रक्षा सुनिश्चित की जा सके.
भारी सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
सूत्रों के अनुसार, पिछले कई दिनों से प्रतिदिन केवल 200 से 300 श्रद्धालु ही यात्रा में भाग ले रहे थे, जबकि उनकी सुरक्षा में लगभग दो लाख सुरक्षाकर्मी तैनात थे. यह व्यवस्थागत असंतुलन अब प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गया है. यात्रा 3 जुलाई को दक्षिण कश्मीर के नुनवान (पहलगाम) और मध्य कश्मीर के बालटाल मार्गों से शुरू हुई थी, जो क्रमशः 48 और 14 किलोमीटर लंबे हैं. परंपरानुसार, यात्रा का समापन हर साल श्रावण पूर्णिमा को होता है.
प्रकृति की चेतावनी
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कुछ दिन पहले बताया था कि 4 लाख से अधिक श्रद्धालु गुफा के दर्शन कर चुके हैं. हालांकि, बढ़ते तापमान और लगातार वर्षा के चलते हिमलिंग जल्द पिघल गया, जिससे बाबा अमरनाथ का स्वरूप क्षीण हो गया है. प्रकृति के इस बदलाव ने श्रद्धालुओं की आस्था यात्रा को प्रभावित किया है और भविष्य में इससे निपटने के उपाय खोजे जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है.
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