केंद्र ने फरवरी के पहले हफ्ते में जल प्रबंधन पर विशेषज्ञ समिति की पेशकश की थी....
बेंगलुरु:
कर्नाटक की जीवनरेखा कावेरी नदी के पानी के बंटवारे के लिए केंद्र ने इस विवाद से जुड़े सभी चार राज्यों को सुझाव दिया कि वो कावेरी विशेषज्ञ समिति के गठन पर अपनी राय दे. पुड्डुचेरी ने फौरन हामी भर दी जबकि कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल को अपना पक्ष रखना है. कर्नाटक को एक्सपर्ट कमेटी के पक्ष खड़ा होना चाहिए या नहीं, इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए मुख्यमंत्री सिद्धार्थरमैया ने मंगलवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई.
राज्य के जल संसाधन मंत्री एमबी पाटिल ने बैठक के बाद जानकारी दी कि कांग्रेस और जेडीएस इस बात पर सहमत हैं कि पानी के बंटवारे के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन राज्य हित में है या नहीं, इसका फैसला वरिष्ठ वकील फाली एस नरीमन तय करेंगे जो पिछले तक़रीबन 35 सालों से कर्नाटक के पक्ष सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर रखते आए हैं. कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जगदीश शेट्टार ने इसी तर्ज पर बात की. उन्होंने कहा कि नरीमन इस सिलसिले में जो भी फैसला लेंगे वो उससे सहमत होंगे. दरअसल इसी साल फरवरी के पहले हफ्ते में केंद्र ने जल प्रबंधन पर विशेषज्ञ समिति की पेशकश की थी.
कर्नाटक को इस बात का डर सता रहा है कि अगर एक्सपर्ट कमेटी बनती है तो कावेरी नदी के पानी पर से राज्य का अधिकार ख़त्म हो जाएगा और बाहर के लोग तय करेंगे कि कर्नाटक को अपनी ही नदी से कितना पानी मिलना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक़ कर्नाटक हर रोज़ औसतन 2000 क्यूसेक पानी तमिलनाडु को दे रहा है. राज्य के जलसंसाधन मंत्री एमबी पाटिल ने बताया कि बेंगलुरु, मैसूर और आअस्पास के इलाके के लिए पीने का फिलहाल पानी है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मोताबिक़ एक 30 जून तक कर्नाटक 2000 क्यूसेक पानी तमिलनाडु को देता रहेगा.
राज्य के जल संसाधन मंत्री एमबी पाटिल ने बैठक के बाद जानकारी दी कि कांग्रेस और जेडीएस इस बात पर सहमत हैं कि पानी के बंटवारे के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन राज्य हित में है या नहीं, इसका फैसला वरिष्ठ वकील फाली एस नरीमन तय करेंगे जो पिछले तक़रीबन 35 सालों से कर्नाटक के पक्ष सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर रखते आए हैं. कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जगदीश शेट्टार ने इसी तर्ज पर बात की. उन्होंने कहा कि नरीमन इस सिलसिले में जो भी फैसला लेंगे वो उससे सहमत होंगे. दरअसल इसी साल फरवरी के पहले हफ्ते में केंद्र ने जल प्रबंधन पर विशेषज्ञ समिति की पेशकश की थी.
कर्नाटक को इस बात का डर सता रहा है कि अगर एक्सपर्ट कमेटी बनती है तो कावेरी नदी के पानी पर से राज्य का अधिकार ख़त्म हो जाएगा और बाहर के लोग तय करेंगे कि कर्नाटक को अपनी ही नदी से कितना पानी मिलना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक़ कर्नाटक हर रोज़ औसतन 2000 क्यूसेक पानी तमिलनाडु को दे रहा है. राज्य के जलसंसाधन मंत्री एमबी पाटिल ने बताया कि बेंगलुरु, मैसूर और आअस्पास के इलाके के लिए पीने का फिलहाल पानी है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मोताबिक़ एक 30 जून तक कर्नाटक 2000 क्यूसेक पानी तमिलनाडु को देता रहेगा.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं