भारत और पाकिस्तान के बीच पैदा तनाव के बीच, पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने गुरुवार को इस बात पर जोर दिया कि सीमापार सक्रिय आतंकी संगठनों के संबंध में दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए बातचीत और कूटनीतिक दबाव अहम होगा. हालांकि, कांग्रेस ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की पैरवी करने संबंधी अपने नेता नवजोत सिंह सिद्धू के बयान को ‘व्यक्तिगत' बयान करार देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि इस्लामाबाद के साथ वार्ता करने के अनुकूल माहौल नहीं है.
कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान पिछले चार दशकों से भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रोत्साहित करता रहा है और बातचीत से पहले इस आतंकवाद पर पूरी तरह विराम लगना चाहिए. कुछ बातें बिल्कुल साफ हैं. पिछले चार दशकों से पाकिस्तान, भारत के खिलाफ आतंकवाद प्रोत्साहित करता रहा है. उसका पहला भुक्त भोगी पंजाब था. 1980 से लेकर 1995 तक पंजाब ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को अपने जिस्म पर झेला था, हजारों बेगुनाह लोग उस आतंकवाद में मारे गए.'
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उन्होंने कहा, ‘एक समय होता है बातचीत करने का, एक माहौल होता है बातचीत करने का, आज वो माहौल नहीं है. अगर सरदार नवजोत सिंह सिद्धू जी की कोई और राय है तो यह उनकी व्यक्तिगत राय हो सकती है, वो कांग्रेस पार्टी की राय नहीं है.' गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की पृष्ठभूमि में पंजाब सरकार के मंत्री सिद्धू ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के एक कथन का हवाला देते हुए कहा कि आतंकवाद से सख्त से निपटा जाना चाहिए लेकिन साथ ही बातचीत के दरवाजे भी खुले रखे जाने चाहिए.
The whole is larger than the parts... Why should anyone distort?
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) March 1, 2019
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क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू ने ‘वी हैव ए च्वाइस' (हमारे पास विकल्प है) शीर्षक के दो पेज के बयान में कहा, ‘‘मैं अपने इस विश्वास के साथ खड़ा हूं कि सीमा के अंदर और इसके पार से संचालित आतंकी संगठनों की उपस्थिति और गतिविधियों का दीर्घकालिक समाधान खोजने में बातचीत और कूटनीति दबाव अहम भूमिका निभाएगा.' उन्होंने कहा, ‘आतंक का समाधान शांति, विकास और प्रगति है, बेरोजगारी, घृणा और भय नहीं.' उन्होंने कहा कि वह इस सिद्धांत के साथ मजबूती से खड़े हैं कि कुछ लोगों की गतिविधियों के लिए पूरे समुदाय को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
गौरतलब है कि पुलवामा में 14 फरवरी को पाकिस्तान के एक आतंकी संगठन जैश के आत्मघाती हमले में 40 सीआरपीएफ जवानों के शहीद होने की घटना की कड़ी निंदा करते हुए सिद्धू ने सवाल किया था कि क्या कुछ लोगों की गतिविधियों के लिए पूरे देश को जिम्मेदार ठहराया जा सकता. उनकी इस टिप्पणी की कई नेताओं ने आलोचना की थी.
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