पुलिस की गिरफ्त में मानव तस्करी के आरोपी
नई दिल्ली:
भूकंप की त्रासदी झेल रहे नेपाल में पुलिस ने मानव तस्करी के एक बड़े मामले का भंडाफोड़ किया है। इस संबंध में पुलिस ने दो नेपाली एजेंटों के साथ दिल्ली में एयर इंडिया के दो कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में आए दो नेपाली एजेंटों विष्णु तमांग और दयाराम ने एयर इंडिया के दो कर्मचारियों कपिल कुमार और मनीष गुप्ता के साथ मिलकर इस जुर्म को अंजाम दिया। मानव तस्करी करने वाले इस गिरोह ने भूकंप के बाद करीब 250 नेपाली लड़कियों को अच्छी नौकरी और वेतन का झांसा देकर दुबई भेज दिया।
पुलिस के मुताबिक इस गिरोह का खुलासा तब हुआ जब 21 जुलाई को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय अड्डे पर 7 नेपाली लड़कियां फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दुबई जाने की फिराक में थीं। सीआईएसएफ और ईमीग्रेशन ने शक होने इनके दस्तावेजों जैसे पासपोर्ट, वीजा और बोर्डिंग पास की जांच की। हांलाकि इन लड़कियों को एयरपोर्ट की इमिग्रेशन जांच से बचाने के लिए एक खास रणनीति के तहत भेजा गया था।
एयरपोर्ट के डीसीपी एम.आई. हैदर के मुताबिक पहले ये लड़कियां सड़क के रास्ते भारत आयीं। उसके बाद डोमेस्टिक फ्लाइट से अहमदाबाद एयरपोर्ट पहुंचाया गया, वहां से इन्हें दिल्ली कनेक्ट करने वाली अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट में बिठाया गया। हैदर के मुताबिक फ्लाइट दिल्ली एयरपोर्ट पर इंटरनेशल एरिया में पहुंचती है।
नियम के मुताबिक अगर कोई यात्री डोमेस्टिक एरिया से आता है और उसे देश से बाहर जाना है तो उसे तब उसे ईमीग्रेशन विभाग की जांच से गुजरना होता है। लेकिन अगर कोई यात्री विदेश से अंतरराष्ट्रीय यात्री के तौर पर आता है और उसे दुबारा विदेशा जाना है तो इमिग्रेशन डिपार्चर स्टांप ,पहले का बोर्डिंग कार्ड दिखाना होता है उसके बाद उसका अंतरराष्ट्रीय बोर्डिंग कार्ड जारी होता है। लेकिन एयर इंडिया के कर्मचारियों ने फर्जी दस्तावेज पर यात्रा कर रही लड़कियों को अंतरराष्ट्रीय बोर्डिंग कार्ड जारी किया।
लड़कियों से पूछताछ के बाद पता चला कि मानव तस्करी के इस गोरखधंधे में एयर इंडिया के दो कर्मचारी भी मिले हुए हैं। इसके बाद एयर इंडिया के कर्मचारियों मनीष और कपिल को गिफ्तार कर लिया गया। दोनों की निशानदेही पर महिपालपुर इलाके से 21 और नेपाली लड़कियों को रिहा कराया गया और 2 नेपीली एजेंट गिरफ्तार हुए।
पुलिस के मुताबिक एयर इंडिया के कर्मचारी एक लड़की के भेजने के एवज में 500 रुपये लेते थे जबकि दलाल इससे लाखों रुपये कमा रहे हैं। पुलिस के मुताबिक अब इस मामले में राजू नाम के एजेंट की तलाश की जा रही है, गिरोह काफी बड़ा है इस मामले की जानकारी नेपाल सरकार को भी दे दी गयी है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में आए दो नेपाली एजेंटों विष्णु तमांग और दयाराम ने एयर इंडिया के दो कर्मचारियों कपिल कुमार और मनीष गुप्ता के साथ मिलकर इस जुर्म को अंजाम दिया। मानव तस्करी करने वाले इस गिरोह ने भूकंप के बाद करीब 250 नेपाली लड़कियों को अच्छी नौकरी और वेतन का झांसा देकर दुबई भेज दिया।
पुलिस के मुताबिक इस गिरोह का खुलासा तब हुआ जब 21 जुलाई को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय अड्डे पर 7 नेपाली लड़कियां फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दुबई जाने की फिराक में थीं। सीआईएसएफ और ईमीग्रेशन ने शक होने इनके दस्तावेजों जैसे पासपोर्ट, वीजा और बोर्डिंग पास की जांच की। हांलाकि इन लड़कियों को एयरपोर्ट की इमिग्रेशन जांच से बचाने के लिए एक खास रणनीति के तहत भेजा गया था।
एयरपोर्ट के डीसीपी एम.आई. हैदर के मुताबिक पहले ये लड़कियां सड़क के रास्ते भारत आयीं। उसके बाद डोमेस्टिक फ्लाइट से अहमदाबाद एयरपोर्ट पहुंचाया गया, वहां से इन्हें दिल्ली कनेक्ट करने वाली अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट में बिठाया गया। हैदर के मुताबिक फ्लाइट दिल्ली एयरपोर्ट पर इंटरनेशल एरिया में पहुंचती है।
नियम के मुताबिक अगर कोई यात्री डोमेस्टिक एरिया से आता है और उसे देश से बाहर जाना है तो उसे तब उसे ईमीग्रेशन विभाग की जांच से गुजरना होता है। लेकिन अगर कोई यात्री विदेश से अंतरराष्ट्रीय यात्री के तौर पर आता है और उसे दुबारा विदेशा जाना है तो इमिग्रेशन डिपार्चर स्टांप ,पहले का बोर्डिंग कार्ड दिखाना होता है उसके बाद उसका अंतरराष्ट्रीय बोर्डिंग कार्ड जारी होता है। लेकिन एयर इंडिया के कर्मचारियों ने फर्जी दस्तावेज पर यात्रा कर रही लड़कियों को अंतरराष्ट्रीय बोर्डिंग कार्ड जारी किया।
लड़कियों से पूछताछ के बाद पता चला कि मानव तस्करी के इस गोरखधंधे में एयर इंडिया के दो कर्मचारी भी मिले हुए हैं। इसके बाद एयर इंडिया के कर्मचारियों मनीष और कपिल को गिफ्तार कर लिया गया। दोनों की निशानदेही पर महिपालपुर इलाके से 21 और नेपाली लड़कियों को रिहा कराया गया और 2 नेपीली एजेंट गिरफ्तार हुए।
पुलिस के मुताबिक एयर इंडिया के कर्मचारी एक लड़की के भेजने के एवज में 500 रुपये लेते थे जबकि दलाल इससे लाखों रुपये कमा रहे हैं। पुलिस के मुताबिक अब इस मामले में राजू नाम के एजेंट की तलाश की जा रही है, गिरोह काफी बड़ा है इस मामले की जानकारी नेपाल सरकार को भी दे दी गयी है।
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