जयललिता का एक फाइल फोटो।
चेन्नई:
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने रविवार को कहा कि यदि उनके सभी सुझावों को शामिल करते हुए बदलाव नहीं किए गए तो एआईएडीएमके खाद्य सुरक्षा विधेयक के विरोध में मतदान करेगी।
यहां जारी एक वक्तव्य में जयललिता ने कहा है, "आंशिक बदलाव के साथ संसद में पेश विधेयक स्वीकार्य नहीं है। एआईएडीएमके विधेयक के खिलाफ मतदान करेगी।" जयललिता अपनी पार्टी की महासचिव भी हैं।
जयललिता ने कहा कि उन्होंने विधेयक से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर शनिवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। उन्होंने द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के प्रमुख एम. करुणानिधि को भी यह साफ करने के लिए कहा है कि उनकी पार्टी विधेयक के पक्ष में मतदान करेगी या विरोध में।
जयललिता ने कहा है कि यदि डीएमके ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया तो यह राज्य के हितों के साथ धोखा मना जाएगा।
एक दिन पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेजे एक पत्र में जयललिता ने कहा, "जहां पहले संसोधनों की सूची में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को सुलझाया गया है, वहीं कुछ बकाया मुद्दों को सुलझाया जाना बाकी है, जिससे देश, विशेषकर तमिलनाडु खाद्य सुरक्षा के प्रति आश्वस्त हो सके।" उन्होंने कहा कि केंद्र इस बात पर राजी हो गया है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राज्यों के वर्तमान आवंटन में कोई कटौती नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि नए पेश प्रावधान के मुताबिक मूल्यों का निर्धारण केंद्र के निर्देशों पर छोड़ दिया गया है। इस तरह चावल की कीमत उसके आर्थिक मूल्य के आधार पर तय करने से तमिलनाडु सरकार पर 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
यहां जारी एक वक्तव्य में जयललिता ने कहा है, "आंशिक बदलाव के साथ संसद में पेश विधेयक स्वीकार्य नहीं है। एआईएडीएमके विधेयक के खिलाफ मतदान करेगी।" जयललिता अपनी पार्टी की महासचिव भी हैं।
जयललिता ने कहा कि उन्होंने विधेयक से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर शनिवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। उन्होंने द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के प्रमुख एम. करुणानिधि को भी यह साफ करने के लिए कहा है कि उनकी पार्टी विधेयक के पक्ष में मतदान करेगी या विरोध में।
जयललिता ने कहा है कि यदि डीएमके ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया तो यह राज्य के हितों के साथ धोखा मना जाएगा।
एक दिन पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेजे एक पत्र में जयललिता ने कहा, "जहां पहले संसोधनों की सूची में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को सुलझाया गया है, वहीं कुछ बकाया मुद्दों को सुलझाया जाना बाकी है, जिससे देश, विशेषकर तमिलनाडु खाद्य सुरक्षा के प्रति आश्वस्त हो सके।" उन्होंने कहा कि केंद्र इस बात पर राजी हो गया है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राज्यों के वर्तमान आवंटन में कोई कटौती नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि नए पेश प्रावधान के मुताबिक मूल्यों का निर्धारण केंद्र के निर्देशों पर छोड़ दिया गया है। इस तरह चावल की कीमत उसके आर्थिक मूल्य के आधार पर तय करने से तमिलनाडु सरकार पर 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
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