सुकमा नक्सली हमले के बाद जंगलों में मिले जवानों के शव.
नई दिल्ली:
सुकमा में नक्सली हमले के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने ठीक वैसा ही बयान दिया था, जैसा कि उन्होंने उरी हमले के बाद दिया था. उरी में भारतीय सेना को जवानों को पाकिस्तान से आए आतंकियों ने निशाना बनाया था और सुकमा में सीआरपीएफ के जवानों को नक्सलियों ने निशाना बनाया था. उरी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर आतंकी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दुनिया को चौंका दिया था. पाकिस्तान के भीतर तक हड़कंप मच गया और पाकिस्तान कुछ नहीं कर पाया. खुद आतंकी सरगनाओं के होश फाक्ता हो चुके थे.
अब कुछ रिपोर्टों से साफ हो रहा है कि भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ के सुकमा स्थित बुरकापाल में नक्सली हमले में 25 जवान खोने के बाद अब देश में नक्सल समस्या के समूल खातमे के लिए योजना पर तैयारी शुरू कर दी है. खबरों के मुताबिक भारत सरकार के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने एक बार फिर ऐसे ऑपरेशन की कमान अपने हाथ में ले ली है. जानकारी के लिए बता दें कि उरी हमले क बाद जब सरकार ने आतंकियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की योजना बनाई तो उसकी कमान भी अजित डोभाल ने संभाली थी. अब एक बार फिर माना जा रहा है कि सुकमा हमले के बाद सरकार इस ओर काफी गंभीर है और जल्द ही किसी बड़ी कार्रवाई को धरातल पर उतारा जाएगा.
मीडिया रिपोर्टों में छपी जानकारी के अनुसार अजित डोभाल 2 मई को दिल्ली से लेकर सुकमा तक नक्सल ऑपरेशन में लगे अफसरों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक लेंगे. इसी क्रम में नक्सलियों को चौतरफा घेरने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय में नक्सल मामलों के सलाहकार विजय कुमार ने सुकमा और डीजी नक्सल ऑपरेशन डीएम अवस्थी ने बीजापुर में डेरा डाल दिया है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) के डीजी शरद कुमार की गोपनीय रिपोर्ट के बाद विजय कुमार को तीन दिन में दूसरी बार छत्तीसगढ़ भेजा गया है. सुकमा और बीजापुर में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के आला अधिकारियों की करीब दो घंटे तक चली बैठक में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियान के लिए नया ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है.
उल्लेखनीय है कि ऑपरेशन को तेज करने के लिए सड़क निर्माण में लगे जवानों को वापस बुला लिया गया है. नक्सल विरोधी अभियान के आला अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि ऑपरेशन तेज करने के लिए सुरक्षा बलों की जरूरत पड़ेगी, इसलिए सड़क का काम फिलहाल बंद किया गया है. बताया जा रहा है कि केंद्र से भी ऑपरेशन पर फोकस करने का निर्देश मिला है.
बता दें कि सीआरपीएफ के 25 जवानों की हत्या के दो दिन बाद सरकार ने अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने की कोशिश करते हुए खुफिया सूचना एकत्र करने के तंत्र को दुरुस्त करने का आदेश दिया और बल का एक पूर्णकालिक प्रमुख नियुक्त किया.
केंद्र की नक्सलियों की गतिविधियों की निगरानी करने के लिए फोलिएज पेनीट्रेशन रडार समेत आधुनिक हवाई निगरानी उपकरण की खरीद की भी योजना है. ये नक्सली छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों के घने जंगलों में सक्रिय हैं.
बैठक में खुफिया सूचना जुटाने के तंत्र को दुरस्त करने, चल रहे अभियानों का सतर्कतापूर्वक विश्लेषण, समस्या के क्षेत्रों की पहचान करना और बेहतर परिणामों के लिए उनका समाधान करना शामिल है.
हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि और अन्य समेत शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने नक्सल विरोधी रणनीति को ठीक करने और कैसे इसे अधिक प्रभावी बनाया जाए और हताहत होने वाले लोगों की संख्या कैसे घटाई जाए इस पर चर्चा की थी.
अब कुछ रिपोर्टों से साफ हो रहा है कि भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ के सुकमा स्थित बुरकापाल में नक्सली हमले में 25 जवान खोने के बाद अब देश में नक्सल समस्या के समूल खातमे के लिए योजना पर तैयारी शुरू कर दी है. खबरों के मुताबिक भारत सरकार के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने एक बार फिर ऐसे ऑपरेशन की कमान अपने हाथ में ले ली है. जानकारी के लिए बता दें कि उरी हमले क बाद जब सरकार ने आतंकियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की योजना बनाई तो उसकी कमान भी अजित डोभाल ने संभाली थी. अब एक बार फिर माना जा रहा है कि सुकमा हमले के बाद सरकार इस ओर काफी गंभीर है और जल्द ही किसी बड़ी कार्रवाई को धरातल पर उतारा जाएगा.
मीडिया रिपोर्टों में छपी जानकारी के अनुसार अजित डोभाल 2 मई को दिल्ली से लेकर सुकमा तक नक्सल ऑपरेशन में लगे अफसरों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक लेंगे. इसी क्रम में नक्सलियों को चौतरफा घेरने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय में नक्सल मामलों के सलाहकार विजय कुमार ने सुकमा और डीजी नक्सल ऑपरेशन डीएम अवस्थी ने बीजापुर में डेरा डाल दिया है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) के डीजी शरद कुमार की गोपनीय रिपोर्ट के बाद विजय कुमार को तीन दिन में दूसरी बार छत्तीसगढ़ भेजा गया है. सुकमा और बीजापुर में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के आला अधिकारियों की करीब दो घंटे तक चली बैठक में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियान के लिए नया ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है.
उल्लेखनीय है कि ऑपरेशन को तेज करने के लिए सड़क निर्माण में लगे जवानों को वापस बुला लिया गया है. नक्सल विरोधी अभियान के आला अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि ऑपरेशन तेज करने के लिए सुरक्षा बलों की जरूरत पड़ेगी, इसलिए सड़क का काम फिलहाल बंद किया गया है. बताया जा रहा है कि केंद्र से भी ऑपरेशन पर फोकस करने का निर्देश मिला है.
बता दें कि सीआरपीएफ के 25 जवानों की हत्या के दो दिन बाद सरकार ने अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने की कोशिश करते हुए खुफिया सूचना एकत्र करने के तंत्र को दुरुस्त करने का आदेश दिया और बल का एक पूर्णकालिक प्रमुख नियुक्त किया.
केंद्र की नक्सलियों की गतिविधियों की निगरानी करने के लिए फोलिएज पेनीट्रेशन रडार समेत आधुनिक हवाई निगरानी उपकरण की खरीद की भी योजना है. ये नक्सली छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों के घने जंगलों में सक्रिय हैं.
बैठक में खुफिया सूचना जुटाने के तंत्र को दुरस्त करने, चल रहे अभियानों का सतर्कतापूर्वक विश्लेषण, समस्या के क्षेत्रों की पहचान करना और बेहतर परिणामों के लिए उनका समाधान करना शामिल है.
हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि और अन्य समेत शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने नक्सल विरोधी रणनीति को ठीक करने और कैसे इसे अधिक प्रभावी बनाया जाए और हताहत होने वाले लोगों की संख्या कैसे घटाई जाए इस पर चर्चा की थी.
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