कृषि कानूनों (farm laws) पर कदम वापसी खींचने से हुई किरकिरी के बाद आरएसएस (RSS) ने केंद्र सरकार को भविष्य में ऐसे किसी भी संवेदनशील मुद्दे पर सोच समझकर व्यापक चर्चा के बाद ही कदम आगे बढ़ाने की नसीहत दी है. आरएसएस नेताओं का मानना है कि केंद्र सरकार को जनसंख्या नियंत्रण (population control bill) या समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कानून बनाने के लिए आम सहमति कायम करने और व्यापक चर्चा के बाद आगे बढ़ना चाहिए.
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किसानों के एक साल तक चले लंबे आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में विधेयक लाने का फैसला किया है. सूत्रों के अनुसार, जनसंख्या नियंत्रण जैसे कानून महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इन पर गहन विचार-विमर्श के बाद आगे बढ़ा जाना चाहिए, क्योंकि इनको लेकर समाज के वर्ग में आशंकाएं और संदेह हैं. संघ के सूत्रों का कहना है कि ऐसे मुद्दों पर सहमति कायम करने से समाज में तनाव की आशंकाओं को दूर करने में मदद मिलती है.
बीजेपी के अंदर ही मांग उठ रही है कि जनसंख्या नियंत्रण और समान नागरिक संहिता के लिए कानून लेकर आया जाए. सूत्रों का कहना है कि संसद में कृषि विधेयकों को पेश करने से पहले आरएसएस से कोई चर्चा नहीं की गई थी. सूत्रों का कहना है कि न तो ऐसे बिल पेश करने से पहले संघ से कोई विचार विमर्श हुआ और न ही ऐसे कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान करने के पहले.
सूत्रों का कहना है कि आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने कृषि कानूनों से जुड़ा एक मसौदा भी सरकार को भेजा था, जिसे पूरी तरह स्वीकार नहीं किया गया. भारतीय किसान संघ किसानों को फसलों पर लाभ पहुंचाने के लिए एमएसपी (MSP) पर कानून लाने के पक्ष में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुरु पर्व के मौके पर तीनों कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान करने की घोषणा की थी.
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