नई दिल्ली:
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुखौटा कंपनियों (शेल कंपनियों) के खिलाफ देशव्यापी अभियान छेड़ते हुए शनिवार को 16 राज्यों में 100 स्थानों पर इनके परिसरों की व्यापक तलाशी ली.
अधिकारियों ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय की कई टीमों ने करीब 300 मुखौटा कंपनियों के परिसरों पर छापा मारा और तलाशी अभियान चलाया. ये छापे दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, चंडीगढ़, पटना, रांची, अहमदाबाद, भुवनेश्वर और बेंगलुरू सहित विभिन्न स्थानों पर मारे गए.
अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोधी अधिनियम (पीएमएलए) और विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फेमा) के तहत की गई ताकि देश में मनी लॉन्ड्रिंग करने और विदेशी मुद्रा के अवैध लेनदेन के बारे में जानकारी जुटाई जा सके.
प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर सरकार द्वारा गठित विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने इस संबंध में प्रवर्तन निदेशालय को इसके अधिकार दिए हैं. एजेंसी ने पिछले एक सप्ताह के दौरान इस तरह की कंपनियों की करोड़ों रुपये की संपत्ति कुर्क की है.
मुखौटा कंपनियां ऐसी कंपनियों को कहा जाता है, जिनका गठन मामूली चुकता पूंजी के साथ किया जाता है. उनके पास काफी रकम रिजर्व के तौर पर होती है और ऊंचे शेयर प्रीमियम के रूप में अधिशेष राशि भी उपलब्ध होती है. इन कंपनियों का ज्यादातर गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश होता है, कोई लाभांश आय नहीं होती, हाथ में काफी नकदी रहती है और निजी कंपनियां इनकी बहुमत हिस्सेदार होती हैं. इनका कामकाज भी कुछ ज्यादा नहीं होता, खर्च भी कम होता है और कई बार अवैध काम के लिए भी इस तरह की कंपनियों का इस्तेमाल किया जाता है.
अधिकारियों ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय की कई टीमों ने करीब 300 मुखौटा कंपनियों के परिसरों पर छापा मारा और तलाशी अभियान चलाया. ये छापे दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, चंडीगढ़, पटना, रांची, अहमदाबाद, भुवनेश्वर और बेंगलुरू सहित विभिन्न स्थानों पर मारे गए.
अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोधी अधिनियम (पीएमएलए) और विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फेमा) के तहत की गई ताकि देश में मनी लॉन्ड्रिंग करने और विदेशी मुद्रा के अवैध लेनदेन के बारे में जानकारी जुटाई जा सके.
प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर सरकार द्वारा गठित विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने इस संबंध में प्रवर्तन निदेशालय को इसके अधिकार दिए हैं. एजेंसी ने पिछले एक सप्ताह के दौरान इस तरह की कंपनियों की करोड़ों रुपये की संपत्ति कुर्क की है.
मुखौटा कंपनियां ऐसी कंपनियों को कहा जाता है, जिनका गठन मामूली चुकता पूंजी के साथ किया जाता है. उनके पास काफी रकम रिजर्व के तौर पर होती है और ऊंचे शेयर प्रीमियम के रूप में अधिशेष राशि भी उपलब्ध होती है. इन कंपनियों का ज्यादातर गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश होता है, कोई लाभांश आय नहीं होती, हाथ में काफी नकदी रहती है और निजी कंपनियां इनकी बहुमत हिस्सेदार होती हैं. इनका कामकाज भी कुछ ज्यादा नहीं होता, खर्च भी कम होता है और कई बार अवैध काम के लिए भी इस तरह की कंपनियों का इस्तेमाल किया जाता है.
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