सैफुल्ला खुद को आईएस का आतंकी मानता था
नई दिल्ली:
लखनऊ के बाहरी इलाके में घंटों तक चली कमांडो कार्रवाई के बाद मारा गया सैफुल्ला आईएसआईएस से प्रभावित होकर स्वयंभू कट्टरपंथी बना था. उत्तर प्रदेश पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी. जब 24 साल का सैफुल्ला घर में छिपकर गोलीबारी कर रहा था तब पुलिस लगातार कोशिश कर रही थी कि वह समर्पण कर दे. पुलिस ने उसके बड़े भाई मोहम्मद फैसल खान से करीब डेढ़ घंटे बात करवाई. भाई ने समझाया कि वह सरेंडर कर दे, लेकिन सैफुल्ला नहीं माना. आखिरकार 12 घंटे तक चले एनकाउंटर के बाद कमांडो ने उसे मार गिराया.
खुद को मानता था आईएस का हिस्सा
पुलिस की मानें तो सैफुल्ला खुद को आईएसआईएस का हिस्सा मानता था. यानि वह स्वयंभू कट्टरपंथी था. वह उस मकान में पिछले तीन माह से किराये पर रह रहा था. सैफुल्लाह जिस घर में छिपा हुआ था वहां से बम बनाने के उपकरण, छर्रे, टाइमर, सोना, नकदी, 8 पिस्टल, चाकू, भारी मात्रा में कारतूस और 62 कारतूस के खोखे तथा तीन पासपोर्ट बरामद हुए हैं. (संदिग्ध आतंकी सैफुल्ला का शव लेने से पिता ने किया इनकार | वह बी कॉम पास अकाउंटेंट था, सऊदी अरब जाना चाहता था)
बम बनाना ऑनलाइन सीखा
यूपी पुलिस के एडीजी दलजीत चौधरी का कहना है कि "बहुत सारे नौजवान आईएसआईएस से प्रभावित हो रहे हैं और यह ग्रुप उन्हीं में से एक था. इनसे हमें 45 ग्राम सोना, रियाद की चेकबुक पासपोर्ट ड्राइविंग लाईसेंस और एटीएम कार्ड मिले हैं. पूछताछ में गिरफ्तार हुए आरोपियों ने यह भी बताया है कि उन्होंने बम बनाना ऑनलाइन सीखा." चौधरी ने कहा कि सैफुल्ला को सरेंडर करने के लिए काफी वक्त दिया गया, लेकिन वह नहीं माना और लगातार फायरिंग करता रहा. पुलिस ने काफी संयमित तरीके से फायरिंग का जवाब दिया और उसे जिंदा पकड़ने के लिए मिर्ची बम का भी इस्तेमाल किया. बाद में जवाबी फायरिंग के दौरान वह मारा गया.
सैफुल्ला समेत चार लोग किराये के घर में रह रहे थे
दलजीत चौधरी के मुताबिक सैफुल्ला और 8 अन्य लोग एक गुट के सदस्य थे, जो इस्लामिक स्टेट के ऑनलाइन दुष्प्रचार के जरिए कट्टरपंथी बने. सैफुल्ला समेत चार लोग लखनऊ में किराये के घर में रह रहे थे और इलाके की रेकी कर रहे थे. इन लोगों ने मध्य प्रदेश के शाजापुर में एक ट्रेन में कम तीव्रता का विस्फोट किया था, जिसमें 9 लोग जख्मी हो गए थे. मध्य प्रदेश में इसके तीन साथियों की गिरफ्तारी के बाद उनसे पूछताछ में मिली जानकारी और अन्य सूचनाओं के आधार पर यूपी में इटावा, ओरैया, कानपुर और लखनऊ में दबिश दी गई. लखनऊ को छोड़कर अन्य जगहों से गिरफ्तारियां की गईं.
सैफुल्ला के साथियों की तलाश में यूपी पुलिस
सैफ़ुल्ला के साथियों की तलाश उत्तर प्रदेश की पुलिस कर रही है. सूत्रों के मुताबिक-कानपुर और उसके आसपास कई जगह दो संदिग्धों की तलाश के लिए छापे भी मार रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय को जो रिपोर्ट उत्तर प्रदेश पुलिस ने भेजी है उसके मुताबिक़ मध्य प्रदेश में मंगलवार को एक ट्रेन में हुए बम विस्फोट के बाद उन्हें विभिन्न खुफिया विभागों से लखनऊ, कानपुर और इटावा में संदिग्ध आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी.
दो संदिग्ध आतंकवादियों मोहम्मद फैसल खान और फखरे आलम को उनके ठिकानों से (कानपुर और इटावा से) गिरफ्तार किया गया. फैसल के बड़े भाई मोहम्मद इमरान को भी एक अलग ऑपरेशन के दौरान उन्नाव से गिरफ्तार किया गया और एटीएस ने उनसे पूछताछ शुरू कर दी थी, लेकिन दो लोगों की तलाश अभी चल रही है. जांच से जुड़े अफसर ने एनडीटीवी को बताया कि ATS द्वारा कानपुर से ही गिरफ्तार किए गए दो अन्य संदिग्धों को भीड़ एटीएस के चंगुल से छुड़ाने में सफल रही, लेकिन उनके घरों का पता है और हम जल्द ही उन्हें फिर से हिरासत में ले लेंगे.
बयानों से गृहमंत्रालय नाखुश
सूत्रों के मुताबिक एनकाउंटर के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस की तरफ से एनकाउंटर को लेकर लगातार मीडिया में दिए जा रहे बयानों से भी केंद्रीय गृहमंत्रालय नाख़ुश है. बिना जांच के यह कह देना की सैफुल्ला के आईएसआईएस से संबंध है वह ठीक नहीं है. जांच तसल्ली से होनी चाहिए ना कि रनिंग कमेंटरी की तरह. मंत्रालय ने अपनी नाराज़गी उत्तर प्रदेश के डीजीपी जावेद अहमद को भी बता दी और उनसे संयम से जांच करने को कहा है.
घोषणा से जांच पर पड़ेगा असर
गृहमंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'इस मामले में एफआईआर बुधवार को दर्ज की गई है. पुलिस को जांच पूरी होने तक इंतजार करना चाहिए था उसके बाद इस तरह की घोषणा करते. पहले ही संगठन का नाम घोषित करने से जांच पर असर पड़ सकता है, क्योंकि जो मॉड्यूल है उसके दूसरे सदस्य इस खुलासे से सतर्क हो गए होंगे और सुरक्षित जगह पर छुप गए होंगे.
बम धमाके की तस्वीरें सीरिया भेजने की कोशिश में थे
केंद्रीय गृह मंत्रालय को जो रिपोर्ट मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश पुलिस ने भेजी है उसके मुताबिक भोपाल-उज्जैन ट्रेन में शाजापुर में धमाका हुआ. इस मामले में दानिश, मुजफ्फर और कासिम होशंगाबाद में गिरफ्तार हुए. यह कोर ग्रुप के लोग हैं जो पूरा मोड्यूल चला रहे थे. लखनऊ में सैफुल्लाह काम संभाल रहा था. यूपी पुलिस ने उसके तीन साथी गिरफ्तार किए. इनमें से फखरे आलम ने पूछताछ में माना कि वह इस मोडयूल को हथियार सप्लाई करता था. अभी तक की जांच में सामने आया है कि मुजफ्फर ने धमाके की तस्वीरें सीरिया भेजने की कोशिश की थी और उसके बाद ही एजेंसियां हरकत में आईं.
सैफुल्ला के परिवार ने शव लेने से किया इनकार
सैफुल्ला के परिवार ने उसका शव लेने से इनकार कर दिया है. हालांकि दूसरे परिजनों का कुछ और कहना है. सैफुल्ला के पिता का कहना है कि "हम लोग भारत में रहते हैं. उसने देश के खिलाफ काम किया. वह देशद्रोही था. हम उसका शव लेकर क्या करेंगे."
कानपुर के जाजमऊ में रहता है परिवार
कानपुर पुलिस के एसपी (सिटी) सोमेन वर्मा ने बताया कि सैफुल्ला का परिवार कानपुर के जाजमऊ के बंगालीघाट के पास रहता है. सुबह पुलिस ने परिवार वालों से शव लेने को कहा तो उसके पिता और भाई ने शव लेने से इनकार कर दिया. सैफुल्ला के पिता सरताज ने दोपहर बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि सैफुल्ला ढाई माह पहले तक यहीं रहता था, लेकिन कोई काम नही करता था, इसलिए मैंने उसको मारा था और कुछ काम करने को कहा था. इस पर नाराज होकर वह घर छोड़कर चला गया. उसके बाद उसका कुछ पता नही चला. उन्होंने बताया कि सोमवार 6 मार्च को उसका फोन आया था कि अब्बा हमें सऊदी अरब का वीजा मिल गया है और मैं सऊदी अरब जा रहा हूं, तो मैंने कहा जाओ. उसके बाद आज सुबह उसके मारे जाने की खबर मिली.
गृहमंत्रालय INA के सौंपने जा रहा है जांच
केंद्रीय गृह मंत्रालय अब यह मामला एनआईए को सौंपने जा रहा है. मंत्रालय के मुताबिक इस मामले में जितने भी लोग गिरफ्तार हुए, उन सबकी उम्र 20-30 साल के बीच की है. यह ज्यादातर स्कूल ड्रॉप आउट हैं और खुद को आईआईएस का बताते थे. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि "आईएसआईएस का ग्रुप अपने को बताते थे. तफ्तीश में सामने आएगा कि इनके लिंक बाकी ट्रेनों में हुए धमाकों के साथ थे या नहीं."
खुद को मानता था आईएस का हिस्सा
पुलिस की मानें तो सैफुल्ला खुद को आईएसआईएस का हिस्सा मानता था. यानि वह स्वयंभू कट्टरपंथी था. वह उस मकान में पिछले तीन माह से किराये पर रह रहा था. सैफुल्लाह जिस घर में छिपा हुआ था वहां से बम बनाने के उपकरण, छर्रे, टाइमर, सोना, नकदी, 8 पिस्टल, चाकू, भारी मात्रा में कारतूस और 62 कारतूस के खोखे तथा तीन पासपोर्ट बरामद हुए हैं. (संदिग्ध आतंकी सैफुल्ला का शव लेने से पिता ने किया इनकार | वह बी कॉम पास अकाउंटेंट था, सऊदी अरब जाना चाहता था)
बम बनाना ऑनलाइन सीखा
यूपी पुलिस के एडीजी दलजीत चौधरी का कहना है कि "बहुत सारे नौजवान आईएसआईएस से प्रभावित हो रहे हैं और यह ग्रुप उन्हीं में से एक था. इनसे हमें 45 ग्राम सोना, रियाद की चेकबुक पासपोर्ट ड्राइविंग लाईसेंस और एटीएम कार्ड मिले हैं. पूछताछ में गिरफ्तार हुए आरोपियों ने यह भी बताया है कि उन्होंने बम बनाना ऑनलाइन सीखा." चौधरी ने कहा कि सैफुल्ला को सरेंडर करने के लिए काफी वक्त दिया गया, लेकिन वह नहीं माना और लगातार फायरिंग करता रहा. पुलिस ने काफी संयमित तरीके से फायरिंग का जवाब दिया और उसे जिंदा पकड़ने के लिए मिर्ची बम का भी इस्तेमाल किया. बाद में जवाबी फायरिंग के दौरान वह मारा गया.
सैफुल्ला समेत चार लोग किराये के घर में रह रहे थे
दलजीत चौधरी के मुताबिक सैफुल्ला और 8 अन्य लोग एक गुट के सदस्य थे, जो इस्लामिक स्टेट के ऑनलाइन दुष्प्रचार के जरिए कट्टरपंथी बने. सैफुल्ला समेत चार लोग लखनऊ में किराये के घर में रह रहे थे और इलाके की रेकी कर रहे थे. इन लोगों ने मध्य प्रदेश के शाजापुर में एक ट्रेन में कम तीव्रता का विस्फोट किया था, जिसमें 9 लोग जख्मी हो गए थे. मध्य प्रदेश में इसके तीन साथियों की गिरफ्तारी के बाद उनसे पूछताछ में मिली जानकारी और अन्य सूचनाओं के आधार पर यूपी में इटावा, ओरैया, कानपुर और लखनऊ में दबिश दी गई. लखनऊ को छोड़कर अन्य जगहों से गिरफ्तारियां की गईं.
सैफुल्ला के साथियों की तलाश में यूपी पुलिस
सैफ़ुल्ला के साथियों की तलाश उत्तर प्रदेश की पुलिस कर रही है. सूत्रों के मुताबिक-कानपुर और उसके आसपास कई जगह दो संदिग्धों की तलाश के लिए छापे भी मार रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय को जो रिपोर्ट उत्तर प्रदेश पुलिस ने भेजी है उसके मुताबिक़ मध्य प्रदेश में मंगलवार को एक ट्रेन में हुए बम विस्फोट के बाद उन्हें विभिन्न खुफिया विभागों से लखनऊ, कानपुर और इटावा में संदिग्ध आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी.
दो संदिग्ध आतंकवादियों मोहम्मद फैसल खान और फखरे आलम को उनके ठिकानों से (कानपुर और इटावा से) गिरफ्तार किया गया. फैसल के बड़े भाई मोहम्मद इमरान को भी एक अलग ऑपरेशन के दौरान उन्नाव से गिरफ्तार किया गया और एटीएस ने उनसे पूछताछ शुरू कर दी थी, लेकिन दो लोगों की तलाश अभी चल रही है. जांच से जुड़े अफसर ने एनडीटीवी को बताया कि ATS द्वारा कानपुर से ही गिरफ्तार किए गए दो अन्य संदिग्धों को भीड़ एटीएस के चंगुल से छुड़ाने में सफल रही, लेकिन उनके घरों का पता है और हम जल्द ही उन्हें फिर से हिरासत में ले लेंगे.
बयानों से गृहमंत्रालय नाखुश
सूत्रों के मुताबिक एनकाउंटर के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस की तरफ से एनकाउंटर को लेकर लगातार मीडिया में दिए जा रहे बयानों से भी केंद्रीय गृहमंत्रालय नाख़ुश है. बिना जांच के यह कह देना की सैफुल्ला के आईएसआईएस से संबंध है वह ठीक नहीं है. जांच तसल्ली से होनी चाहिए ना कि रनिंग कमेंटरी की तरह. मंत्रालय ने अपनी नाराज़गी उत्तर प्रदेश के डीजीपी जावेद अहमद को भी बता दी और उनसे संयम से जांच करने को कहा है.
घोषणा से जांच पर पड़ेगा असर
गृहमंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'इस मामले में एफआईआर बुधवार को दर्ज की गई है. पुलिस को जांच पूरी होने तक इंतजार करना चाहिए था उसके बाद इस तरह की घोषणा करते. पहले ही संगठन का नाम घोषित करने से जांच पर असर पड़ सकता है, क्योंकि जो मॉड्यूल है उसके दूसरे सदस्य इस खुलासे से सतर्क हो गए होंगे और सुरक्षित जगह पर छुप गए होंगे.
बम धमाके की तस्वीरें सीरिया भेजने की कोशिश में थे
केंद्रीय गृह मंत्रालय को जो रिपोर्ट मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश पुलिस ने भेजी है उसके मुताबिक भोपाल-उज्जैन ट्रेन में शाजापुर में धमाका हुआ. इस मामले में दानिश, मुजफ्फर और कासिम होशंगाबाद में गिरफ्तार हुए. यह कोर ग्रुप के लोग हैं जो पूरा मोड्यूल चला रहे थे. लखनऊ में सैफुल्लाह काम संभाल रहा था. यूपी पुलिस ने उसके तीन साथी गिरफ्तार किए. इनमें से फखरे आलम ने पूछताछ में माना कि वह इस मोडयूल को हथियार सप्लाई करता था. अभी तक की जांच में सामने आया है कि मुजफ्फर ने धमाके की तस्वीरें सीरिया भेजने की कोशिश की थी और उसके बाद ही एजेंसियां हरकत में आईं.
सैफुल्ला के परिवार ने शव लेने से किया इनकार
सैफुल्ला के परिवार ने उसका शव लेने से इनकार कर दिया है. हालांकि दूसरे परिजनों का कुछ और कहना है. सैफुल्ला के पिता का कहना है कि "हम लोग भारत में रहते हैं. उसने देश के खिलाफ काम किया. वह देशद्रोही था. हम उसका शव लेकर क्या करेंगे."
कानपुर के जाजमऊ में रहता है परिवार
कानपुर पुलिस के एसपी (सिटी) सोमेन वर्मा ने बताया कि सैफुल्ला का परिवार कानपुर के जाजमऊ के बंगालीघाट के पास रहता है. सुबह पुलिस ने परिवार वालों से शव लेने को कहा तो उसके पिता और भाई ने शव लेने से इनकार कर दिया. सैफुल्ला के पिता सरताज ने दोपहर बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि सैफुल्ला ढाई माह पहले तक यहीं रहता था, लेकिन कोई काम नही करता था, इसलिए मैंने उसको मारा था और कुछ काम करने को कहा था. इस पर नाराज होकर वह घर छोड़कर चला गया. उसके बाद उसका कुछ पता नही चला. उन्होंने बताया कि सोमवार 6 मार्च को उसका फोन आया था कि अब्बा हमें सऊदी अरब का वीजा मिल गया है और मैं सऊदी अरब जा रहा हूं, तो मैंने कहा जाओ. उसके बाद आज सुबह उसके मारे जाने की खबर मिली.
गृहमंत्रालय INA के सौंपने जा रहा है जांच
केंद्रीय गृह मंत्रालय अब यह मामला एनआईए को सौंपने जा रहा है. मंत्रालय के मुताबिक इस मामले में जितने भी लोग गिरफ्तार हुए, उन सबकी उम्र 20-30 साल के बीच की है. यह ज्यादातर स्कूल ड्रॉप आउट हैं और खुद को आईआईएस का बताते थे. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि "आईएसआईएस का ग्रुप अपने को बताते थे. तफ्तीश में सामने आएगा कि इनके लिंक बाकी ट्रेनों में हुए धमाकों के साथ थे या नहीं."