व्हीलचेयर पर होने की वजह से रेस्तरां में नहीं मिली एंट्री : शारीरिक रूप से अक्षम कार्यकर्ता

नई दिल्ली:

शारीरिक रूप से अक्षम एक मानवाधिकार कार्यकर्ता को दक्षिण दिल्ली के एक महंगे बार एवं रेस्तरां में प्रवेश नहीं करने दिया गया, जिसकी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने आज आलोचना की। निपुण मल्होत्रा अथरेग्राइपोसिस नामक दुर्लभ पैदायशी बिमारी से पीड़ित हैं। उन्हें शुक्रवार रात रेस्तरां में प्रवेश नहीं करने दिया गया।

निपमान फाउंडेशन के सह संस्थापक मल्होत्रा का आरोप है कि रेस्तरां के गार्ड और मैनेजर ने उसने कहा कि वह शारीरिक रूप से अक्षम हैं, इसलिए उन्हें अंदर जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

मल्होत्रा ने कहा, 'हमारे दोस्तों ने डिनर के लिए केया जाने का फैसला किया था। इसलिए मेरे नौ दोस्त रेस्तरां गए। मेरे एक साथी ने मैनेजर को विनम्रतापूर्वक बताया कि हममें से एक व्यक्ति व्हीलचेयर पर आएगा और उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए वह मेज तक पहुंच पाए।' उन्होंने कहा,  'मैनेजर ने पूछा कि वह दोस्त चोटिल है या शारीरिक रूप से अक्षम है। मेरे मित्र ने जब बताया कि वह शारीरिक रूप से अक्षम है तो मैनेजर ने कहा कि वे शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को एक नीति के तहत भीतर आने की इजाजत नहीं देते।'

मल्होत्रा ने कहा, 'मेरे दोस्त ने जब मुझे इस बारे में बताया तो मैं यकीन नहीं कर पाया और अपने भाई के साथ वहां गया। वहां तैनात गार्ड ने यह कहते हुए हमें अंदर जाने से रोक दिया कि होटल की नीति के तहत शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को भीतर जाने की इजाजत नहीं और उसने मेरी व्हीलचेयर पीछने खींचनी शुरू कर दी।' उन्होंने कहा,  'मैं स्तब्ध था। तब मैनेजर बाहर आया और उसने कहा कि वे अकेले पुरुषों को भीतर नहीं जाने देते। जब मैंने उसे बताया कि मेरे तीन पुरुष मित्र और कई अन्य पहले ही अंदर हैं, तो वह कैसे कह सकते हैं कि वह अकेले पुरुषों को प्रवेश नहीं करने देते।'

वहीं इस मामले में रेस्तरां ने कहा कि इस मामले में गलतफहमी हुई है। रेस्तरां के महाप्रबंधक प्रेमजीत कुमार ने कहा, 'यह साफ तौर पर गलतफहमी का मामला है। होली होने के कारण दरवाजे पर बहुत से ऐसे लोग थे, जिन्होंने शराब पी रखी थी। एहतियातन हम अंदर लड़कों की संख्या सीमित कर रहे थे।'

मैनेजर ने कहा, 'निपुण के साथ दो और लड़के थे और उन्हें अंदर आने की इजाजत देने से पुरुषों की संख्या बढ़ जाती। इसलिए हमने कह दिया कि हम अब अकेले पुरुषों को भीतर नहीं जाने देंगे।'

वहीं डिसएबिलिटी राइट्स ग्रुप के संयोजक जावेद आबिदी ने कहा कि इस मामले के पीछे जो लोग हैं, उन्हें सजा दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, 'यह निस्संदेह गलत बात है। यह निशक्तजन अधिनियम 1995 का उल्लंघन है। इस हरकत की सिर्फ आलोचना ही नहीं होनी चाहिए, बल्कि इस मामले में सजा भी दी जानी चाहिए।'

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तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने मल्होत्रा को अपनी मेल आईडी ट्वीट की और उनसे मामले की जानकारी मांगी। उन्होंने इस मामले को अगले हफ्ते संसद में उठाने का वादा किया। निशक्तजन अधिकार कार्यकर्ता मालविका अय्यर ने कहा, 'हम निशक्तजन के अधिकारों की बात करते हैं, उन्हें शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में शामिल करने की बात करते हैं। लेकिन यह घटना स्पष्ट रूप से दिखाती है कि निशक्तजन के अधिकारों में सबसे बड़ी बाधा समाज का रख है।' उन्होंने कहा, 'यह दर्शाता है कि बड़े स्तर पर लोगों को संवेदनशील बनाने की जरूरत है और हम खुश हैं कि इस घटना पर बात हो रही है।'