प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
सीमा की सुरक्षा में तैनात और आतंकियों से लोहा लेते हमारे सैनिकों की हिफाजत के लिए भारतीय सेना द्वारा दो लाख बुलेटप्रूफ जैकेट की सख्त जरूरत बताए जाने के करीब सात साल बाद आखिरकार इस पर कुछ कदम उठाए जा रहे हैं।
बुलैटप्रूफ जैकेटों का सौदा अंतिम चरण में
हमारे सैनिकों के लिए 50,000 बुलेटप्रूफ जैकेटों की खरीद के लिए टाटा समूह से जुड़े एक सप्लायर के साथ 125 करोड़ रुपये का आपात सौदा अंतिम चरण में है। एक बार सौदा पूरा हो जाने के छह महीनों के अंदर हमारे जवानों को ये बुलेटप्रूफ जैकेट मिल जाने की उम्मीद है।
एनडीटीवी को सूत्रों से पता चला है कि टाटा एडवांस्ड मैटेरियल लिमिटेड अगर उत्पादन-ग्रेड नमूने पेश करता है और वे फील्ड ट्रायल के दौरान दिखाए गए बुलेटप्रूफ जैकेटों की गुणवत्ता से मेल खाते हैं, तो फिर उन्हें यह कॉन्ट्रैक्ट दे दिया जाएगा।
संसदीय समिति ने भी जताई थी चिंता
इस हफ्ते की शुरुआत में रक्षा मामलों को देखने वाली संसदीय समिति ने सैनिकों की हिफाजत के लिए जरूरी बुलैटप्रूफ जैकटों की भारी कमी पर गहरा असंतोष जाहिर किया था। समिति ने कहा था, 'कमेटी के लिए यह अप्रिय आश्चर्य की बात है कि बुलैटप्रूफ की गंभीर कमी की ओर ध्यान दिलाए जाने के बावजूद... हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है, जो कि परेशान करने वाली बात है।'
पिछली बार ट्रायल में फेल हो गए थे जैकेट
सेना को तत्काल आधार पर 50000 बुलेटप्रूफ जैकेटों की खरीद का यह फैसला इसलिए लेना पड़ा, क्योंकि इससे पहले पिछले साल 1.86 लाख बुलेटप्रूफ जैकेटों के ऑर्डर के लिए हुए सेना के ट्रायल में कोई भी प्रतिभागी खरा नहीं उतर सका, जिस वजह यह सौदा पूरा नहीं हो सका। सेना के अनुसार 4 प्रतिभागियों में से केवल एक ही ट्रायल का पहला राउंड पार कर सका और जिस उत्पादक ने पहला राउंड पार किया था वो अगले दौर में फेल हो गया।
इस ट्रायल में जैकेटों को .30 कैलिबर की कवचभेदी गोलियों के सामने अलग अलग परिस्थितियों में अपनी क्षमता का प्रदर्शन करना था। वहीं ट्रायल में नाकाम रहने वाले एक वेंडर के मुताबिक सेना ने यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जस्टिस (NIJ) के लेवल 4 ब्यौरों को बदल दिया और ट्रायल प्रोसेस में 'अजीब कार्य पद्धति' का इस्तेमाल किया।
एनआईजी लेवल 4 के स्तर के जैकेट हासिल करने में नाकाम रहने का मतलब हुआ कि 50,000 जैकेटों के ऑर्डर में सेना को मौजूदा जैकेटों के मुकाबले सेना को कम प्रतिरोधक जैकेट लेना होगा।
बुलैटप्रूफ जैकेटों का सौदा अंतिम चरण में
हमारे सैनिकों के लिए 50,000 बुलेटप्रूफ जैकेटों की खरीद के लिए टाटा समूह से जुड़े एक सप्लायर के साथ 125 करोड़ रुपये का आपात सौदा अंतिम चरण में है। एक बार सौदा पूरा हो जाने के छह महीनों के अंदर हमारे जवानों को ये बुलेटप्रूफ जैकेट मिल जाने की उम्मीद है।
एनडीटीवी को सूत्रों से पता चला है कि टाटा एडवांस्ड मैटेरियल लिमिटेड अगर उत्पादन-ग्रेड नमूने पेश करता है और वे फील्ड ट्रायल के दौरान दिखाए गए बुलेटप्रूफ जैकेटों की गुणवत्ता से मेल खाते हैं, तो फिर उन्हें यह कॉन्ट्रैक्ट दे दिया जाएगा।
संसदीय समिति ने भी जताई थी चिंता
इस हफ्ते की शुरुआत में रक्षा मामलों को देखने वाली संसदीय समिति ने सैनिकों की हिफाजत के लिए जरूरी बुलैटप्रूफ जैकटों की भारी कमी पर गहरा असंतोष जाहिर किया था। समिति ने कहा था, 'कमेटी के लिए यह अप्रिय आश्चर्य की बात है कि बुलैटप्रूफ की गंभीर कमी की ओर ध्यान दिलाए जाने के बावजूद... हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है, जो कि परेशान करने वाली बात है।'
पिछली बार ट्रायल में फेल हो गए थे जैकेट
सेना को तत्काल आधार पर 50000 बुलेटप्रूफ जैकेटों की खरीद का यह फैसला इसलिए लेना पड़ा, क्योंकि इससे पहले पिछले साल 1.86 लाख बुलेटप्रूफ जैकेटों के ऑर्डर के लिए हुए सेना के ट्रायल में कोई भी प्रतिभागी खरा नहीं उतर सका, जिस वजह यह सौदा पूरा नहीं हो सका। सेना के अनुसार 4 प्रतिभागियों में से केवल एक ही ट्रायल का पहला राउंड पार कर सका और जिस उत्पादक ने पहला राउंड पार किया था वो अगले दौर में फेल हो गया।
इस ट्रायल में जैकेटों को .30 कैलिबर की कवचभेदी गोलियों के सामने अलग अलग परिस्थितियों में अपनी क्षमता का प्रदर्शन करना था। वहीं ट्रायल में नाकाम रहने वाले एक वेंडर के मुताबिक सेना ने यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जस्टिस (NIJ) के लेवल 4 ब्यौरों को बदल दिया और ट्रायल प्रोसेस में 'अजीब कार्य पद्धति' का इस्तेमाल किया।
एनआईजी लेवल 4 के स्तर के जैकेट हासिल करने में नाकाम रहने का मतलब हुआ कि 50,000 जैकेटों के ऑर्डर में सेना को मौजूदा जैकेटों के मुकाबले सेना को कम प्रतिरोधक जैकेट लेना होगा।
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