भारत में आधे से अधिक लोगों को जीएसटी के बारे में जानकारी नहीं : सर्वे

सर्वेक्षण में देश के 3.6 लाख लोगों की राय ली गई. इसमें यह तथ्य सामने आया कि तेलुगू भाषी दो राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोगों को जीएसटी के बारे में सबसे अधिक जानकारी है.

भारत में आधे से अधिक लोगों को जीएसटी के बारे में जानकारी नहीं : सर्वे

इस सर्वेक्षण में देश के 3.6 लाख लोगों की राय ली गई है.

खास बातें

  • सर्वेक्षण में देश के 3.6 लाख लोगों की राय ली गई
  • आंध्र प्रदेश-तेलंगाना के लोगों सबसे ज्यादा जानकारी
  • सबसे कम जानकारी तमिलनाडु के लोगों को
नई दिल्ली:

देश में आधे से अधिक लोगों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में जानकारी नहीं है. एक मोबाइल समाचार एप कंपनी के सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है. इस सर्वेक्षण में देश के 3.6 लाख लोगों की राय ली गई. इसमें यह तथ्य सामने आया कि तेलुगू भाषी दो राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोगों को जीएसटी के बारे में सबसे अधिक जानकारी है. इन राज्यों की 64 फीसदी आबादी को इस कर के बारे में पता है. वहीं आनलाइन के सर्वेक्षण के अनुसार जीएसटी के बारे में सबसे कम जानकारी तमिलनाडु के लोगों को है. यह सर्वेक्षण 26 से 30 जून के दौरान किया गया.  वहीं सरकार को भी अब समझ में आ रहा है कि जीएसटी भले लागू हो गया हो, लेकिन बहुत सारे लोग इसको ठीक से समझ तक नहीं पाए हैं. उनके लिए सरकार अब स्पेशल मास्टर क्लास लगाएगी. इसे दूरदर्शन पर छह जुलाई से छह दिन तक हर रोज एक घंटे टेलिकास्ट किया जाएगा.

राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने दिल्ली में मंगलवार को इसका ऐलान किया. यह भी तय किया गया है कि नया जीएसटी कानून लागू करते हुए चीजों के दाम में जो अंतर है, उसकी लोगों को जानकारी दी जाए. खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने मंगलवार को इसके लिए जरूरी निर्देश जारी किए. अब सामान पर जीएसटी से पहले और बाद के दाम भी लिखने होंगे.

लेकिन कपड़ा उद्योग परेशान है कि नायलॉन और सिंथेटिक धागों पर 18 फीसदी जीएसटी तय कर दी गई है. अब भारतीय कपड़ा उद्योग महासंघ ने वित्त मंत्री को चिट्ठी लिखकर इसे 12% पर लाने की मांग की है. महासंघ की सेक्रेटरी जनरल डा एस सुनन्दा ने एनडीटीवी से बातचीत में यह बात कही. कपड़ा उद्योग का 35 फीसदी काम सिंथेटिक और नायलॉन धागों से ही होता है. महासंघ को अंदेशा है कि अगर टैक्स कम नहीं हुआ तो छोटी-मझोली मिलें बंद हो सकती हैं और कामगार बेरोज़गार हो सकते हैं.

जानकारों का कहना है कि चीन, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और थाइलैंड में टैक्स काफी कम है और भारतीय बाज़ार वहां से आए माल से पट सकते हैं. कपड़ा उद्योग की मांग पर सरकार तीन महीने बाद विचार की बात कर रही है. लेकिन सवाल है, पहले से बदहाल बुनकर उद्योग क्या तीन महीने इंतज़ार करने की हालत में है.

(इनपुट भाषा से भी)


 


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com