
जब शराब ही दूर हो गई तो दोनों के एक होने में कोई अड़चन नहीं थी
सासाराम:
शराब घरों को उजाड़ देती है, जबकि शराबबंदी टूटे घरों को बसा देती है। बिहार में शराबबंदी के बाद ऐसा ही एक मामला सामने आया है। 16 साल पहले अलग हुए एक दंपति फिर से एक हो गए हैं। पति-पत्नी ने न केवल पारंपरिक रीति-रिवाज से पुनर्विवाह किया, बल्कि जीवनभर साथ रहने की कसमें भी खाईं। इस विवाह में उनकी बेटी ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
यह वाकया रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम के मोहद्दीगंज का है। अपने माता-पिता के पुनर्विवाह का आमंत्रण कार्ड भी उनकी बेटी ने ही छपवाया और पूरे गांव में बांटा। उसने आमंत्रित लोगों से विवाह समारोह में आने का निवेदन भी किया।
बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने गत बुधवार को आयोजित इस विवाह समारोह में भाग लिया और स्वादिष्ट भोजन का जमकर आनंद लिया। ग्रामीणों के अनुसार, मोहद्दीगंज के 58 वर्षीय जयगोविंद सिंह पूर्व में शराब के आदी थे और सुबह से शाम तक शराब के नशे में डूबे रहते थे। अत्यधिक शराब पीने के कारण उनका पत्नी से अक्सर झगड़ा होता था। प्रतिदिन झगड़े से आजिज आकर 16 साल पहले उनकी पत्नी विजयंती देवी अपनी एक साल की बेटी को लेकर अपने मायके डेहरी चली गई थीं।
बिहार सरकार द्वारा राज्य में इसी महीने से शराबबंदी की घोषणा के बाद जयगोविंद ने शराब से तौबा कर ली। अपने पति के शराब से तौबा करने की जानकारी जब मायके में विजयंती देवी को हुई तो वह भी अपने टूटे घर को फिर से बसाने के सपने देखने लगी। यह बात उन्होंने 16 वर्षीय अपनी बेटी गुड्डी को बताई। गुड्डी ने अपने माता-पिता को फिर से मिलाने का बीड़ा उठाया।
गुड्डी बताती है कि मां और पिता के बीच शराब ही बाधा थी। जब शराब ही दूर हो गई तो दोनों के एक होने में कोई अन्य अड़चन नहीं थी। विजयंती कहती हैं, 'उनमें (जयगोविंद) आया बदलाव मुझे उनके पास खींच लाया। कोई पत्नी अपने पति से अलग नहीं रहना चाहती। अब उन्होंने शराब नहीं पीने का वादा किया है।'
इधर, जयगोविंद भी पुनर्मिलन से खुश हैं। वह कहते हैं, 'अब शराब को जीवनभर हाथ नहीं लगाऊंगा। शराब पीने की लत के चलते मैंने बहुत कुछ खोया है, अब और खोना नहीं चाहता। अब पुनर्मिलन हो गया है।'
गुड्डी खुद को दुनिया की अजूबा बेटी बताते हुए कहती हैं, 'मैं दुनिया में सबसे अजूबा बेटी हूं, जो अपने माता-पिता के पुनर्विवाह में न केवल शामिल हुई, बल्कि पुनर्मिलन की पहल भी की।' वह बताती है कि कार्ड पर आकांक्षी के रूप में भी उसका नाम था। उसने खुद पूरे गांव में शादी का कार्ड बांटा। इस मौके पर वर-वधू पक्ष के परिवार के लोग भी शामिल हुए। आज यह पुनर्विवाह क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
ग्रामीण भी इस विवाह से खुश हैं। ग्रामीणों का कहना है कि शराब ने जिस परिवार को बर्बाद कर दिया था, आज शराबबंदी के बाद वह परिवार फिर से आबाद हो गया है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
यह वाकया रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम के मोहद्दीगंज का है। अपने माता-पिता के पुनर्विवाह का आमंत्रण कार्ड भी उनकी बेटी ने ही छपवाया और पूरे गांव में बांटा। उसने आमंत्रित लोगों से विवाह समारोह में आने का निवेदन भी किया।
बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने गत बुधवार को आयोजित इस विवाह समारोह में भाग लिया और स्वादिष्ट भोजन का जमकर आनंद लिया। ग्रामीणों के अनुसार, मोहद्दीगंज के 58 वर्षीय जयगोविंद सिंह पूर्व में शराब के आदी थे और सुबह से शाम तक शराब के नशे में डूबे रहते थे। अत्यधिक शराब पीने के कारण उनका पत्नी से अक्सर झगड़ा होता था। प्रतिदिन झगड़े से आजिज आकर 16 साल पहले उनकी पत्नी विजयंती देवी अपनी एक साल की बेटी को लेकर अपने मायके डेहरी चली गई थीं।
बिहार सरकार द्वारा राज्य में इसी महीने से शराबबंदी की घोषणा के बाद जयगोविंद ने शराब से तौबा कर ली। अपने पति के शराब से तौबा करने की जानकारी जब मायके में विजयंती देवी को हुई तो वह भी अपने टूटे घर को फिर से बसाने के सपने देखने लगी। यह बात उन्होंने 16 वर्षीय अपनी बेटी गुड्डी को बताई। गुड्डी ने अपने माता-पिता को फिर से मिलाने का बीड़ा उठाया।
गुड्डी बताती है कि मां और पिता के बीच शराब ही बाधा थी। जब शराब ही दूर हो गई तो दोनों के एक होने में कोई अन्य अड़चन नहीं थी। विजयंती कहती हैं, 'उनमें (जयगोविंद) आया बदलाव मुझे उनके पास खींच लाया। कोई पत्नी अपने पति से अलग नहीं रहना चाहती। अब उन्होंने शराब नहीं पीने का वादा किया है।'
इधर, जयगोविंद भी पुनर्मिलन से खुश हैं। वह कहते हैं, 'अब शराब को जीवनभर हाथ नहीं लगाऊंगा। शराब पीने की लत के चलते मैंने बहुत कुछ खोया है, अब और खोना नहीं चाहता। अब पुनर्मिलन हो गया है।'
गुड्डी खुद को दुनिया की अजूबा बेटी बताते हुए कहती हैं, 'मैं दुनिया में सबसे अजूबा बेटी हूं, जो अपने माता-पिता के पुनर्विवाह में न केवल शामिल हुई, बल्कि पुनर्मिलन की पहल भी की।' वह बताती है कि कार्ड पर आकांक्षी के रूप में भी उसका नाम था। उसने खुद पूरे गांव में शादी का कार्ड बांटा। इस मौके पर वर-वधू पक्ष के परिवार के लोग भी शामिल हुए। आज यह पुनर्विवाह क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
ग्रामीण भी इस विवाह से खुश हैं। ग्रामीणों का कहना है कि शराब ने जिस परिवार को बर्बाद कर दिया था, आज शराबबंदी के बाद वह परिवार फिर से आबाद हो गया है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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