चांदना चंद्रशेखर ने दिल को छू लेने वाले एक ट्वीट के ज़रिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचने की कोशिश की है...
बेंगलुरू:
चांदना चंद्रशेखर का नाम पिछले साल अचानक उस समय सुर्खियों में आया था, जब उन्होंने अपने माउंट कारमेल कॉलेज में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से हुई मुलाकात के बाद उन्हें खत भी लिखा... इस दृष्टिहीन बीकॉम छात्रा के उस खत को राहुल गांधी ने ट्वीट भी किया, जिसमें दिव्यांगों की सहायता के उपकरणों पर किसी भी तरह का टैक्स नहीं लगाए जाने का आग्रह किया गया था... चांदना की खुशी का उस समय ठिकाना नहीं रहा था, जब वर्ष 2016 के बजट में इस तरह के उपकरणों पर टैक्स खत्म कर दिया गया, लेकिन अब गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स, यानी जीएसटी के तहत शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के सहायक उपकरणों पर 18 प्रतिशत टैक्स लागू किया जा रहा है, सो, अब चांदना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की उम्मीद है...
चांदना अपनी दृष्टि उस समय पूरी तरह गंवा बैठी थी, जब वह सातवीं कक्षा में पढ़ती थी - और उससे पहले भी उसकी मां उसके पढ़ने के लिए बड़े-बड़े अक्षरों में नोट्स बना दिया करती थी... स्नातक की डिग्री पाने के लिए चांदना ने ब्रेल लिपि में तब्दील की गई किताबों से पढ़ाई की... उसे अंकों और संख्याओं से प्यार है... वह स्नातक होने के बाद से एकाउंट्स के क्षेत्र में ही काम कर रही है... और अब चांदना ने दिल को छू लेने वाले एक ट्वीट के ज़रिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचने की कोशिश की है, और आग्रह किया है कि शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए तैयार किए गए सहायक उपकरणों पर से जीएसटी हटा लिया जाए...
NDTV से बात करते हुए चादना ने कहा, "जीएसटी दृष्टिहीन लोगों को बहुत ज़्यादा प्रभावित करता है, क्योंकि भारत में हम लोगों के लिए सभी तरह की तकनीक और उपलब्ध ब्रेलर इस्तेमाल कर पाना बेहद मुश्किल है, सो, यदि जीएसटी की दर शून्य हो जाए, तो इससे कीमतें कम हो जाएंगी, और इससे बहुत से लोगों को मदद मिलेगी, और वे उन्हें खरीद पाएंगे, और सारे देश में सभी (दिव्यांग) लोग उन उपकरणों तक पहुंच बना पाएंगे..." चांदना ने NDTV को बताया, फिलहाल टैक्स 18 प्रतिशत है - मैंने यही आंकड़ा पढ़ा है - और उनकी इसे पांच फीसदी तक घटाने की योजना है, लेकिन अब भी यह योजना स्तर का ही मामला है...
चांदना उस पेटिशन का भी समर्थन कर रही हैं, जो Change.org पर लगाई गई है, और इसका लक्ष्य 10,000 दस्तखत हासिल कर शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए तैयार किए गए सहायक उपकरणों पर जीएसटी शून्य कर देने लिए दबाव बनाना है...
चांदना की मां लता को इस बात का पूरा यकीन है कि उनकी बेटी का विश्वास और दृढ़निश्चय ज़रूर इच्छित परिणाम हासिल कर पाएगा... उन्होंने कहा, "मुझे लगता है, वह सौ फीसदी कामयाब होगी... वह अपनी मित्र के साथ मिलकर लड़ रही है, और वह ऑनलाइन कैम्पेन से भी जुड़ गई है... उसकी सभी मित्र और हम भी उसका समर्थन कर रहे हैं... मुझे लगता है, इसे (टैक्स को) शून्य कर दिया जाएगा..."
चांदना को फिलहाल प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई जवाब नहीं मिला है, लेकिन देश के हज़ारों दिव्यांगों की ही तरह उसने भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है, और मानती है कि इस मामले में कोई अच्छी ख़बर जल्द ही उन्हें सुनने को मिलेगी...
चांदना अपनी दृष्टि उस समय पूरी तरह गंवा बैठी थी, जब वह सातवीं कक्षा में पढ़ती थी - और उससे पहले भी उसकी मां उसके पढ़ने के लिए बड़े-बड़े अक्षरों में नोट्स बना दिया करती थी... स्नातक की डिग्री पाने के लिए चांदना ने ब्रेल लिपि में तब्दील की गई किताबों से पढ़ाई की... उसे अंकों और संख्याओं से प्यार है... वह स्नातक होने के बाद से एकाउंट्स के क्षेत्र में ही काम कर रही है... और अब चांदना ने दिल को छू लेने वाले एक ट्वीट के ज़रिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचने की कोशिश की है, और आग्रह किया है कि शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए तैयार किए गए सहायक उपकरणों पर से जीएसटी हटा लिया जाए...
NDTV से बात करते हुए चादना ने कहा, "जीएसटी दृष्टिहीन लोगों को बहुत ज़्यादा प्रभावित करता है, क्योंकि भारत में हम लोगों के लिए सभी तरह की तकनीक और उपलब्ध ब्रेलर इस्तेमाल कर पाना बेहद मुश्किल है, सो, यदि जीएसटी की दर शून्य हो जाए, तो इससे कीमतें कम हो जाएंगी, और इससे बहुत से लोगों को मदद मिलेगी, और वे उन्हें खरीद पाएंगे, और सारे देश में सभी (दिव्यांग) लोग उन उपकरणों तक पहुंच बना पाएंगे..." चांदना ने NDTV को बताया, फिलहाल टैक्स 18 प्रतिशत है - मैंने यही आंकड़ा पढ़ा है - और उनकी इसे पांच फीसदी तक घटाने की योजना है, लेकिन अब भी यह योजना स्तर का ही मामला है...
चांदना उस पेटिशन का भी समर्थन कर रही हैं, जो Change.org पर लगाई गई है, और इसका लक्ष्य 10,000 दस्तखत हासिल कर शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए तैयार किए गए सहायक उपकरणों पर जीएसटी शून्य कर देने लिए दबाव बनाना है...
चांदना की मां लता को इस बात का पूरा यकीन है कि उनकी बेटी का विश्वास और दृढ़निश्चय ज़रूर इच्छित परिणाम हासिल कर पाएगा... उन्होंने कहा, "मुझे लगता है, वह सौ फीसदी कामयाब होगी... वह अपनी मित्र के साथ मिलकर लड़ रही है, और वह ऑनलाइन कैम्पेन से भी जुड़ गई है... उसकी सभी मित्र और हम भी उसका समर्थन कर रहे हैं... मुझे लगता है, इसे (टैक्स को) शून्य कर दिया जाएगा..."
चांदना को फिलहाल प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई जवाब नहीं मिला है, लेकिन देश के हज़ारों दिव्यांगों की ही तरह उसने भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है, और मानती है कि इस मामले में कोई अच्छी ख़बर जल्द ही उन्हें सुनने को मिलेगी...
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