आयोग ने मदरबोर्ड बदलकर महज 90 सेकेंड में EVM में गड़बड़ी करने के दावे को खारिज कर दिया...
नई दिल्ली:
चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी द्वारा ईवीएम में आसानी से छेड़छाड़ करने के दावे को ठुकरा दिया है. दिल्ली विधानसभा में इस मुद्दे पर आहूत विशेष सत्र में ईवीएम के साथ छेड़छाड़ के सजीव प्रदर्शन पर आयोग की ओर से जारी प्रतिक्रिया में कहा गया है कि जिस मशीन पर यह प्रदर्शन किया गया है वह आयोग की मशीन नहीं है. आयोग की ओर से जारी आधिकारिक बयान में आप के दावे को सच्चाई से दूर बताते हुये कहा गया है कि ईवीएम में छेड़छाड़ संभव नहीं है. आयोग ने ईवीएम का मदरबोर्ड बदलकर महज 90 सेकेंड में गड़बड़ी करने के विधायक सौरभ भारद्वाज के दावे को भी पूरी तरह खारिज कर दिया.
आयोग की तकनीकी समिति की सदस्य रजत मोना ने कहा, "विधानसभा में जिस मशीन पर छेड़छाड़ का प्रदर्शन किया गया है वह ईवीएम की तरह दिखने वाला एक उपकरण मात्र है, ईवीएम नहीं. इस मशीन के आधार पर ईवीएम को हैक करने का दावा निराधार है." मोना भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भिलाई की निदेशक भी हैं.
बयान में कहा गया है कि "आयोग को मीडिया रिपोटरें के मार्फत दिल्ली विधानसभा में ईवीएम जैसी दिखने वाली एक मशीन के साथ छेड़छाड़ करने के सजीव प्रदर्शन की जानकारी मिली है. लेकिन समझने वाली बात यह है कि ईवीएम जैसी दिखने वाली कोई मशीन बनाकर इसमें गड़बड़ी करने का प्रदर्शन किया जा सकता है लेकिन इसके आधार पर यह कहना सही नहीं होगा कि आयोग के ईवीएम के साथ भी ऐसी ही छेड़छाड़ की जा सकती है." आयोग ने कहा कि ईवीएम से मिलती -जुलती मशीन में प्रोग्रामिंग कर अपनी मर्जी के मुताबिक इसमें छेड़छाड़ का कथित प्रदर्शन कर चुनाव आयोग की मशीनों में गड़बड़ी का दावा देश के समझदार नागरिकों को प्रभावित नहीं कर सकता है.
इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में ईवीएम से मिलती जुलती मशीन से छेड़छाड़ के प्रदर्शन का हवाला देते हुये ईवीएम का मदरबोर्ड बदलकर महज 90 सेकेंड में गड़बड़ी करने की आयोग को चुनौती दी थी. आयोग ने कहा कि ईवीएम में गड़बड़ी की शंकाओं को दूर करने के लिये ही निर्वाचन आयोग ने 12 मई को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. इसमें ईवीएम को गड़बड़ी से मुक्त रखने के लिए किए गए सुरक्षा उपायों की विस्तार से राजनीतिक दलों को जानकारी दी जायेगी. साथ ही आयोग इन जानकारियों को पहले ही अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर चुका है.
आयोग की तकनीकी समिति की सदस्य रजत मोना ने कहा, "विधानसभा में जिस मशीन पर छेड़छाड़ का प्रदर्शन किया गया है वह ईवीएम की तरह दिखने वाला एक उपकरण मात्र है, ईवीएम नहीं. इस मशीन के आधार पर ईवीएम को हैक करने का दावा निराधार है." मोना भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भिलाई की निदेशक भी हैं.
बयान में कहा गया है कि "आयोग को मीडिया रिपोटरें के मार्फत दिल्ली विधानसभा में ईवीएम जैसी दिखने वाली एक मशीन के साथ छेड़छाड़ करने के सजीव प्रदर्शन की जानकारी मिली है. लेकिन समझने वाली बात यह है कि ईवीएम जैसी दिखने वाली कोई मशीन बनाकर इसमें गड़बड़ी करने का प्रदर्शन किया जा सकता है लेकिन इसके आधार पर यह कहना सही नहीं होगा कि आयोग के ईवीएम के साथ भी ऐसी ही छेड़छाड़ की जा सकती है." आयोग ने कहा कि ईवीएम से मिलती -जुलती मशीन में प्रोग्रामिंग कर अपनी मर्जी के मुताबिक इसमें छेड़छाड़ का कथित प्रदर्शन कर चुनाव आयोग की मशीनों में गड़बड़ी का दावा देश के समझदार नागरिकों को प्रभावित नहीं कर सकता है.
इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में ईवीएम से मिलती जुलती मशीन से छेड़छाड़ के प्रदर्शन का हवाला देते हुये ईवीएम का मदरबोर्ड बदलकर महज 90 सेकेंड में गड़बड़ी करने की आयोग को चुनौती दी थी. आयोग ने कहा कि ईवीएम में गड़बड़ी की शंकाओं को दूर करने के लिये ही निर्वाचन आयोग ने 12 मई को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. इसमें ईवीएम को गड़बड़ी से मुक्त रखने के लिए किए गए सुरक्षा उपायों की विस्तार से राजनीतिक दलों को जानकारी दी जायेगी. साथ ही आयोग इन जानकारियों को पहले ही अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर चुका है.
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