आतंकवाद-रोधी कानून के तहत गिरफ्तार किए गए जनजातीय कार्यकर्ता स्टैन स्वामी का लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया है. एल्गार परिषद मामले में उन्हें पिछले साल गिरफ्तार किया गया था. उनके वकील ने सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट को आज इसकी जानकारी दी. 84 साल के जेसुइत पादरी और कार्यकर्ता स्टैन स्वामी कल से ही वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे.
28 मई को कोर्ट की तरफ से मिले आदेश के बाद से उनका मुंबई के होली फैमिली अस्पताल में इलाज चल रहा था. उन्हें अदालत के आदेश पर 28 मई को नवी मुंबई के तलोजा जेल से अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत के लिए इस साल की शुरुआत में उनके वकील मिहिर देसाई के जरिये दायर याचिका में स्वामी ने दावा किया था कि वह पार्किंसन सहित कई बीमारियों से ग्रस्त हैं. पिछले महीने अस्पताल में स्वामी को कोरोनावायरस से संक्रमित पाया गया, जिसके बाद उन्हें आईसीयू में ट्रांसफर किया गया था.
NIA ने जमानत याचिका का किया था विरोध
बता दें कि एल्गार परिषद मामले में स्वामी और उनके सह आरोपियों पर नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी ने आरोप लगाया है. एजेंसी के मुताबिक आरोपी मुखौटा संगठन के सदस्य हैं जो प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के लिए काम करता है. एनआईए ने पिछले महीने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर स्वामी की जमानत याचिका का विरोध किया था. एजेंसी ने कहा कि उनकी बीमारी का ‘निर्णायक सबूत' नहीं है. हलफनामे में कहा गया कि स्वामी माओवादी हैं, जिन्होंने देश में अशांति पैदा करने की साजिश रची.
एल्गार परिषद मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 को आयोजित संगोष्ठी में कथित भड़काऊ भाषण से जुड़ा है. पुलिस का दावा है कि इस भाषण की वजह से अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई. पुलिस का दावा है कि इस संगोष्ठी का आयोजन करने वालों का संबंध माओवादियों के साथ था.
(भाषा से इनपुट के साथ)
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