देश में भले ही फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन कर लंबित मुकदमों के निपटारे में तेजी लाने की कवायद की जा रही है, लेकिन लंबित मामलों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है. सरकार ने लोकसभा में शुक्रवार को जानकारी दी है कि देश की विभिन्न अदालतों में 4.70 करोड़ से अधिक मुकदमे अटके हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट में ही 70,154 मुकदमे लंबित है. देश की 25 हाईकोर्ट में भी 58 लाख 94 हजार 60 केस अटके हुए हैं. इन लंबित मुकदमों की संख्या दो मार्च तक की है. कानून मंत्री किरेण रिजिजू ने लोकसभा में लिखित जवाब में कहा कि 4,10,47,976 मुकदमे देश की जिला और अन्य अधीनस्थ अदालतों में लंबित हैं. नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड ( National Judicial Data Grid) अंडमान एंड निकोबार, लक्षद्वीप और अरुणाचल प्रदेश के आंकड़े इसमें शामिल नहीं है. रिजिजू ने कहा, कुल 4,70,12,190 केस देश की विभिन्न अदालतों में अटके हुए हैं.
रिजिजू ने कहा कि ये लंबित मामले न्यायालय के क्षेत्राधिकार में हैं. उन्होंने कहा कि अदालतों में इन मुकदमों के निपटारे की कोई समयसीमा तय नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि मुकदमों के समयबद्ध तरीके से निपटारा जजों और न्यायिक अधिकारियों की संख्या, कोर्ट स्टाफ, कोर्ट से जुड़े संसाधनों , साक्ष्यों और सबूतों की जटिलता, जांच एजेंसी, गवाह और याचिकाकर्ताओं, नियम-प्रक्रिया पर निर्भर करता है.
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