डिजिटल मीडिया में एफडीआई (FDI) को लेकर सरकार ने जानकारी दी है. सरकार का मकसद आत्मनिर्भर और जवाबदेह डिजिटल न्यूज मीडिया इकोसिस्टम बनाना है और इसके जरिए सरकार चीनी डिजिटल मीडिया पर भी नकेल कसेगी. डिजिटल मीडिया में 26 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति दी गई है. इसके लिए सरकार की अनुमति की आवश्यकता होगी. यह वेबसाइट, ऐप या अन्य प्लेटफॉर्म पर न्यूज और करेंट अफेयर्स अपलोड या स्ट्रीम करने वालों पर लागू होगी.
डिजिटल मीडिया को समाचार देने वाली समाचार एजेंसियों पर भी लागू होगी. न्यूज एग्रीगेटर भी इसके दायरे में आएंगे. इसके लिए सरकार ने सभी डिजीटल मीडिया न्यूज संस्थानों को एक वर्ष का समय दिया गया है, ताकि वे शेयर होल्डिंग की जरूरतों को पूरा कर सकें. 26 प्रतिशत एफडीआई केवल भारत में पंजीकृत या स्थित संस्थानों पर ही लागू होगा.
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इसके ये फायदे हैं कि रेग्यूलटेरी ओवरसाइट बनाई जा सकती है. सीईओ भारतीय नागरिक होना चाहिए. विदेशियों के लिए सुरक्षा मंजूरी जरूरी है. अभी तक ये सारे पैमाने ब्रॉडकास्ट मीडिया में थे लेकिन अब ये डिजिटल मीडिया में भी होंगे.
ऐसा माना जा रहा है कि इससे चीनी और विदेशी डिजिटल मीडिया पर नियंत्रण होगा. डेली हंट, हेलो, यूसी न्यूज, ओपेरा न्यूज, न्यूज डॉग आदि चीनी या विदेशी नियंत्रण वाले डिजिटल मीडिया हैं. ये भारत के हितों को चोट पहुंचा सकते हैं और चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं. सही एफडीआई निवेश जो भारतीय हितों के प्रतिकूल न हों, को मंजूरी दी जाएगी. सीईओ के भारतीय होने की शर्त से भारतीय हितों को चोट नहीं पहुंचेगी.
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भारतीय हितों को प्राथमिकता मिलेगी. सस्ता इंटरनेट डेटा और इंटरनेट का बहुत ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है. फेक न्यूज और सूचना युद्ध का वास्तविक खतरा है. खासतौर से पड़ोसी देशों से. अमेरिका में चुनावों को प्रभावित करने का आरोप लग रहा है. इन नीतिगत फैसलों से इस तरह के खतरों को दूर करने में मदद मिलेगी.
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भारतीय डिजिटल मीडिया कंपनियों को लेवल प्लेइंग फील्ड मिलेगा. डिजिटल मीडिया में काम करने वाले पत्रकारों को पीआईबी की ओर वे तमाम सुविधाएं देने पर विचार किया जा रहा है जो अन्य मीडिया के पत्रकारों को मिलती हैं.
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