नई दिल्ली:
इस बच्ची की उम्र सिर्फ 20 साल है, और आज की तारीख में वह एक ऐसा नाम बन चुकी है, जिसे दिल्ली की कोई राजनैतिक पार्टी उसे नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती। लॉ की तीसरे साल की छात्रा रूबी मलिक ने कोर्ट पहुंचकर आरोप लगाया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (Delhi University Students' Union - DUSU) के लिए हो रहे चुनाव में सभी पार्टियां सभी तरह की सीमाएं लांघ रही हैं।
वैसे, देश के कई मौजूदा बड़े नेता दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की ही देन हैं, जिनमें वित्तमंत्री अरुण जेटली, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता विजय गोयल तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन शामिल हैं। इस साल का चुनाव होने में सिर्फ चार दिन रह गए हैं, और इस बार की खास बात यह है कि दिल्ली की गद्दी पर आरूढ़ आम आदमी पार्टी भी अपनी युवा शाखा - छात्र युवा संघर्ष समिति (सीवाईएसएस) - के जरिये पहली बार इस दौड़ में शामिल है, जिसका सीधा मुकाबला बीजेपी की छात्र शाखा - अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) - तथा कांग्रेस की छात्र शाखा - नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) - से होगा।
रूबी ने NDTV के शो 'एजेंडा' के दौरान कहा, "आप देखिए, पूरे कैम्पस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कितने बड़े-बड़े होर्डिंग लगे हुए हैं, और आपको पता चल जाएगा कि ये लोग कितना पैसा खर्च कर रहे हैं..." रूबी का दावा है कि उनका किसी राजनैतिक दल से कोई संबंध नहीं है, और न ही वह राजनीति में करियर बनाने की इच्छुक हैं। उनके मुताबिक, उनका एकमात्र मकसद यह सुनिश्चित करना है कि चुनाव के दौरान सभी को बराबरी का मौका मिले, और चुनाव निर्देशों का पालन किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमोदित नियमों के अनुसार, कॉलेज-स्तरीय चुनाव के लिए कोई भी प्रत्याशी अधिकतम 5,000 रुपये खर्च कर सकता है, तथा प्रचार सामग्री तथा नारों के लिए सार्वजनिक संपत्ति का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। वाहनों का जुलूस भी छपे हुए पोस्टरों के साथ नहीं निकाला जा सकता, हालांकि हाथ से बने पोस्टर इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
किसी भी कैम्पस में जाने पर साफ दिखाई देता है कि इन निर्देशों को कैसे खुलेआम नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। भगत सिंह कॉलेज में छपे हुए चुनावी पैम्फ्लेट बाटते एक शख्स ने कहा, "खर्चा तो लाखों में भी हो जाता है... पिछले साल तो उन्होंने (प्रत्याशियों ने) वोटरों को फिल्मों की टिकट और फन एंड फूड विलेज (एम्यूज़मेंट पार्क) के ट्रिप ऑफर किए थे, जिनके लिए ढेरों पैसा खर्च होता है..."
जब NDTV ने दिल्ली पुलिस से संपर्क किया, तो उनके प्रवक्ता ने पुष्टि की कि इस मुद्दे पर सभी पार्टियां दोषी हैं। आम आदमी पार्टी की भूमिका को लेकर प्रवक्ता ने कहा, "बस स्टैंडों पर विज्ञापनों की जगह खरीदी जा रही है, जिन पर प्रचार किया जा रहा है कि उन्हें 46 फीसदी वोट मिलने जा रहे हैं... उनके अलावा एबीवीपी और एनएसयूआई भी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं..."
वैसे, देश के कई मौजूदा बड़े नेता दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की ही देन हैं, जिनमें वित्तमंत्री अरुण जेटली, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता विजय गोयल तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन शामिल हैं। इस साल का चुनाव होने में सिर्फ चार दिन रह गए हैं, और इस बार की खास बात यह है कि दिल्ली की गद्दी पर आरूढ़ आम आदमी पार्टी भी अपनी युवा शाखा - छात्र युवा संघर्ष समिति (सीवाईएसएस) - के जरिये पहली बार इस दौड़ में शामिल है, जिसका सीधा मुकाबला बीजेपी की छात्र शाखा - अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) - तथा कांग्रेस की छात्र शाखा - नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) - से होगा।
रूबी ने NDTV के शो 'एजेंडा' के दौरान कहा, "आप देखिए, पूरे कैम्पस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कितने बड़े-बड़े होर्डिंग लगे हुए हैं, और आपको पता चल जाएगा कि ये लोग कितना पैसा खर्च कर रहे हैं..." रूबी का दावा है कि उनका किसी राजनैतिक दल से कोई संबंध नहीं है, और न ही वह राजनीति में करियर बनाने की इच्छुक हैं। उनके मुताबिक, उनका एकमात्र मकसद यह सुनिश्चित करना है कि चुनाव के दौरान सभी को बराबरी का मौका मिले, और चुनाव निर्देशों का पालन किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमोदित नियमों के अनुसार, कॉलेज-स्तरीय चुनाव के लिए कोई भी प्रत्याशी अधिकतम 5,000 रुपये खर्च कर सकता है, तथा प्रचार सामग्री तथा नारों के लिए सार्वजनिक संपत्ति का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। वाहनों का जुलूस भी छपे हुए पोस्टरों के साथ नहीं निकाला जा सकता, हालांकि हाथ से बने पोस्टर इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
किसी भी कैम्पस में जाने पर साफ दिखाई देता है कि इन निर्देशों को कैसे खुलेआम नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। भगत सिंह कॉलेज में छपे हुए चुनावी पैम्फ्लेट बाटते एक शख्स ने कहा, "खर्चा तो लाखों में भी हो जाता है... पिछले साल तो उन्होंने (प्रत्याशियों ने) वोटरों को फिल्मों की टिकट और फन एंड फूड विलेज (एम्यूज़मेंट पार्क) के ट्रिप ऑफर किए थे, जिनके लिए ढेरों पैसा खर्च होता है..."
जब NDTV ने दिल्ली पुलिस से संपर्क किया, तो उनके प्रवक्ता ने पुष्टि की कि इस मुद्दे पर सभी पार्टियां दोषी हैं। आम आदमी पार्टी की भूमिका को लेकर प्रवक्ता ने कहा, "बस स्टैंडों पर विज्ञापनों की जगह खरीदी जा रही है, जिन पर प्रचार किया जा रहा है कि उन्हें 46 फीसदी वोट मिलने जा रहे हैं... उनके अलावा एबीवीपी और एनएसयूआई भी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं..."
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