कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी के अन्य नेता (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
प्रियंका गांधी का नाम बार-बार मीडिया में उछाले जाने से दस जनपथ नाराज़ है। सूत्रों की मानें तो दस जनपथ का मानना है कि इससे सुर्खियां तो मिलती हैं, लेकिन पार्टी की इमेज को नुकसान पहुंच रहा है। ऐसा संदेश जाता है कि पार्टी किसी फैसले पर नहीं पहुंच पा रही। यूपी में पार्टी को मज़बूती देने के लिए हर पहलू पर विचार और मंथन जारी है और किसी अंतिम फैसले पर पहुंचने से पहले पार्टी हर नफा-नुकसान देख लेना चाहती है।
सूत्र बताते हैं कि बार-बार प्रियंका का नाम उछाले जाने से ग़लत संदेश जा रहा है। प्रियंका की बड़ी भूमिका की ज़रूरत को समझा जा रहा है और उस पर विचार भी हो रहा है लेकिन सुर्खियां बटोरने के चक्कर में ऐसा लग रहा है कि प्रदेश में पार्टी सिर्फ प्रियंका की ओर देख रही है। इससे राहुल गांधी की क्षमता को नज़रअंदाज़ किए जाने का संदेश भी जाता है।
मंगलवार को जब प्रियंका के पूरी तरह से राजनीति में उतरने और इस बाबत कांग्रेस की तरफ से बड़े ऐलान की ख़बर के बाद प्रियंका गांधी की तरफ से यह साफ किया गया कि अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। सिद्धांतत: प्रियंका को यूपी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रचार में बड़ी भूमिका निभाने को तैयार बताया जा रहा है लेकिन वो कितना बड़ा और कैसा हो, इस पर विचार चल रहा है। मंगलवार को पार्टी के मीडिया इंचार्ज रणदीप सुरजेवाला ने साफ किया कि पार्टी प्रियंका गांधी को लेकर कोई भी अंतिम फैसले पर पहुंचेगी तो मीडिया को सूचित किया जाएगा। पार्टी प्रवक्ता की तरफ से इस बयान के बाद भी देर शाम ख़ुद उत्तर प्रदेश के प्रभारी ग़ुलाम नबी आज़ाद को भी स्थिति साफ करनी पड़ी।
सूत्रों के मुताबिक़ आज़ाद मंगलवार को जब दस जनपथ में बैठक कर रहे थे तो इस खबर के खंडन की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया। तभी देर शाम उन्होने कैमरे के सामने आकर पार्टी की स्थिति रखी। सूत्र ये भी बता रहे हैं कि उत्तर प्रदेश इकाई के जिस नेता ने प्रियंका गांधी की डेढ सौ रैलियों की बात कही, उसे आज़ाद ने बाद में फटकार लगाई। प्रशांत किशोर को पार्टी के रणनीतिकार के तौर पर कांग्रेस लेकर आयी है। गांधी परिवार उनके सुझावों को पूरी अहमियत दे रहा है और उस हिसाब से आगे बढ़ने की कोशिश भी कर रहा है। यहां तक की किशोर को रणनीति बनाने के लिए 'फ्री हैंड' भी दिया गया है। पार्टी और गांधी परिवार को चर्चा में बनाए रखने की प्रशांत किशोर की रणनीति से भी दस जनपथ को कोई परेशानी नहीं है। लेकिन इसकी एक लक्ष्मण रेखा होनी चाहिए] इसकी ज़रूरत भी समझी जा रही है।
सूत्र बताते हैं कि बार-बार प्रियंका का नाम उछाले जाने से ग़लत संदेश जा रहा है। प्रियंका की बड़ी भूमिका की ज़रूरत को समझा जा रहा है और उस पर विचार भी हो रहा है लेकिन सुर्खियां बटोरने के चक्कर में ऐसा लग रहा है कि प्रदेश में पार्टी सिर्फ प्रियंका की ओर देख रही है। इससे राहुल गांधी की क्षमता को नज़रअंदाज़ किए जाने का संदेश भी जाता है।
मंगलवार को जब प्रियंका के पूरी तरह से राजनीति में उतरने और इस बाबत कांग्रेस की तरफ से बड़े ऐलान की ख़बर के बाद प्रियंका गांधी की तरफ से यह साफ किया गया कि अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। सिद्धांतत: प्रियंका को यूपी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रचार में बड़ी भूमिका निभाने को तैयार बताया जा रहा है लेकिन वो कितना बड़ा और कैसा हो, इस पर विचार चल रहा है। मंगलवार को पार्टी के मीडिया इंचार्ज रणदीप सुरजेवाला ने साफ किया कि पार्टी प्रियंका गांधी को लेकर कोई भी अंतिम फैसले पर पहुंचेगी तो मीडिया को सूचित किया जाएगा। पार्टी प्रवक्ता की तरफ से इस बयान के बाद भी देर शाम ख़ुद उत्तर प्रदेश के प्रभारी ग़ुलाम नबी आज़ाद को भी स्थिति साफ करनी पड़ी।
सूत्रों के मुताबिक़ आज़ाद मंगलवार को जब दस जनपथ में बैठक कर रहे थे तो इस खबर के खंडन की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया। तभी देर शाम उन्होने कैमरे के सामने आकर पार्टी की स्थिति रखी। सूत्र ये भी बता रहे हैं कि उत्तर प्रदेश इकाई के जिस नेता ने प्रियंका गांधी की डेढ सौ रैलियों की बात कही, उसे आज़ाद ने बाद में फटकार लगाई। प्रशांत किशोर को पार्टी के रणनीतिकार के तौर पर कांग्रेस लेकर आयी है। गांधी परिवार उनके सुझावों को पूरी अहमियत दे रहा है और उस हिसाब से आगे बढ़ने की कोशिश भी कर रहा है। यहां तक की किशोर को रणनीति बनाने के लिए 'फ्री हैंड' भी दिया गया है। पार्टी और गांधी परिवार को चर्चा में बनाए रखने की प्रशांत किशोर की रणनीति से भी दस जनपथ को कोई परेशानी नहीं है। लेकिन इसकी एक लक्ष्मण रेखा होनी चाहिए] इसकी ज़रूरत भी समझी जा रही है।
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