
17 वर्षीय भारतीय छात्र अगस्त्या सिन्हा को अपने शिक्षण कार्यक्रमों के लिए वैश्विक मान्यता मिली है. अगस्त्या ने क्लाउड कैनवस प्लेटफॉर्म (Cloud Canvas platform) लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य छात्रों के विज्ञान सीखने के तरीके को बदलना है. अगस्त्या को प्रतिष्ठित डायनर (Diner) अवार्ड जैसी वैश्विक मान्यता मिली है और उनके काम को शीर्ष 100 वैश्विक शिक्षा नवाचारों (innovations) में शॉर्टलिस्ट किया गया है. उनके प्लेटफ़ॉर्म क्लाउड कैनवास का आज सात देशों में 14,000 से अधिक लोगों द्वारा उपयोग किया जाता है.
खुद पढ़ने में होती थी दिक्कत
अगस्त्या सिन्हा ने NDTV से इस सफलता पर बात की. अगस्त्या सिन्हा ने कहा कि मैंने इस धरती पर अपने 17 साल के छोटे से अनुभव को पूरी तरह से विज्ञान सीखने के लिए समर्पित कर दिया. यह सब कुछ साल पहले शुरू हुआ, जब मैं खुद वास्तव में अपनी सीखने की चुनौतियों से जूझ रहा था. मैंने अपनी पूरी कोशिश की. मैं किसी भी चीज़ और हर चीज़ में घंटों और घंटों और घंटों का प्रयास करता हूं, लेकिन किसी कारण से मैं सफलता नहीं मिल रही थी और इससे भी अधिक, शिक्षा और सीखना मेरे लिए कोई संतुष्टिदायक अनुभव नहीं था. खास बात यह है कि यह सब मेरे माता-पिता, मेरे स्कूल से मिले अत्यधिक समर्थन के बावजूद था. किसी कारण से, मेरी सीखने की यात्रा में कुछ कमी थी, जिसके कारण मैं पिछड़ गया.
सीखना सबसे जरूरी
अगस्त्या ने कहा कि यही कारण है कि 2.5 या इतने वर्ष पहले, मैंने यह जानने की कोशिश में अपनी यात्रा शुरू की थी कि मैं यथासंभव सबसे कुशल और प्रभावी शिक्षार्थी बनने के लिए क्या कर सकता हूं और इसीलिए मैंने क्लाउड कैनवस नामक एक शिक्षण मंच और लर्न टू लर्न (learn to learn) नामक एक शिक्षण पाठ्यक्रम बनाया ताकि आप यथासंभव सबसे कुशल और प्रभावी शिक्षार्थी बन सकें. यह वास्तव में अन्य पारंपरिक मॉड्यूल से कैसे अलग है के बारे में बताते हुए अगस्त्या सिन्हा ने कहा कि मुझे लगता है कि सबसे जरूरी चीज जो हमें गहराई से समझने से पहले समझनी होगी, वह है वास्तव में सीखना.
कैसे पढ़ें
अगस्त्या ने कहा कि इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या करते हैं, चाहे आप गणितज्ञ(mathematician), भौतिक विज्ञानी (physicist), रसायनज्ञ (chemist)या दार्शनिक (philosopher) बनना चाहते हों. जीवन में प्रत्येक प्रयास के केंद्र में सीखने का कार्य है. तो अब जब हम जानते हैं कि सीखना हमारे जीवन के सभी पहलुओं में एक अभिन्न तत्व है, तो कोई भी वास्तव में हमारे पास बैठकर यह नहीं कहता है, अरे, आपको वास्तव में इस तरह सीखना चाहिए? यह पूरी विचार प्रक्रिया है, जो इस पाठ्यक्रम को बनाने की दिशा में चली गई ताकि मैं आपको पढ़ा सकूं और उन सभी संसाधनों को जुटा सकूं, जिनका उपयोग मैंने आपको यह बताने के लिए किया है कि कैसे सबसे कुशल और प्रभावी शिक्षार्थी संभव हो.
क्या बनाया है
अगस्त्या सिन्हा ने अपने पाठ्यक्रमों के बारे में बताते हुए कहा कि मैंने पाया कि अंतरिक्ष पुनरावृत्ति (space repetition), एमईएनए, अनुभूति और गहरी एकाग्रता जैसी छोटी चीजें सीखने की तकनीकों को हमारे पारंपरिक पाठ्यक्रमों में बहुत कम ही लिया गया है. कोई भी वास्तव में इस कुशल शिक्षार्थी होने की प्रक्रिया पर जोर नहीं देता है. सबसे महत्वपूर्ण बात जो मुझे मिली वह यह है कि आप सिद्धांत (theory) और अनुप्रयोग (application) को कैसे जोड़ सकते हैं? क्योंकि एक छात्र के रूप में मेरे व्यक्तिगत अनुभव से, 1 से 12 कक्षा तक के छात्र के रूप में, यदि आप हमें सिद्धांत का एक टुकड़ा सौंपते हैं, तो यह बहुत अच्छा है, लेकिन आप वास्तव में इसे कैसे लागू करते हैं? तो यह मेरे पाठ्यक्रम का मुख्य बिंदु है. मैं आपको एक सिद्धांत प्रस्तुत करता हूं कि एक अवधारणा क्यों काम करती है जो दुनिया भर में सिद्ध है और, अधिक महत्वपूर्ण बात, एक अनुप्रयोग है.
आगे क्या करेंगे
अगस्त्या ने कहा कि मैं बहुत भाग्यशाली रहा हूं कि मुझे एन 50 द्वारा अनगिनत संगठनों ने स्वीकार किया, जो अमेरिका में एक वैश्विक सामूहिक संगठन है. मुझे वैश्विक एडोब शिक्षा शिखर सम्मेलन में बोलने का मौका मिला और मुझे डायन पुरस्कार मिला और 100 नामक फिनिश (Finnish) संगठन द्वारा पाठ में शीर्ष 100 के रूप में चुना गया. इसलिए सबसे महत्वपूर्ण बात जो मुझे मिली वह यह है, हालांकि मेरे मंच पर 14,000 उपयोगकर्ता हैं. मैं वास्तव में भारत के सीखने के तरीके को कैसे बदल सकता हूं? मैं यह कैसे सुनिश्चित कर सकता हूं कि पूरे भारत में प्रत्येक छात्र, चाहे आप उत्तर भारत में हों या दक्षिण भारत में, इन शिक्षण तकनीकों तक पहुंच हो, जिन्हें पारंपरिक रूप से नहीं छुआ जाता है? यही आगे आने वाले सालों में करने की कोशिश है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं