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This Article is From Mar 28, 2016

हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों को मिली बेल, विरोध-प्रदर्शनों के बीच कुछ छात्र बोले, 'बस बहुत हुआ'

हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों को मिली बेल, विरोध-प्रदर्शनों के बीच कुछ छात्र बोले, 'बस बहुत हुआ'
हैदराबाद: हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (एचसीयू) में 22 मार्च को हुई हिंसा के मामले में गिरफ्तार 25 छात्रों और दो फैकल्टी सदस्यों को आज जमानत मिल गई। अदालत ने इन छात्रों को 5000 रुपये का बॉन्ड भरने का आदेश दिया है।

दरअसल, शीर्ष अधिकारियों के चैंबर में तोड़फोड़ के आरोप में इन छात्रों को गिरफ्तार किया गया था। इसी विरोध प्रदर्शन के चलते ही कॉलेज के नाराज प्रशासन ने कक्षाओं को रद्द कर दिया था, लेकिन एचसीयू में सामाजिक न्याय संयुक्त कार्य समिति (जेएसी) के ताजा बहिष्कार के बावजूद आज से कक्षाएं शुरू हो गईं, जो 23 मार्च से निलंबित थीं।

गौरतलब है कि जेएसी दलित शोध छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के मुद्दे पर आंदोलन का नेतृत्व कर रही है। एचसीयू के रजिस्ट्रार एम सुधाकर ने कहा, कक्षाएं आज से शुरू हो गई हैं..कुलपति ने भी छात्रों से कक्षाओं में उपस्थित होने की अपील की है।

वेमुला की आत्महत्या से पैदा हुए विवाद के चलते दो महीने की छुट्टी से अप्पा राव के कुलपति के रूप में परिसर लौटने का विरोध कर रहे छात्रों के एक समूह ने कुलपति के आवास में कथित तौर पर तोड़फोड़ की थी और पुलिस पर पथराव किया था।

(पढ़ें : 22 मार्च को HCU में छात्राओं को रेप तक की धमकी दी गई : रिपोर्ट)

परिसर में उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर 23 मार्च को एचसीयू के अधिकारियों ने कक्षाओं को 26 मार्च तक के लिए निलंबित करने की घोषणा की थी। जेएसी ने रविवार को एचसीयू सहित देश में ‘सभी परिसरों में’ कक्षाओं के बहिष्कार का आह्वान किया था, जबकि एचसीयू के कुलपति ने छात्रों से कक्षाओं में उपस्थित होने की अपील की थी।

एक किसान परिवार से आने वाले 24 साल के सी गंगाधर, जिनका परिवार अन्य कई परिवारों की तरह सूखे का मुकाबला कर रहा है, यहां से पीएचडी कर रहे हैं। उन्होंने एनडीटीवी से कहा कि जब तक यूनिवर्सिटी में एक संतुलित माहौल नहीं बनता, तब तक वह अपनी फैलोशिप हासिल नहीं कर सकते, जिसका एक बड़ा हिस्सा वह अपने घर भेजते हैं। उन्होंने बताया कि मेरा परिवार पैसे के बारे में पूछता है, लेकिन मेरी स्कॉलरशिप अभी तक नहीं मिली है। इसी विरोध प्रदर्शन और कक्षाएं न चलने की वजह से मैं अपनी शोध रिपोर्ट नहीं भेज पाया। मैं एक गरीब आदमी हूं और अपनी पीएचडी को जारी रखना चाहता हूं।

24 साल के सूर्य प्रताप सिंह को नौकरी की तलाश है, लेकिन उन्हें चिंता है कि यूनिवर्सिटी में कोई कंपनी प्लेसमेंट के लिए नहीं आ रही। सिंह कहते हैं कि बहुत सारी कंपनियां प्लेसमेंट के लिए आना चाहती थीं, लेकिन अब वह नहीं आ रही हैं। यह सीजन ही प्लेसमेंट का है। किसी को तो हमारे भविष्य के बारे में सोचना पड़ेगा। जिन मासूम छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया है उन्हें मदद की जरूरत है, लेकिन हमें जबरदस्ती कक्षाओं का बहिष्कार करने को क्यों कहा जा रहा है।

मास कम्यूनिकेशन की छात्रा मारिका कहती हैं कि उनका किसी राजनैतिक संगठन से संबंध नहीं है, लेकिन वह इस लड़ाई में सबके साथ हैं। मारिका ने कहा कि मैं न्याय के साथ खड़ी हूं। जब रोहित वेमुला की मौत हुई तब अप्पा राव वीसी थे, लेकिन एक दिन वह यूनिवर्सिटी में ऐसे वापस आ गए जैसे कुछ हुआ नहीं?

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