वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे के साथ दो विरोधाभासी तस्वीरें सामने आई हैं. यह वैसी ही स्थिति है कि क्रिकेट में एक कप्तान की टीम उसके शतक मारने के बावजूद हार गई, वहीं विरोधी टीम के जीतने के बावजूद उसका कप्तान शून्य पर आउट हो गया.
हालांकि हिमाचल प्रदेश का चुनावी मैदान क्रिकेट की पिच तो नहीं है लेकिन कांग्रेस नेता एवं राज्य के निवर्तमान मुख्यमंत्री वीरभद्र की जीत और भाजपा के प्रेम कुमार धूमल की हार की कहानी क्रिकेट के खेल की तरह ही रोचक रही. दोनों नेताओं को शायद महसूस हो गया होगा कि हार-जीत कुछ और नहीं बल्कि एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. जहां राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस की हार के बावजूद उसके नेता एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को जीत मिली, वहीं भाजपा को मिली शानदार जीत के बावजूद उसके दिग्गज नेता एवं मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल को हार का सामना करना पड़ा.
VIDEO : प्रेम कुमार धूमल हारे
दोनों ही ठाकुर नेता हैं, मुख्यमंत्री रह चुके हैं और दोनों एक और बार प्रदेश की कमान संभालने की उम्मीद कर रहे थे. लेकिन मुख्यमंत्री का पद दोनों से ही दूर रहा. रामपुर-बुशहर शाही परिवार से आने वाले और छह बार मुख्यमंत्री रह चुके सिंह को कांग्रेस की करारी हार के बावजूद अरकी सीट से जीत मिली. वहीं किसान परिवार से आने वाले और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके धूमल को भाजपा को मिली शानदार जीत के बावजूद सुजानपुर सीट से कांग्रेस नेता राजिंदर राणा के हाथों करीब 3,500 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा.
धूमल के करीबी सहयोगी रविंदर कुमार रवि और उनके सांसद बेटे अनुराग ठाकुर के ससुर गुलाब सिंह ठाकुर को भी शिकस्त झेलनी पड़ी. राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार दोनों बुजुर्ग नेता युवा पीढ़ी के उदय और बदलते राजनीतिक परिदृश्य का सामना कर रहे हैं. माना जाता है कि सिंह के राहुल गांधी के साथ सहज संबंध नहीं हैं जबकि धूमल को केंद्रीय गृह मंत्री जेपी नड्डा जैसे नए चेहरों से प्रतिस्पर्धा करना पड़ रही है.
(इनपुट भाषा से)
हालांकि हिमाचल प्रदेश का चुनावी मैदान क्रिकेट की पिच तो नहीं है लेकिन कांग्रेस नेता एवं राज्य के निवर्तमान मुख्यमंत्री वीरभद्र की जीत और भाजपा के प्रेम कुमार धूमल की हार की कहानी क्रिकेट के खेल की तरह ही रोचक रही. दोनों नेताओं को शायद महसूस हो गया होगा कि हार-जीत कुछ और नहीं बल्कि एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. जहां राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस की हार के बावजूद उसके नेता एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को जीत मिली, वहीं भाजपा को मिली शानदार जीत के बावजूद उसके दिग्गज नेता एवं मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल को हार का सामना करना पड़ा.
VIDEO : प्रेम कुमार धूमल हारे
दोनों ही ठाकुर नेता हैं, मुख्यमंत्री रह चुके हैं और दोनों एक और बार प्रदेश की कमान संभालने की उम्मीद कर रहे थे. लेकिन मुख्यमंत्री का पद दोनों से ही दूर रहा. रामपुर-बुशहर शाही परिवार से आने वाले और छह बार मुख्यमंत्री रह चुके सिंह को कांग्रेस की करारी हार के बावजूद अरकी सीट से जीत मिली. वहीं किसान परिवार से आने वाले और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके धूमल को भाजपा को मिली शानदार जीत के बावजूद सुजानपुर सीट से कांग्रेस नेता राजिंदर राणा के हाथों करीब 3,500 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा.
धूमल के करीबी सहयोगी रविंदर कुमार रवि और उनके सांसद बेटे अनुराग ठाकुर के ससुर गुलाब सिंह ठाकुर को भी शिकस्त झेलनी पड़ी. राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार दोनों बुजुर्ग नेता युवा पीढ़ी के उदय और बदलते राजनीतिक परिदृश्य का सामना कर रहे हैं. माना जाता है कि सिंह के राहुल गांधी के साथ सहज संबंध नहीं हैं जबकि धूमल को केंद्रीय गृह मंत्री जेपी नड्डा जैसे नए चेहरों से प्रतिस्पर्धा करना पड़ रही है.
(इनपुट भाषा से)
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