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Suicide Prevention Day: आत्महत्या के खतरे से बचने के लिए मददगार हो सकते हैं ये ट्रीटमेंट और थेरेपी ऑप्शन, जानिए

World Suicide Prevention Day: दवा और थेरेपी कई असरदार तरीके हैं, जो लोगों को आत्महत्या के खतरों से बाहर आने में मदद करते हैं और उन्हें जीवन को सकारात्मक नजरिए से देखने की हिम्मत देते हैं.

Suicide Prevention Day: आत्महत्या के खतरे से बचने के लिए मददगार हो सकते हैं ये ट्रीटमेंट और थेरेपी ऑप्शन, जानिए
World Suicide Prevention Day 2025: आत्महत्या के खतरों से बाहर आने में मददगार तरीके.

Treatment and Therapy Options: आत्महत्या एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है. लेकिन, इसे समय रहते समझकर और सही मदद लेकर रोका जा सकता है. कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें जीवन में कठिनाइयां और मानसिक दर्द इतने भारी लगते हैं कि वे इस कदम को उठाने के बारे में सोचने लगते हैं. ऐसे समय में किसी प्रोफेशनल की मदद, थेरेपी और सही ट्रीटमेंट बहुत मददगार साबित हो सकता है. मॉडर्न दवा और थेरेपी के कई असरदार तरीके हैं, जो लोगों को आत्महत्या के खतरों से बाहर आने में मदद करते हैं और उन्हें जीवन को सकारात्मक नजरिए से देखने की हिम्मत देते हैं.

आत्महत्या के विचारों से बचने के लिए ट्रीटमेंट और थेरेपी ऑप्शन्स (Treatment and Therapy Options to Deal With Suicidal Thoughts)

1. कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी (CBT)

CBT (Cognitive Behavioral Therapy) एक तरह की मनोचिकित्सा (Psychotherapy) है जो लोगों को मुश्किल हालात से निपटने के नए तरीके सिखाती है. यह थेरेपी व्यक्ति को अपने विचार समझने और नकारात्मक सोच आने पर सही विकल्प चुनने में मदद करती है. जब कोई आत्महत्या के बारे में सोचता है, तो यह थेरेपी उसे सही डिसीजन लेने में सपोर्ट देती है.

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2. डायलेक्टिकल बिहेवियर थेरेपी (DBT)

DBT (Dialectical Behavior Therapy) एक खास तरह की थेरेपी है, जो किशोरों में सुसाइडल बिहेवियर को कम करने में इफेक्टिव साबित हुई है. वयस्कों में खासकर जिनमें बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर जैसी मानसिक बीमारी होती है, DBT आत्महत्या के प्रयासों को कम करने में मदद करती है. DBT ट्रेंड थेरेपिस्ट किसी व्यक्ति को यह पहचानने में मदद कर सकता है कि उनके विचार और भावनाएं कब हानिकारक या अनहेल्दी हैं और ऐसी स्थिति में कैसे शांत और सुरक्षित तरीके से प्रतिक्रिया दी जा सकती है.

3. ब्रीफ इंटरवेंशन स्ट्रेटजी (Brief Intervention Strategies)

रिसर्च से पता चला है कि एक सेफ्टी प्लान या क्राइसिस रिस्पॉन्स प्लान तैयार करना, जिसमें आत्महत्या के विचार आने पर क्या करना है और कैसे मदद हासिल करनी है. ये बहुत मददगार होता है, जिनके सुसाइड कर लेने का डर है उनसे लगातार संपर्क बनाए रखना और फॉलो-अप करना आत्महत्या के रिस्क को कम कर सकता है.

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4. कोलैबोरेटिव केयर (Collaborative Care)

सहयोगात्मक देखभाल (Collaborative Care) मानसिक स्वास्थ्य देखभाल का एक टीम-बेस्ड तरीका है. इसमें व्यक्ति, उसका प्राइमरी हेल्थ प्रोवाइडर और मेंटल हेल्थ स्पेशलिस्ट मिलकर एक ट्रीटमेंट प्लान करते हैं. यह तरीका डिप्रेशन और आत्महत्या के विचारों को कम करने में काफी इफेक्टिव साबित हुआ है.

आत्महत्या रोकने के लिए सही समय पर मदद लेना बेहद जरूरी है. प्रोफेशनल थेरेपी, सेफ्टी प्लान और कोलैबोरेटिव केयर, ये सभी तरीके न केवल व्यक्ति को आत्महत्या के खतरों से बचाते हैं, बल्कि उन्हें जीवन में नई उम्मीद और आत्मविश्वास भी देते हैं. अगर किसी व्यक्ति में आत्महत्या के संकेत नजर आ रहे हैं, तो उसे अकेला न छोड़ें और तुरंत मदद दिलाएं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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