दिल्ली की सड़कों पर क्यों उतरे हैं रेजिडेंट डॉक्टर, क्या है उनकी मांग? यहां जानें विरोध प्रदर्शन के बारे में सबकुछ

सफदरजंग, डॉ राम मनोहर लोहिया, लेडी हार्डिंग, लोक नायक और गुरु तेग बहादुर जैसे बड़े अस्पतालों में आपात स्थिति के साथ-साथ रूटीन क्लीनिक बमुश्किल काम कर रहे हैं.

दिल्ली की सड़कों पर क्यों उतरे हैं रेजिडेंट डॉक्टर, क्या है उनकी मांग? यहां जानें विरोध प्रदर्शन के बारे में सबकुछ

NEET PG Counselling: डॉक्टर्स ने 27 दिसंबर को दिल्ली की सड़कों पर पैदल मार्च निकाला.

ओमिक्रोन के संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं. वहीं मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों के हजारों रेजिडेंट डॉक्टर्स सभी सेवाओं से हट गए हैं और सड़कों पर उतरकर नीट-पीजी काउंसलिंग जल्द से जल्द आयोजित करने की मांग की है. फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) के नेतृत्व में दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टर पिछले 10 दिनों से NEET-PG 2021 काउंसलिंग में बार-बार देरी का विरोध कर रहे हैं और राष्ट्रीय अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं सहित सभी चिकित्सा सेवाओं का बहिष्कार कर रहे हैं.

आंदोलनकारी डॉक्टरों ने सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में लिस्टेड नीट-पीजी काउंसलिंग के मामले में तेजी नहीं लाने पर सामूहिक इस्तीफे की भी धमकी दी है. डॉक्टर्स ने 27 दिसंबर को दिल्ली की सड़कों पर पैदल मार्च निकाला. सोमवार को जैसे ही विरोध प्रदर्शन जारी रहा, शाम ने नाटकीय मोड़ ले लिया, डॉक्टरों और पुलिस कर्मियों ने हाथापाई में कई लोग चोटिल हो गए. प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर्स को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और उनके खिलाफ एफआईआर भी की गई. इस प्रदर्शन की वजह से आम मरीजों मरीजों को इलाज में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. दिल्ली के कई अस्पतालों में मरीज इलाज के लिए परेशान हैं.

डॉक्टर क्यों विरोध कर रहे हैं? | Why Are Doctors Protesting?

जिन डॉक्टरों ने अपनी एमबीबीएस की डिग्री और इंटर्नशिप पूरी कर ली है, उन्हें मेडिसिन या सर्जरी जैसी किसी विशेष विशेषज्ञता के अध्ययन के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट-पीजी) के लिए उपस्थित होना होगा. यह टेस्ट आमतौर पर जनवरी में होता है, लेकिन पिछले साल नवंबर में परीक्षा आयोजित करने वाले राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड ने इसे कोविड -19 स्थिति को देखते हुए अगली सूचना तक स्थगित कर दिया.

यह अप्रैल में आयोजित किया जाना था, लेकिन इसे सितंबर में आगे बढ़ा दिया गया था जब इसे अंततः आयोजित किया गया था. हालांकि, पीजी छात्रों के लिए परामर्श और प्रवेश प्रक्रिया, जो अपने ट्रेनिंग के साथ-साथ जूनियर रेजिडेंट के रूप में काम करते हैं, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए नए शुरू किए गए कोटा के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों के कारण शुरू नहीं हो सका. डॉक्टर मांग कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तेज करे और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय कोटा की पात्रता के लिए 8 लाख वार्षिक आय के चुने हुए मानदंड पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने में तेजी लाए.

देरी ने अस्पताल सेवाओं को कैसे प्रभावित किया है?

जूनियर रेजिडेंट्स डॉक्टर्स देश भर के बड़े मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में दी जाने वाली सेवाओं की रीढ़ हैं, जिन लोगों ने अपना तीन साल की पीजी ट्रेनिंग पूरी कर ली है, वे उसी या अन्य अस्पतालों में सीनियर रेजिडेंट्स डॉक्टर के रूप में नौकरी कर रहे हैं, आने वाले बैच की कमी के परिणामस्वरूप ऐसे अस्पतालों में एक तिहाई कर्मचारियों की कमी है.

कमी को पूरा करने के लिए मौजूदा डॉक्टर महामारी के कारण 100 से 120 घंटे के बीच काम कर रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि वे थक चुके हैं और इसलिए मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द काउंसलिंग की जाए खासकर जब कोविड -19 की एक और लहर नजदीक आ रही है.

विरोध में कौन शामिल हो रहे हैं?

विरोध लगभग एक महीने पहले शुरू हुआ जब रेजिडेंट डॉक्टर - जूनियर और सीनियर दोनों - पहले ओपीडी सेवाओं से हट गए, फिर वार्ड में मरीजों की नियमित देखभाल, सर्जरी और अंत में आपातकालीन सेवाओं से हट गए.

सर्विसेज का मैनेजमेंट अस्पताल में सीनियर फेकल्टी मेंबर और कसल्टेंट्स द्वारा किया जा रहा है. हालांकि, कर्मचारियों की भारी कमी के कारण अस्पतालों को प्रवेश प्रतिबंधित करना पड़ा है, सर्जरी रद्द करनी पड़ी है और ओपीडी में इलाज कराने वाले लोगों की संख्या कम करनी पड़ी है.

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