छींक आने पर शख्स ने कर दिया नाक और मुंह को बंद, उसके बाद जो हुआ... जानकर रह जाएंगे हैरान

एक्स-रे से पता चला कि उस आदमी को सर्जिकल एम्फिसीमा है. ये एक ऐसी बीमारी है जिसमें हवा स्किन के सबसे गहरे टिश्यू लेयर के पीछे फंस जाती है.

छींक आने पर शख्स ने कर दिया नाक और मुंह को बंद, उसके बाद जो हुआ... जानकर रह जाएंगे हैरान

डॉक्टरों ने कहा कि शख्स को सर्जरी की जरूरत नहीं है.

कई बार ऐसे चोंकाने वाले मामले सामने आते हैं, जिनपर विश्वास कर पाना थोड़ा मुश्किल लगता है. ये हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि क्या ऐसा भी हो सकता है! एक ताजा मामले में छींक को रोकने की कोशिश करने पर एक व्यक्ति की श्वास नली फट गई. हेल्थ प्रोफेशनल्स का कहना है कि यह इस तरह का पहला मामला है. यह घटना तब हुई जब उस शख्स को कार चलाते समय अचानक बुखार आ गया. हालांकि, अपनी उंगली को अपनी नाक के नीचे रखने या छींक को अनियंत्रित होने देने के बजाय, उसने अपनी नाक दबा ली और अपना मुंह बंद कर लिया. लाइव साइंस की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस अजीब छींक कंट्रोल टेक्नीक का बिल्कुल विपरीत प्रभाव पड़ा. दबी हुई छींक के बल के कारण उसकी श्वास नली में दो मिलीमीटर का एक छोटा सा छेद हो गया. उस शख्स का एयरवेस बंद होने के कारण दबाव बढ़ गया, जिससे सामान्य से 20 गुना ज्यादा तेज छींक आई, जिससे बहुत बुरी तरीके से डैमेज किया.

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गर्दन दोनों तरफ सूज गई थी:

इस मामले में, दबाव इतना ज्यादा था कि आदमी की श्वास नली फट गई, जिसकी माप 0.08 गुणा 0.08 इंच थी. इसके अलावा, वह शख्स मेडिकल हेल्प लेने गया क्योंकि उसे बहुत दर्द हो रहा था और उसकी गर्दन दोनों तरफ सूज गई थी. डॉक्टरों ने उसकी जांच की और हल्की सी कर्कश आवाज सुनी. हालांकि, शख्स को सांस लेने, बात करने या निगलने में कोई परेशानी नहीं हुई.

एक्स-रे से पता चला कि शख्स को सर्जिकल एम्फिसीमा है, ये एक ऐसी बीमारी है जिसमें हवा स्किन की सबसे डीप टिश्यू लेयर के पीछे फंस जाती है. इसके बाद, एक सीटी स्कैन से पता चला कि चीरा उसकी गर्दन की तीसरी और चौथी कशेरुका के बीच था. इसके अलावा, हवा उसके फेफड़ों और छाती के बीच के एरिया में इकट्ठा हो गई थी. डॉक्टरों ने कहा कि, "ये दबी हुई नाक और बंद मुंह के साथ छींकने के दौरान श्वासनली में दबाव के तेजी से बढ़ने" के कारण हुई थी.

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फिजिकल एक्टिविटी से दी गई बचने की सलाह:

डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें सर्जरी की जरूरत नहीं है. हालांकि, उन्हें दो दिनों तक अस्पताल में निगरानी में रखा गया. डिस्चार्ज के दौरान, डॉक्टरों ने उन्हें दर्द निवारक और हे फीवर की दवाएं दीं और उन्हें दो हफ्ते तक किसी भी फिजिकल एक्टिविटी से बचने की सलाह दी. पांच हफ्ते बाद सीटी स्कैन से पता चला कि घाव पूरी तरह से ठीक हो गया है.

कई डॉक्टरों ने कहा कि इस मामले को दूसरों के लिए चेतावनी के रूप में देखा जाना चाहिए. लेखकों ने बीएमजे केस रिपोर्ट्स पत्रिका में लिखा है, "हर किसी को सलाह दी जानी चाहिए कि मुंह बंद रखते हुए नाक को बंद करके छींक को न रोकें क्योंकि इससे श्वासनली में छेद हो सकता है."

डॉक्टरों के अनुसार, किसी की श्वास नली में चोट लगना बेहद दुर्लभ है लेकिन असंभव नहीं है. यह आमतौर पर फिजिकल ट्रॉमा के दौरान लगी चोटों की वजह से होता है, जिसमें थायरॉयड ग्रंथि या श्वासनली में एक ट्यूब का होना शामिल है. उन्होंने कहा, आमतौर पर डैमेज को ठीक करने के लिए सर्जरी की जरूरत होती है.



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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)