पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) और पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (PCOD) एक हार्मोनल और मेटाबॉलिक बीमारी है. यह सबसे आम स्वास्थ्य समस्या है जिसका सामना आज दुनिया भर में 12 साल से 45 साल की उम्र की महिलाएं करती हैं. यह तब होता है जब एक महिला का शरीर अपनी मासिक ओव्यूलेशन प्रक्रिया को पूरा करने में सक्षम नहीं होता है. इससे पीड़ित महिलाओं में एक साल में 8 से कम मेंस्ट्रुएशन पीरियड होते है. PCOS और PCOD दोनों में हार्मोनल इनबैलेंस होता है लेकिन एक ज्यादा खतरनाक और एक आम होती है.
PCOD क्या होता है- What Is PCOD?
सामान्य स्थिति में हर माह पीरियड्स के बाद ओवरी में अंडाणुओं का निर्माण होता है और बाहर निकलते हैं. PCOD में ये अंडाणु न तो पूरी तरह से विकसित हो पाते हैं और न ही बाहर निकल पाते हैं. ओवरी की लाइनिंग पर देखे गए सिस्ट वास्तव में अपरिपक्व अंडे होते हैं. शरीर से बाहर निकलने के लिए पूरी तरह से परिपक्व नहीं होने का कारण ये ओवरी की वॉल्स पर फंस जाते हैं. इससे शरीर के हार्मोन के स्तर में असंतुलन हो जाता है और एण्ड्रोजन के लेवल में बढ़ोतरी होती है. ये हार्मोन शरीर के अनचाहे स्थानों पर बाल, वजन बढ़ना, बालों का झड़ना और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनते हैं.
PCOS क्या होता है- What Is PCOS?
PCOS ज्यादा गंभीर स्थिति होती है. PCOS को एक बीमारी माना जाता है. इस स्थिति में, उच्च मात्रा में पुरुष हार्मोन का उत्पादन होता है जिससे ओव्यूलेशन में अनियमितता होती है. इस स्थिति के कारण अंडाशय में बहुत सारे सिस्ट बन जाते हैं. PCOD को उचित आहार और व्यायाम से नियंत्रित और लगभग ठीक किया जा सकता है जबकि PCOS को डॉक्टर से परामर्श करके उपचार की आवश्यकता होती है क्योंकि यह एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है.
जिन महिलाओं को PCOS होता है उन्हें आगे चल कर डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर की आशंका बढ़ जाती है. मोटापा और बांझपन इसके लक्षणों में शामिल है.
PCOS और PCOD से बचाव कैसे करें?
1. वजन कंट्रोल में रखें. इससे कोलेस्ट्रॉल के लेवल और ब्लड शुगर में सुधार होता है.
2. प्रोसेस्ड फूड और ऐसे फूड जिनमें शुगर और सोडियम की मात्रा उच्च हो उनसे बचें.
3. शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं. हफ्ते में 5 दिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें.
4. यदि एक ही स्थान पर देर तक बैठे रहते हैं तो हर 30 मिनट में उठें और टहलें.
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PCOS और PCOD का इलाज
PCOS के ट्रीटमेंट में डॉक्टर हार्मोन को संतुलित करने के लिए दवाएं देते हैं. इसके अलावा जो भी समस्या हो रही है उस हिसाब से इलाज किया जाता है. जैसे किसी को इनफर्टिलिटी की समस्या हो रही है तो उसकी दवाएं दी जाती है. डॉक्टर लाइफस्टाइल में बदलाव की सलाह भी दे सकते हैं. आयुर्वेद में भी इसके कई इलाज बताए जाते हैं. घरेलू उपचार की बात करें तो दालचीनी, अलसी, पुदीना की चाय, मेथी, मुलेठी के सेवन से इस समस्या से राहत मिल सकती है. हालांकि घरेलू उपचार बीमारी से बचाव में मदद कर सकते हैं, लेकिन इन्हें पूरा इलाज नहीं माना जा सकता.
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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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