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This Article is From Apr 01, 2022

Embryoscopy Technique क्या है, आईवीएफ में किस तरह किया जाता है इसका उपयोग, जानें क्या हैं फायदे

Embryoscope Technique: इन विटरो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के फील्ड में नई टेक्नोलॉजी एम्ब्रियोस्कोपी धीरे-धीरे गति पकड़ रही है. मुंबई के लीलावती और डी.वाई. पाटिल हॉस्पिटल संबंधित स्त्री तथा इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ डॉ हृषिकेश पई और डॉ. नंदिता पालशेतकर एम्ब्रियोस्कोपी तकनीक, इसके फायदों और संभावनाओं के बारे में बता रहे हैं.

Embryoscopy Technique क्या है, आईवीएफ में किस तरह किया जाता है इसका उपयोग, जानें क्या हैं फायदे
एम्ब्रियोस्कोप डॉक्टर को भ्रूण की गुणवत्ता जांचने और सबसे बेहतर भ्रूण के चुनाव की सुविधा देता है.

Is Embryo Biopsy Safe: एम्ब्रियोस्कोपी के जरिए एक्सपर्ट इन्क्यूबेटर के भीतर होने वाली संपूर्ण फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया को एम्ब्रियो कल्चर को छेड़े बिना देख सकते हैं. यह एक अत्याधुनिक इन्क्यूबेटर होता है, जो इन विटरो प्रक्रिया के दौरान उचित तथा जरुरी तापमान जैसी स्थितियों को बनाए रखने साथ भ्रूण के विकास प्रक्रिया (एम्ब्रीयॉनिक डेवलपमेंट) का फिल्मांकन भी करता है, क्योंकि इसमें कैमरा लगा होता हैं. इसे ग्रोथ के पांच दिनों तक देखा जा सकता है और गुण-दोष के परिक्षण के बाद सबसे बेहतर अंडे को ही गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप गर्भधारण की समग्र सफलता दर में सुधार होता है. इस तरह से यह एक क्रांतिकारी तकनीक साबित हुई है.

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एम्ब्रियोस्कोप का उपयोग | Use Of Embryoscope

आईवीएफ का सबसे चुनौतीपूर्ण काम गर्भधारण को सुनिश्चित करने लिए सबसे बेहतर भ्रूण का चुनाव है. वर्तमान में एम्ब्रियोलॉजिस्टों को वर्तमान में प्रचलित इन्क्यूबेटरों से भ्रूण को बाहर निकलकर तीन से पांच दिनों के दौरान निर्धारित समयों पर माइक्रो स्कोप के माध्यम से इसकी ग्रोथ की जांच करनी पड़ती है. एम्ब्रियोस्कोप वर्तमान आईवीएफ प्रोटोकॉल की कमियों को दूर करता है और भ्रूण की जांच के लिए एम्ब्रियो कल्चर के साथ छेड़-छाड़ की जरुरत को खत्म कर देता हैं. आईवीएफ की प्रक्रिया के दौरान सामान्यतौर पर किसी महिला के गर्भ में एक बार में दो अथवा तीन भ्रूणों का प्रत्यारोपण किया जाता है, जिसकी वजह से जुड़वा अथवा तीन बच्चे होने की संभावनाएं बनी रहती हैं. एम्ब्रियोस्कोप डॉक्टर को भ्रूण की गुणवत्ता जांचने और सबसे बेहतर भ्रूण के चुनाव की सुविधा देता है, जिसके परिणामस्वरूप आईवीएफ प्रक्रिया की सफलता दर में इजाफा होता है.

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इंफर्टिलिटी से अभिशिप्त मरीजों के लिए एम्ब्रियोस्कोप एक छुपा वरदान है. यह एक टाइम लैप्स सिस्टम है, जो भावी अभिवावकों को भ्रूण बारे में अधिक जानकारी देता है. यह शिशु के भावी जीवन के प्रारंभ के फिल्मों का रिकॉर्ड उपलब्ध करवाता है. यह आईवीएफ इलाज में सुधार लाता है तथा एक स्थिर वातावरण में अबाधित एम्ब्रियो कल्चर (भ्रूण विकास) की सुविधा देता हैं.

इस प्रक्रिया के दौरान एक्सपर्ट्स तथा साफ-सफाई संबंधित कुछ मानकों का पालन करना होता है, जिसके तहत स्टरलाइजेशन और डिस्पोजेबल सिरिंज का उपयोग होता है. तापमान तथा नमी को पहले से ही नियंत्रिक कर देते हैं और हवा को कार्बन तथा एचईपीए फिल्टरों के जरिए फिल्टर किया जाता हैं.

एम्ब्रियोस्कोप के लिए अतिरिक्त लागत का भुगतान करना होता है, क्योंकि इसमें उपयोग में लाए जाने वाले उपकरण काफी महंगे है, और इनके रख-रखाव का खर्चा भी काफी अधिक है. ऐसे मरीज जिनमें आईवीएफ प्रयास बार बार असफल रहे है, उनके लिए यह तकनीक बहोत फायदेमंद रहीं है. वर्तमान की 30 से 40 प्रतिशत की समग्र आईवीएफ सफलता दर में 5 से 10 तक की और बढ़त करने वाले बेहतर उपकरणों के उपयोग देखते हुए यह एक मामुली लागत है.

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एम्ब्रियोस्कोपी आईवीएफ इलाज के लिए विकसित की गई अत्याधुनिक तकनीक है, जो काफी उपयोगी साबित हुई है. यह उपकरण आईवीएफ के प्रक्रिया में भावी भ्रूण संख्या तथा इनकी गुणवत्ता के जांच की विशिष्ट सुविधा देता है. ज्यादातर मरीज मानक आईवीएफ प्रक्रिया के स्थान पर इस तकनीक को वरीयता देते हैं. इस तकनीक की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है और अब यह सामान्यतौर पर स्वीकार्य हो रही है.

(डॉ हृषिकेश पाई, सलाहकार स्त्री रोग विशेषज्ञ और बांझपन विशेषज्ञ, लीलावती अस्पताल, मुंबई, चंडीगढ़ और नई दिल्ली में फोर्टिस अस्पताल)

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