
- अमेरिका के ओहियो में 30 साल से अधिक समय तक फ्रीज किए गए भ्रूण से बच्चे का जन्म हुआ है, जो विश्व रिकॉर्ड है.
- लिंडसे और टिम पियर्स ने 7 साल तक कोशिश के बाद 62 साल की लिंडा आरचर्ड के भ्रूण को गोद लिया था.
- लिंडा आरचर्ड ने 1992 में आईवीएफ से बनाए गए चार भ्रूणों में से तीन को स्टोरेज में रखा था.
दुनिया में सबसे बूढ़े बच्चे ने जन्म लिया है. सबसे बूढ़ा इसलिए क्योंकि जिस भ्रूण के डेवलप होने से उस बच्चे ने जन्म लिया है, वो पिछले 30 साल से भी अधिक समय से फ्रीजर में रखा हुआ था. है न कमाल! अमेरिका के ओहियो के एक कपल के घर 30 साल से अधिक समय से फ्रीज किए (जमे) हुए भ्रूण से एक बच्चे का जन्म हुआ है, जिसने कथित तौर पर एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है. बीबीसी वर्ल्ड की रिपोर्ट के अनुसार 35 साल की लिंडसे और 34 सील के टिम पियर्स ने बीते शनिवार को अपने बेटे थडियस डैनियल पियर्स का दुनिया में स्वागत किया. मिसेज पियर्स ने एमआईटी टेक्नोलॉजी रिव्यू को बताया कि उनके परिवार को लग रहा है कि "यह एक साइंस फिक्शन फिल्म की तरह है".
यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है. यह सबसे लंबे समय तक फ्रीज किया गया ऐसा भ्रूण बन गया है जिससे बच्चे ने सफलतापूर्वक जन्म लिया है. पिछला रिकॉर्ड एक जुड़वां बच्चों की एक जोड़ी की थी जो 1992 में फ्रीज किए हुए भ्रूण से 2022 में पैदा हुए थे.
लिंडा ने 4 भ्रूण को फ्रीज कराया था
बीबीसी की इस रिपोर्ट के अनुसार उस समय, लिंडा आरचर्ड आर्चर्ड ने शुरुआत में चार भ्रूण बनाए. इनमें से एक उनकी बेटी है जो आज 30 साल की हो गई है. इसके अलावा तीन बाकी भ्रूण को उन्होंने स्टोरेज में छोड़ दिया. अपने पति से अलग होने के बावजूद लिंडा ने इन 3 भ्रूणों को खत्म नहीं किया. वो यह भी नहीं चाहती थी कि उन भ्रूण को रिसर्च के लिए दान कर दिया जाए या गुमनाम रूप से किसी अन्य परिवार को दिया जाए. उन्होंने कहा था कि यह महत्वपूर्ण है कि वह बच्चे के जन्म में शामिल (इन्वॉल्व) हो, क्योंकि वे उसकी वयस्क बेटी से संबंधित होंगे.
लिंडा आर्चर्ड ने भ्रूण को स्टोर करने के लिए प्रति वर्ष हजारों डॉलर का भुगतान किया. लेकिन बाद में उन्हें भ्रूण गोद लेने वाली एक ईसाई एजेंसी, नाइटलाइट क्रिश्चियन एडॉप्शन मिल गई. यह एजेंसी स्नोफ्लेक्स के नाम से जाना जाने वाला कार्यक्रम चलाती है. लिंडा आर्चर्ड ने एक ऐसा प्रोग्राम चुना जिसमें डोनर को अपने भ्रूण से पैदा हुए बच्चों के लिए मां-बाप चुनने की अनुमति था. जिसका अर्थ है कि डोनर अपने बच्चे के धार्मिक, नस्लीय और राष्ट्रीयता पहचान को तय कर सकते हैं. लिंडा आर्चर्ड ने एमआईटी टेक्नोलॉजी रिव्यू को बताया कि उनकी प्राथमिकता अमेरिका में रहने वाले एक विवाहित कोकेशियान, ईसाई जोड़े के लिए थी, क्योंकि वह "देश से बाहर नहीं जाना चाहती थीं." अंततः उन्हें अपने भ्रूण के लिए मां-बाप के रूप में पियर्स कपल मिल गया.
मिसेज पियर्स ने कहा कि वह और उनके पति "कोई रिकॉर्ड तोड़ने" नहीं निकले थे, बल्कि सिर्फ "एक बच्चा चाहते थे". वहीं लिंडा आर्चर्ड ने एमआईटी टेक्नोलॉजी रिव्यू को बताया कि वह अभी तक बच्चे से व्यक्तिगत रूप से नहीं मिली हैं, लेकिन पहले से ही अपनी बेटी के साथ समानता देख सकती थीं.
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