क्या है डंपिंग सिंड्रोम, जिससे जूझ रही थीं मशहूर फूड ब्लॉगर नताशा डिड्डी, क्यों पेट के बिना जीवन गुजारते हैं इससे परेशान लोग

What is Dumping Syndrome: नताशा डंपिंग सिंड्रोम (Dumping syndrome) से पीड़ित थीं. यह ऐसी मेडिकल कंडीशन है, जिसमें खाया गया खाना पेट से बहुत जल्दी छोटी आंत में पहुंच जाता है.

क्या है डंपिंग सिंड्रोम, जिससे जूझ रही थीं मशहूर फूड ब्लॉगर नताशा डिड्डी, क्यों पेट के बिना जीवन गुजारते हैं इससे परेशान लोग

जानिए क्या होता है डंपिंग सिंड्रोम

Dumping syndrome: ‘द गटलेस फूडी' के नाम से मशहूर फूड ब्लॉगर नताशा डिड्डी (Natasha Diddee) का रविवार को पुणे में निधन हो गया. शेफ और फूड फूड ब्लॉगर नताशा के सोशल मीडिया बायो के अनुसार 2019 में पेट में ट्यूमर का पता चलने के बाद उनके पूरे पेट को निकाल दिया गया था और तब से वे बगैर पेट के लाइफ गुजार रही थीं. नताशा सेहत से जुड़ी और भी कई गंभीर समस्याओं का सामना कर रही थीं. उन्हें पेट से जुड़ी परेशानियां (Stomach Problem) डायरिया, मतली और खाना खाने के बाद थकान की परेशानी रहती थी. नताशा डंपिंग सिंड्रोम (Dumping syndrome) से पीड़ित थीं. यह ऐसी मेडिकल कंडीशन है, जिसमें खाया गया खाना पेट से बहुत जल्दी छोटी आंत में पहुंच जाता है. जिसके कारण ये सभी लक्षण सामने आते हैं. आइए जानते हैं क्या है डंपिंग सिंड्रोम, इसके लक्षण और बचाव के उपाय.

डंपिंग सिंड्रोम का कारण (Causes of Dumping syndrome)

डंपिंग सिंड्रोम को  रैपिड गैस्ट्रिक एम्टिंग भी कहा जाता है. इस बीमारी में बहुत जल्दी पेट खाली हो जाता है, जिसके कारण बड़ी मात्रा में बगैर ठीक से पचा भोजन छोटी आंत में पहुंच जाता है. पेट या एसोफैगस के आसपास सर्जरी करवाने वाले लोगों में डंपिंग सिंड्रोम होने का खतरा होता है.

डंपिंग सिंड्रोम के लक्षण (Symptoms of Dumping syndrome)

डंपिंग सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में खाना खाने के 10 से 30 मिनट बाद अर्ली डंपिंग सिंड्रोम के लक्षण जैसे डायरिया, ब्लोटिंग, वोमेटिंग, मतली, पेट में दर्द और ऐंठन सामने आते हैं. लेट डंपिंग सिंड्रोम के लक्षण खाना खाने के लगभग दो से तीन घंटे बाद दिखने शुरू हो जाते हैं. इनमें थकान, ब्रेन फॉग, वीकनेस, चेहरा लाल होना, घबराहट और धड़कन तेज होना शामिल है.

डंपिंग सिंड्रोम का उपचार और बचाव (Treatment of Dumping syndrome)

डंपिंग सिंड्रोम से बचाव के लिए खाना खाने के तरीके में बदलाव करना जरूरी है. इसके लिए छोटे मील लेना और हाई शुगर फूड से बचना जरूरी है. अगर लक्षण गंभीर हों तो मेडिकेशन से लाभ हो सकता है. इस मामले में सर्जरी अंतिम उपाय होता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)