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आप क्या सोच रहे हैं ये भी जानता है आपका फोन! कैसे Doomscrolling से लोगों के दिमाग में घुस रहा इंटरनेट?

मेडिकल जगत में इसे ही डूमस्क्रॉलिंग और डूमसर्फिंग कहा जाता है. साल 2020 में कोविड-19 महामारी के दौर में इस शब्द के पीछे का अर्थ सबके समझ में आने लगा था.

आप क्या सोच रहे हैं ये भी जानता है आपका फोन! कैसे Doomscrolling से लोगों के दिमाग में घुस रहा इंटरनेट?
क्या होता है डूम स्क्रॉलिंग या डूम सर्फिंग

Doomscrolling Or Doomsurfing: इन दिनों हेल्थ सेक्टर में डूमस्क्रॉलिंग या डूमसर्फिंग को लेकर काफी चर्चा होने लगी है. इस डूमस्क्रॉलिंग की लत लग जाती है तो यह आपकी सेहत पर काफी बुरा असर करती है. जब आप बुरी खबरों से घिरे होते हैं, तो आप खुद को इसके बारे में हर छोटी-छोटी बात पढ़ने से नहीं रोक पाते. मेडिकल जगत में इसे ही डूमस्क्रॉलिंग और डूमसर्फिंग कहा जाता है. साल 2020 में कोविड-19 महामारी के दौर में इस शब्द के पीछे का अर्थ सबके समझ में आने लगा था.

कैसे लगती है डूमस्क्रॉलिंग या डूमसर्फिंग की लत (How does Doomscrolling or Doomsurfing become addictive)


लगातार नकारात्मक समाचारों और घटनाओं के संपर्क में रहने से लगी डूमस्क्रॉलिंग या डूमसर्फिंग की लत लग सकती है. मानसिक और भावनात्मक स्तर पर संवेदनशील लोगों को डूमस्क्रॉलिंग में शामिल होने की अधिक आशंका हो सकती है. इससे होने वाली सेहत की बर्बादी को कम करने और अपने कीमती समय को बचाने के लिए जितनी जल्दी हो सके कोशिश शुरू कर देनी चाहिए. आइए, जानते हैं कि डूमस्क्रॉलिंग की लत से कैसे बचना चाहिए और अगर इसकी आदत पड़ जाए तो कैसे उससे छुटकारा पाना चाहिए.

इमोशनल स्टेबिलिटी पर बुरा असर, कैसे करें बचाव (Bad effect on emotional stability, how to protect yourself)


डूमस्क्रॉलिंग तब होती है जब कोई शख्स सोशल मीडिया या न्यूज मीडिया आउटलेट्स पर पढ़ने या स्क्रॉल करने के लिए दुखद या निगेटिव कंटेट की तलाश करने लगता है. इस डूमस्क्रॉलिंग के पीछे का विचार अपने आस-पास मौजूद खतरनाक चीजों से खुद को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी सभी जानकारी हासिल करने का कोशिश करना है. इससे इमोशनल स्टेबिलिटी प्रभावित होती है और लोग उदास भी रहने लगते हैं.

ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी वेक्सनर मेडिकल सेंटर के मनोचिकित्सक केन येजर, पीएचडी ने इससे बचने का तरीका बताते हुए कहा कि ऐसी प्रतिक्रियाएं, कम आत्मसम्मान और बढ़ी हुई उदासी का अनुभव करने की प्रवृत्ति सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं. इसलिए किस भी खबर को लेकर बहुत ज्यादा फिक्र नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा तुरंत प्रतिक्रिया देने से बचना चाहिए.

डूम्सक्रॉल करने से मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान (Doomscrolling harms mental health)

पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के पर्लमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन में सेंटर फॉर द ट्रीटमेंट एंड स्टडी ऑफ एंग्जाइटी के क्लिनिक निदेशक डॉक्टर थिया गैलाघेर के मुताबिक ज्यादातर लोगों को तो यह एहसास ही नहीं होता है कि वे डूमस्क्रॉलिंग कर रहे हैं. जब लोग डूम्सक्रॉल करते हैं, तो उनके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है. वे आशंका, चिंता, दुख और क्रोध के साथ ही भविष्य के बारे में अनिश्चितता का शिकार हो सकता है.

डॉक्टर गैलाघेर ने कहा कि सबसे पहले यह पहचानना अहम है कि आप डूम्स कॉलिंग कर रहे हैं. उसके बाद आप कुछ स्टेप्स अपनाकर इस लत से बचने की कोशिश कर सकते हैं.

अपनी भावनाओं पर सोचिए - डूमस्क्रॉल या डूमसर्फ के बाद आप कैसा महसूस करते हैं, इसके बारे में सोचने के लिए कुछ समय निकालें. अगर आप ऐसा करें तो आप तेजी से इस आदत से बाहर निकलना चाहेंगे.

स्क्रीन टाइम सीमित करिए - अपने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर बिताए जाने वाले समय को सीमित करने का प्रयास करें. आप चाहें तो सोशल मीडिया पर सर्फिंग के लिए 15 मिनट अलग रखें. उसके बाद अपना फोन अलग रखकर आराम या कुछ और करें.

अपने काबू वाली चीजों पर काम करिए - अगर आप प्राकृतिक आपदा राहत के बारे में चिंता या उदासी का अनुभव कर रहे हैं, तो फिक्र छोड़कर सचमुच में मदद के लिए एक्टिव हो जाइए. किसी समूह के साथ जुड़कर जरूरतमंदों की सीधी मदद करें. इससे आपको संतोष होगा. जो आपके काबू में है उस काम पर फोकस करिए.

इसके अलावा डूमस्क्रॉलिंग की लत को रोकने के लिए यह सकारात्मक कामों के बारे में प्रशिक्षण हासिल करिए. यानी कोई अच्छा शौक हो तो उसको पूरा करिए.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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