Black Jaundice: ब्लैक जॉन्डिस लिवर में होने वाला एक खतरनाक वायरल इंफेक्शन है. यह हेपेटाइटिस बी और सी के वायरस के कारण होता है. हेपेटाइटिस बी और सी के वायरस के इंफेक्शन (Infection) के कारण बॉडी में बिलीरुबिन (high level of bilirubin) का लेवल बढ़ जाता है. इस स्थिति को जॉन्डिस (Jaundice) कहते हैं. समय पर उपचार नहीं होने पर इंफेक्शन बढ़ने लगता है. इसे काला पीलिया (Black jaundice) कहते हैं. इस बीमारी के गंभीर होने के कारण ही इसे ब्लैक जॉन्डिस (Black Jaundice) का नाम दिया गया है. स्थिति गंभीर होने पर लिवर डैमेज (Liver Damage) होने से पीड़ित की मौत हो सकती है. आइए जानते हैं क्या है ब्लैक जॉन्डिस, इसके लक्षण (symptoms of black jaundice), कारण और बचाव के उपाय (prevention from black jaundice)…
क्या है में ब्लैक जॉन्डिस (What is black jaundice)
लिवर में कार्बन जमा होने के कारण व्यक्ति क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी का शिकार हो जाता है, इससे लिवर के डैमज होने और कैंसर जैसी बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है. इस बीमारी के कारण पीड़ित का रंग काला पड़ने लगता है इसीलिए बोलचाल में इस बीमारी को ब्लैक जॉन्डिस कहा जाता है.
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ब्लैक जॉन्डिस के लक्षण (symptoms of black jaundice)
ब्लैक जॉन्डिस के लक्षण सामान्य जॉन्डिस के जैसे ही होते हैं. इंफेक्शन के कारण तीन माह के अंदर ये लक्षण सामने आ सकते हैं
- बुखार रहना
- हमेशा थकान का अनुभव
- आंखों का रंग पीला पड़ जाना
- यूरिन का रंग पीला होना
- नाखूनों का रंग पीला पड़ना
- स्किन में इचिंग
- भूख नहीं लगना
- ज्वाइंट्स में पेन
- उल्टी और डायरिया की शिकायत
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
ब्लैक जॉन्डिस का कारण (Causes of black jaundice)
आमतौर पर ब्लैक जॉन्डिस का कारण हेपेटाइटिस बी और सी होता है. हेपेटाइटिस बी और सी के वायरस ब्लड के जरिए बॉडी में पहुंचते हैं और लिवर को प्रभावित करते हैं. समय पर उपचार नहीं होने पर लिवर में कार्बन जमा होने के कारण कैंसर से लेकर किडनी डैमेज होने और स्किन से संबंधित परेशानियां होने लगती हैं. कभी कभी उपचार के बावजूद हेपेटाइटिस बी और सी वायरस लिवर में रह जाते हैं जिससे पीड़ित का लिवर सिकुड़ने लगता है और डैमेज हो जाता है.
ब्लैक जॉन्डिस से बचाव के उपाय (prevention from black jaundice)
अगर किसी को ब्लड लेने की जरुरत पड़ती है तो ब्लड लेने से पहले हेपेटाइटिस बी और सी के बैक्टेरियां की जांच जरूर करवानी चाहिए. प्रेगनेंट महिलाओं को हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना चाहिए. एक ही इंजेक्शन का उपयोग एक से ज्यादा लोगों को नहीं करना चाहिए. सुरक्षित सेक्स के उपाय अपनाने चाहिए. हेपेटाइटिस बी और सी से बचाव के लिए भारत में वैक्सीन लगवाने की सुविधा उपलब्ध है. वैक्सीन लगवा कर हेपेटाइटिस बी और सी के संक्रमण से बचा जा सकता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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