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आपकी इस डेली आदत से हो रही है पाचन शक्ति को कमजोर, आयुर्वेद में बताया गया है ये राज

Ayurveda Digestion Secrets: आयुर्वेद कहता है स्वास्थ्य भोजन की मात्रा से नहीं, भोजन के समय से बनता है. भोजन को शरीर में पचने में समय लगता है और उस दौरान दोबारा कुछ खा लिया जाता है, तो पेट की पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है.

आपकी इस डेली आदत से हो रही है पाचन शक्ति को कमजोर, आयुर्वेद में बताया गया है ये राज
Ayurveda Digestion Secrets: आयुर्वेद में भोजन को संस्कार, साधना और बल से जोड़कर देखा गया है.

Ayurveda Digestion Secrets: खाना सिर्फ पेट भरने का साधन ही नहीं बल्कि शरीर को ऊर्जा और बल देने का प्राकृतिक तरीका है. दिन में तीन समय का भोजन शरीर के लिए अमृत समान होता है और बीमारियों से बचाता है, लेकिन आज के समय में ये माना जाने लगा है कि थोड़ा-थोड़ा खाते रहना ही अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है, लेकिन ये धारणा गलत है. आयुर्वेद में भोजन को संस्कार, साधना और बल से जोड़कर देखा गया है. आयुर्वेद कहता है स्वास्थ्य भोजन की मात्रा से नहीं, भोजन के समय से बनता है. भोजन को शरीर में पचने में समय लगता है और उस दौरान दोबारा कुछ खा लिया जाता है, तो पेट की पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है.

पाचन अग्नि तेज होना सबसे जरूरी

पेट की पाचन अग्नि ही निर्धारित करती है कि खाना अच्छे से पचने के बाद वह पाचन रस बनेगा या फिर सड़ जाएगा. अगर पाचन अग्नि तेज है तो खाना पचाने में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी और अगर पाचन अग्नि कमजोर है तो खाना पेट में ही सड़ना शुरू हो जाता है, क्योंकि पेट के एंजाइम खाने को अच्छे से तोड़कर पाचन रस में नहीं बदल पाते हैं. इससे फिर पेट संबंधी परेशानी जैसे गैस बनना, पेट का फूलना और कब्ज की परेशानी होती है.

पेट की पाचन अग्नि कमजोर होने के कारण | Causes of Weak Digestive System

अब सवाल है कि पेट की पाचन अग्नि कमजोर कैसे होती है. आयुर्वेद कहता है कि बार-बार थोड़ा-थोड़ा खाने की आदत पाचन शक्ति को प्रभावित करती है. इसके अलावा, बिना भूखे लगे खाना, देर रात खाना और बहुत ज्यादा तनाव लेने से भी पाचन शक्ति कमजोर होती है.

हर बार भोजन के बाद पाचन शक्ति को शांत होने में समय लगता है और फिर दोबारा पाचन की क्रिया शुरू करने में भी एनर्जी और समय दोनों लगते हैं. ऐसे में अगर आप थोड़ा-थोड़ा करके खाते हैं, तो नया भोजन पुराने भोजन में मिल जाता है और आधा पाचन रस ही खून में मिल जाता, क्योंकि पहले ही भोजन का पाचन अभी तक पूरा नहीं हुआ था.

इससे शरीर में टॉक्सिन्स का जमाव शुरू हो जाता है और धीरे-धीरे शरीर का वजन बढ़ने लगता है, हॉर्मोन असंतुलित हो जाते हैं और एसिडिटी, गैस और स्किन संबंधी परेशानियां होने लगती हैं. आयुर्वेद के हिसाब से दिन में 2 से 3 बार ही भोजन करना चाहिए. जब भूख लगे तभी खाना चाहिए, भोजन को पचने के लिए कम से कम तीन घंटे का समय जरूर दें और पानी खाने के एक घंटे बाद पीएं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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