सुप्रीम कोर्ट ने भारत में पैकेज्ड पीने के पानी के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के कथित पालन न होने को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. अदालत ने इस याचिका को लग्जरी लिटिगेशन करार देते हुए कहा कि देश के बड़े हिस्सों में आज भी लोगों को बुनियादी पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं है. यहां जानिए भारत में पीने के पानी को लेकर क्या मानक हैं और सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले पर क्या कहा.
किस याचिका पर हुई सुनवाई?
मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ, सरंग वामन यादवकर द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर के लिए लागू मानकों में सुधार और अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों के अनुरूप बनाने के निर्देश देने की मांग की गई थी.
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सुनवाई की शुरुआत में CJI की सख्त टिप्पणी:
सुनवाई की शुरुआत में ही CJI ने याचिका के आधार पर सवाल उठाते हुए कहा, "इस देश में पीने का पानी कहां है? लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिल रहा है, बोतलबंद पानी की गुणवत्ता बाद में आएगी."
अदालत ने साफ किया कि भारत की प्राथमिक समस्या अब भी जल की उपलब्धता है, न कि केवल पैकेज्ड पानी के मानक.
याचिकाकर्ता की दलीलें क्या थीं?
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील अनीता शेनॉय ने दलील दी कि, नागरिकों को कम से कम साफ और सुरक्षित पैकेज्ड पीने का पानी मिलने की गारंटी होनी चाहिए, क्योंकि यह सीधे तौर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा मामला है. उन्होंने फूड सेफ्टी और मानक अधिनियम, 2006 की धारा 18 का हवाला देते हुए कहा कि निर्धारित सुरक्षा मानकों का पालन करना एक वैधानिक दायित्व है, जिसे कमजोर नहीं किया जा सकता. यह भी तर्क दिया गया कि भारतीय मानकों में स्वीकार्य सीमाएं WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मानकों की तुलना में कमजोर हैं.
अदालत क्यों सहमत नहीं हुई?
पीठ इन दलीलों से सहमत नहीं दिखी. CJI ने कहा कि यह याचिका एक "शहरी केंद्रित दृष्टिकोण को दर्शाती है. उन्होंने टिप्पणी की, यह एक शहरी सोच है. ग्रामीण इलाकों में लोग भूजल पीते हैं और उन्हें कुछ नहीं होता. अगर याचिका उन गांवों पर केंद्रित होती, जहां आज भी पीने के बुनियादी पानी की सुविधा नहीं है, तो अदालत इसे सराहती."
CJI ने साफ कहा, "बोतल पर क्या लिखा होना चाहिए, क्या नहीं ये सब लग्जरी लिटिगेशन हैं. क्या आपको लगता है कि हम अमेरिका, जापान या यूरोपीय संघ के दिशानिर्देश लागू कर पाएंगे? पहले देश की वास्तविकताओं को समझिए. गरीबों के मुद्दे कोई नहीं उठाता, ये सब अमीर और शहरी सोच की उपज है."
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सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला
अंततः सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी और याचिकाकर्ता को सक्षम प्राधिकरण (Competent Authority) के समक्ष अपनी शिकायत रखने की स्वतंत्रता दी.
सुनवाई के अंत में CJI ने कहा, "जब गांधी भारत आए थे, तो उन्होंने सबसे पहले गरीब इलाकों की यात्रा की थी. याचिकाकर्ता को भी उन इलाकों में जाना चाहिए, जहां आज भी पानी तक मिलना मुश्किल है. तभी उन्हें समझ आएगा कि भारत क्या है."
भारत में पानी बेचने के लिए कौन-सा स्टैंडर्ड जरूरी है?
1. पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर (Bottled Water)
अगर आप बोतलबंद पानी (20 लीटर जार, 1 लीटर बोतल आदि) बेचते हैं, तो उसे BIS Standard IS 14543 का पालन करना अनिवार्य है.
बिना ISI मार्क के बोतलबंद पानी बेचना गैरकानूनी है.
IS 14543 के अनुसार:
- पानी शुद्ध, सुरक्षित और पीने योग्य होना चाहिए.
- हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस और केमिकल्स नहीं होने चाहिए.
- नियमित लैब टेस्ट जरूरी होता है.
2. IS 14543 में पानी की मुख्य सीमाएं
कुछ जरूरी पैरामीटर हैं जैसे:
- pH वैल्यू: 6.5 से 8.5
- TDS (Total Dissolved Solids): अधिकतम 500 mg/L
- आर्सेनिक: 0.01 mg/L से ज़्यादा नहीं
- सीसा (Lead): 0.01 mg/L से ज़्यादा नहीं
- E.coli / Coliform बैक्टीरिया: बिल्कुल नहीं होना चाहिए
मतलब पानी इतना साफ होना चाहिए कि सीधे पीने से बीमारी न हो.
3. मिनरल वॉटर बेचने के लिए अलग नियम
अगर आप मिनरल वाटर बेचते हैं, तो उसके लिए अलग BIS स्टैंडर्ड है: IS 13428 - पैकैज्ड नेचुरल मिरल वाटर, इसमें:
- पानी प्राकृतिक स्रोत (झरना आदि) से आना चाहिए.
- मिनरल्स की मात्रा पहले से तय होती है.
- RO से पूरी तरह ट्रीट किया हुआ पानी मिनरल वॉटर नहीं कहलाता.
4. RO पानी, बोयर का पानी, या टैंकर का पानी?
- RO या बोरवेल का पानी
- सीधे बोतल में भरकर बेचना तब तक मना है, जब तक BIS लाइसेंस न हो.
- टैंकर का पानी पीने के नाम पर बेचना गैरकानूनी है.
- यह केवल नॉन-ड्रिंकिंग यूज़ (नहाना, सफाई) के लिए होता है.
5. कौन-कौन सी मंज़ूरी ज़रूरी होती है?
पैकेज्ड पानी बेचने के लिए चाहिए:
BIS (ISI) लाइसेंस
FSSAI रजिस्ट्रेशन, लाइसेंस
वॉटर टेस्ट रिपोर्ट (NABL लैब से)
प्लांट इंस्पेक्शन और ऑडिट
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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