गोरा होने के चक्कर में किडनी को बीमार बना रहे हैं लोग, स्टडी में खुलासा: भारत में फेयरनेस क्रीम से बढ़ रहे किडनी रोग

15 मरीजों में से 13 ने लक्षण शुरू होने से पहले ही त्वचा को गोरा करने वाली क्रीम का उपयोग करने की बात स्वीकार की. बाकियों में से एक के पास पारंपरिक स्वदेशी दवाओं के उपयोग का इतिहास था जबकि दूसरे के पास कोई पहचानने योग्य ट्रिगर नहीं था.

गोरा होने के चक्कर में किडनी को बीमार बना रहे हैं लोग, स्टडी में खुलासा: भारत में फेयरनेस क्रीम से बढ़ रहे किडनी रोग

फेयरनेस क्रीम के बढ़ते उपयोग से मेम्ब्रेनस नेफ्रोपैथी (एमएन) के मामले बढ़ रहे हैं.

Fairness Cream Toxicity Causes Kidney Disease: एक नए अध्ययन के अनुसार, त्वचा की रंगत निखारने वाली क्रीमों के इस्तेमाल से भारत में किडनी की समस्याएं बढ़ रही हैं. गोरी त्वचा को लेकर समाज में एक अलग तरह का जुनून है. फेयरनेस क्रीम्स का देश में एक आकर्षक बाजार है. हालांकि ये क्रीम्स बड़े पैमाने पर किडनी को नुकसान पहुंचती हैं. मेडिकल जर्नल किडनी इंटरनेशनल में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि फेयरनेस क्रीम के बढ़ते उपयोग से मेम्ब्रेनस नेफ्रोपैथी (एमएन) (Membranous Nephropathy (MN) के मामले बढ़ रहे हैं. यह एक ऐसी स्थिति है जो किडनी फिल्टर को नुकसान पहुंचाती है और प्रोटीन रिसाव का कारण बनती है.

क्या होता है मेम्ब्रेनस नेफ्रोपैथी (एमएन)?

एमएन एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसके परिणामस्वरूप नेफ्रोटिक सिंड्रोम होता है. एक किडनी विकार जिसके कारण शरीर मूत्र में बहुत अधिक प्रोटीन उत्सर्जित करता है. शोधकर्ताओं में से एक केरल के एस्टर एमआईएमएस अस्पताल के डॉ. सजीश शिवदास ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "पारा त्वचा के माध्यम से अवशोषित हो जाता है और गुर्दे के फिल्टर पर कहर बरपाता है, जिससे नेफ्रोटिक सिंड्रोम के मामलों में वृद्धि होती है. भारत के अनियमित बाजारों में व्यापक रूप से उपलब्ध ये क्रीम तुंरत परिणाम देने का वादा करती हैं लेकिन किस कीमत पर? यूजर बताते हैं कि इसका उपयोग बंद करने से त्वचा का रंग पहले से कहीं अधिक काला हो जाता है."

बढ़ रहे हैं एमएन के मामले | Fairness Cream Toxicity Causes Kidney Disease

अध्ययन में जुलाई 2021 और सितंबर 2023 के बीच रिपोर्ट किए गए एमएन के 22 मामलों की जांच की गई. एस्टर एमआईएमएस अस्पताल में इन मरीजों में अक्सर थकान, हल्के सूजन और मूत्र में झाग बढ़ने जैसे लक्षण पाये गये. इसमें केवल तीन रोगियों को गंभीर सूजन थी, लेकिन सभी के मूत्र में प्रोटीन का स्तर बढ़ा हुआ था.

एक मरीज में सेरेब्रल वेन थ्रोम्बोसिस विकसित हुआ. मस्तिष्क में रक्त का थक्का जम गया, लेकिन गुर्दे का कार्य सभी में संरक्षित था. निष्कर्षों से पता चला कि लगभग 68 प्रतिशत या 22 में से 15 तंत्रिका एपिडर्मल वृद्धि कारक-जैसे 1 प्रोटीन (एनईएल-1) के लिए सकारात्मक थे.

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रंग साफ करने वाली क्रीम हो सकती है खतरनाक 

15 मरीजों में से 13 ने लक्षण शुरू होने से पहले ही त्वचा को गोरा करने वाली क्रीम का उपयोग करने की बात स्वीकार की. बाकियों में से एक के पास पारंपरिक स्वदेशी दवाओं के उपयोग का इतिहास था जबकि दूसरे के पास कोई पहचानने योग्य ट्रिगर नहीं था.

किस तरह त्वचा की देखभाल के लिए लगाई जा रही क्रीम हैं नुकसानदायक 

एक शोधकर्ताओं ने पेपर में कहा "ज्यादातर मामले उत्तेजक क्रीमों का उपयोग बंद करने पर हल हो गए. यह एक संभावित सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है. इस खतरे को रोकने के लिए ऐसे उत्पादों के उपयोग के खतरों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता फैलाना और स्वास्थ्य अधिकारियों को सचेत करना जरूरी है."

डॉ. सजीश ने सोशल मीडिया इंफ्लुएंसरों और एक्टरों पर "इन क्रीमों के चैंपियन बनने" और "अरबों डॉलर के उद्योग में उनके उपयोग को कायम रखने" का भी आरोप लगाया.

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उन्होंने कहा कि "यह सिर्फ त्वचा देखभाल/गुर्दे के स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं है, यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है और त्वचा पर लगाया जाने वाला पारा इतना नुकसान पहुंचा सकता है. कल्पना कीजिए अगर इसका सेवन किया जाए तो इसके परिणाम क्या होंगे? इन हानिकारक उत्पादों को विनियमित करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई का समय आ गया है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)