Jyada Vitamin D Khane Ke Nuksan: आजकल सेहत को अच्छा रखने के लिए लोग तरह-तरह के सप्लीमेंट (Supplements) लेने लगे हैं. इनमें से एक है विटामिन डी, जो हड्डियों और मांसपेशियों की मजबूती के लिए बहुत ज़रूरी माना जाता है. लेकिन अक्सर लोग बिना डॉक्टर की सलाह लिए इसे लंबे समय तक और ज़रूरत से ज़्यादा मात्रा में खा लेते हैं. अगर विटामिन डी की गोलियां ज़्यादा मात्रा में ली जाएं, तो यह फ़ायदेमंद नहीं, बल्कि शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है.
इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि शरीर में ज़्यादा विटामिन डी होने पर क्या असर होता है, इसे विटामिन डी टॉक्सिसिटी (Vitamin D toxicity symptoms) क्यों कहते हैं, और बिना डॉक्टर की सलाह पर विटामिन डी लेना क्यों सही नहीं है. हम यह भी देखेंगे कि विटामिन डी ज़्यादा होने पर क्या होता है और विटामिन डी की अधिकता से नुकसान क्या-क्या हैं.
क्यों ज़रूरी है विटामिन डी? (Why is Vitamin D Important?)
विटामिन डी सूरज की रोशनी से मिलता है और कुछ खाने की चीज़ों जैसे अंडे, मछली, दूध आदि में भी पाया जाता है. यह शरीर में कैल्शियम को सोखने में मदद करता है, जिससे हमारी हड्डियाँ मजबूत बनी रहती हैं. इसकी कमी से हड्डियों में दर्द, थकान, और कमज़ोरी हो सकती है.
जब विटामिन डी ज़्यादा हो जाए (Vitamin D Overdose)
हर चीज़ की एक तय मात्रा होती है, और अगर शरीर में विटामिन डी की मात्रा बहुत ज़्यादा हो जाए, तो यह नुकसानदायक हो सकता है. इसे हाइपरविटामिनोसिस डी या विटामिन डी टॉक्सिसिटी कहा जाता है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यह खून में कैल्शियम का स्तर सामान्य से बहुत ज़्यादा बढ़ा देता है, जिसे हाइपरकैल्सीमिया (Hypercalcemia) कहा जाता है. Hypercalcemia side effects शरीर के मुख्य अंगों को प्रभावित करते हैं.
विटामिन डी की अधिकता से होने वाले नुकसान (Side Effects Of Consuming Too Much Vitamin D)
जब शरीर में ज़्यादा विटामिन डी लेने के नुकसान सामने आते हैं, तो ये लक्षण दिखते हैं:
- पाचन संबंधी समस्याएँ: भूख कम लगना, उल्टी या मतली महसूस होना, और कब्ज़.
- मानसिक और तंत्रिका संबंधी लक्षण: लगातार थकान, चक्कर आना, बेचैनी या घबराहट, और कंफ्यूजन.
- किडनी पर गंभीर असर: बार-बार पेशाब आना और डिहाइड्रेशन. किडनी पर विटामिन डी का असर सबसे गंभीर होता है.
सबसे बड़ा खतरा: अंगों को नुकसान
अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे, तो खून में ज़्यादा कैल्शियम शरीर के मुख्य अंगों में जमा होने लगता है. इससे किडनी में किडनी स्टोन बनने का खतरा बढ़ता है, और कुछ गंभीर मामलों में किडनी पूरी तरह खराब भी हो सकती है. इसके अलावा, कैल्शियम नसों (Blood Vessels) पर जम जाता है, जिससे दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है.
क्या 100 ng/mL से ज़्यादा होना खतरनाक है?
हाँ. अगर Vitamin D 100 ng/mL se zyada है, तो इसे उच्च माना जाता है. अगर यह स्तर 150 ng/mL या उससे ऊपर पहुँच जाए, तो हाई विटामिन डी लेवल का इलाज तुरंत शुरू करवाना ज़रूरी होता है, क्योंकि यह सीधे तौर पर टॉक्सिसिटी का कारण बनता है.
बिना डॉक्टर की सलाह पर सप्लीमेंट लेना खतरनाक क्यों?
डॉक्टर हमेशा विटामिन डी की जांच करने के बाद ही खुराक तय करते हैं. ज़्यादातर ओवर-द-काउंटर सप्लीमेंट्स में खुराक बहुत ज़्यादा होती है. बिना डॉक्टर की सलाह पर विटामिन डी लेते रहने से टॉक्सिसिटी हो सकती है.
कैसे होता है पता और क्या है इलाज?
अगर आपको ऊपर दिए गए Vitamin D toxicity symptoms दिख रहे हैं, तो डॉक्टर खून की जांच करवाते हैं. इलाज के लिए सबसे पहले विटामिन डी की गोलियां तुरंत बंद की जाती हैं. इसके बाद, हाई विटामिन डी लेवल का इलाज करने के लिए डॉक्टर ड्रिप (IV Fluids) और कुछ खास दवाएँ देते हैं ताकि शरीर से ज़्यादा कैल्शियम बाहर निकल सके.
विटामिन डी हड्डियों के लिए अमृत है, लेकिन सही मात्रा में. विटामिन डी की अधिकता से नुकसान गंभीर हो सकते हैं. इसलिए, हमेशा डॉक्टर से सलाह लेकर और ब्लड टेस्ट करवाने के बाद ही विटामिन डी सप्लीमेंट लें.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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