
Shubhanshu Shukla Historical Return: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला हाल ही में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिनों का मिशन पूरा करने के बाद सुरक्षित पृथ्वी पर लौट आए हैं. जैसे ही उनका यान समुद्र में उतरा, पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई. प्रधानमंत्री से लेकर आम जनता तक, हर कोई इस गौरवशाली उपलब्धि का जश्न मना रहा है. लेकिन अंतरिक्ष से लौटने के साथ ही मिशन खत्म नहीं होता. असली सफर तो अब शुरू होता है - फिजिकल और मेंटल हेल्थ की पूरी जांच, क्वारंटाइन और रिकवरी की लंबी प्रोसेस. आइए समझते हैं कि अब शुभांशु शुक्ला को किन चरणों से गुजरना होगा, क्यों ये सब जरूरी है और अंतरिक्ष यात्रा का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है.
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अंतरिक्ष से लौटने के बाद की पहली चुनौती: क्वारंटीन
स्पेस से लौटते ही सबसे पहला कदम होता है पृथ्वी के वातावरण में दोबारा ढलना. इसके लिए शुभांशु शुक्ला और उनके साथियों को नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर ले जाया जाएगा. यहां वे करीब 10 दिनों के लिए क्वारंटीन में रहेंगे. यह क्वारंटीन कोरोना जैसे संक्रमणों के कारण नहीं, बल्कि शरीर की निगरानी और धीरे-धीरे सामान्य वातावरण में लौटने की प्रोसेस का हिस्सा है. इस दौरान डॉक्टर्स यह पक्का करते हैं कि उनके शरीर पर स्पेस मिशन का कोई गंभीर प्रभाव न पड़ा हो.
कैसे होते हैं मेडिकल चेकअप?
इस प्रोसेस में बहुत सारी चेकअप्स किए जाते हैं, जिनमें हड्डियों की मजबूती, मांसपेशियों की स्थिति, संतुलन, सजगता, आंखों की रोशनी, इम्यून सिस्टम और मेंटल स्टेट का एग्जामिनेशन शामिल होता है. शरीर के ब्लड सर्कुलेशन, हार्ट बीट और फिजिकल एक्शन को भी ध्यान से देखा जाता है. जांच सिर्फ फिजिकल नहीं होती, बल्कि मानसिक रूप से भी Astronaut की स्थिरता को परखा जाता है. इससे यह समझा जा सकता है कि मिशन के दौरान सीमित जगह, अलग माहौल और वर्कलोड ने उनके मोरल पर कितना असर डाला.
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स्पेस यात्रा का शरीर पर असर
स्पेस में ग्रेविटी बहुत कम होती है, जिसे माइक्रो ग्रेविटी कहा जाता है. इस कारण शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं:
- चेहरे में सूजन (चेहरा फूल जाना)
- टांगों में पतलापन (चिकन लेग सिंड्रोम)
- मांसपेशियों और हड्डियों का कमजोर होना
- ब्लड का ऊपरी शरीर की ओर बहना
- विजन में बदलाव और यहां तक कि हाइट का बढ़ना
वापसी के बाद कैसा होता है पुनर्वास (Rehabilitation)?
पृथ्वी पर लौटते ही शुभांशु शुक्ला को धीरे-धीरे रिकवरी की प्रोसेस से गुजरना होगा. इसमें खास तरह की एक्सरसाइज, फिजियोथेरेपी और डॉक्टरों की लगातार निगरानी होती है. NASA के अनुसार, इस तरह के मिशन के बाद शरीर को सामान्य होने में 45 दिन तक का समय लग सकता है.
रिकवरी का कार्यक्रम कुछ इस तरह होता है:
- पहले हफ्ते: हल्की एक्सरसाइज जैसे साइकलिंग, वॉकिंग, स्ट्रेचिंग और इलिप्टिकल मशीन पर एक्सरसाइज.
- दूसरे हफ्ते: जॉगिंग, पानी में चलना और हाथ-पैर के को-ऑर्डिनेशन से जुड़े गेम्स.
- हर दिन: फिजियोथेरेपिस्ट और डॉक्टर्स की टीम शरीर की रिएक्शन को ट्रैक करती है और जरूरत के अनुसार बदलाव करती है.
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मेंटल हेल्थ का भी रखा जाता है ध्यान
स्पेस मिशन में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक होती है मन का संतुलन बनाए रखना. अंतरिक्ष में महीनों तक रहना, पृथ्वी से दूर होना, दिन-रात के चक्र का ना होना - यह सब एक Astronaut की मेंटल हेल्थ को प्रभावित करता है.
भारत वापसी की तैयारी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शुभांशु शुक्ला 17 अगस्त के आसपास भारत लौट सकते हैं. देशभर में उनके स्वागत की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. उनके परिवार के साथ-साथ भारत के करोड़ों लोग इस पल का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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