
Child Heart Disease Causes: सब सोचते हैं कि हार्ट अटैक एक उम्रदराज बीमारी है, जो 40–50 साल के बाद लोगों में देखने को मिलती है. लेकिन, हाल ही में भारत में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिन्होंने हर किसी को चौंका दिया है. 6 से 14 साल के बच्चों की स्कूल में हार्ट अटैक से अचानक मौत की खबरें बढ़ रही हैं. हालांकि यह अभी भी बहुत रेयर है. एक अनुमान के मुताबिक, हर 1 लाख बच्चों में 1 से 3 को ही हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट होता है. लेकिन, पिछले 7 महीनों में जो घटनाएं घटी हैं, वो चिंता बढ़ाने वाली हैं. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या है इसके पीछे की वजह? जानिए कौन सी सावधानियां बरती जानी चाहिए.
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पिछले 7 महीनों की कुछ चौंकाने वाली घटनाएं
राजस्थान: 9 साल की बच्ची की दिल का दौरा पड़ने से मौत.
उत्तर प्रदेश: 7 साल के बच्चे की हार्ट अटैक से मृत्यु।
अलीगढ़: 14 साल के लड़के और 8 साल की लड़की की एक ही हफ्ते में अलग-अलग हार्ट अटैक से मौत.
कर्नाटक (6 जनवरी): स्कूल में पढ़ रही कक्षा 3 की 8 साल की बच्ची की अचानक मौत.
गुजरात: तीसरी कक्षा की एक छात्रा की स्कूल में ही मौत, वजह हार्ट अटैक बताई गई.
सवाल उठता है - आखिर बच्चों को हार्ट अटैक किस वजह से हो सकता है?
बचपन में हार्ट डिजीज बहुत असामान्य होते हैं. फिर भी इन मामलों में अचानक कार्डिएक अरेस्ट (अचानक दिल की धड़कन बंद होना) हो रहा है. इसके पीछे कुछ संभावित कारण हो सकते हैं:
1. जन्मजात हार्ट डिजीज (Congenital Heart Disease)
कुछ बच्चों को जन्म से ही हार्ट डिफेक्ट प्रोब्लम होती है, जैसे दिल की नसों में कॉन्ट्रेक्शन या छेद. ये कभी-कभी बिना किसी लक्षण के रहते हैं और अचानक कार्डिएक अरेस्ट का कारण बन सकते हैं.
2. हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (Hypertrophic Cardiomyopathy)
यह एक अनुवांशिक स्थिति है जिसमें हार्ट मसल्स असामान्य रूप से मोटी हो जाती हैं. इससे ब्लड फ्लो रुकता है और बिना चेतावनी के दिल की धड़कन बंद हो सकती है. अमेरिका की Mayo Clinic के अनुसार, यह 500 में से 1 व्यक्ति को हो सकता है और किशोरों में अचानक मृत्यु का बड़ा कारण है.
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3. वायरल संक्रमण के बाद सूजन (Myocarditis)
कोरोना के बाद बच्चों में "मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C)" जैसी बीमारियों के कारण दिल की मांसपेशियों में सूजन पाई गई है. इससे दिल पर असर पड़ सकता है और हार्ट फेलियर की नौबत आ सकती है.
4. लाइफस्टाइल और डाइट
अब बच्चे भी जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक, बहुत ज्यादा चीनी और ट्रांस-फैट खाते हैं. फिजिकल एक्टिविटी कम हो गई है. यह बचपन से ही मोटापा, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है.
- AIIMS की रिपोर्ट (2023): भारत के 12 प्रतिशत स्कूल जाने वाले बच्चे मोटापे से ग्रस्त हैं.
- ICMR अध्ययन (2022): 10 प्रतिशत से ज्यादा बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर और खराब कोलेस्ट्रॉल पाया गया.
5. स्ट्रेस और स्क्रीन टाइम
स्कूल का दबाव, मोबाइल की लत, नींद की कमी, ये सब मानसिक और शारीरिक तनाव का कारण बनते हैं. तनाव हार्मोन (Cortisol) का ज्यादा स्राव हार्ट पर असर डालता है.
कुछ जरूरी आंकड़े और अध्ययन
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, हर साल 6 से 18 साल के करीब 2,000 बच्चों की मौत अचानक कार्डिएक अरेस्ट से होती है.
इंडियन हार्ट जर्नल (2021) में प्रकाशित एक स्टडी में पाया गया कि दिल्ली-NCR क्षेत्र में 5 से 15 साल के बच्चों में कार्डिएक डिसऑर्डर के मामले तेजी से बढ़े हैं, खासकर कोविड के बाद.
पुणे की DY Patil मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में बच्चों में अचानक मृत्यु के 7 में से 4 मामलों की वजह हार्ट रिलेटेड थी, जिनमें से 3 में स्कूल में फिजिकल एक्टिविटी के दौरान अटैक हुआ.
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कैसे पहचानें कि बच्चे को दिल की बीमारी का खतरा है? (How To Identify if A Child Is At Heart Disease Risk?)
कुछ संकेत अगर बार-बार दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
- बार-बार चक्कर आना या बेहोश होना
- बहुत जल्दी थक जाना
- सीने में दर्द या तेज धड़कन
- पैरों में सूजन या सांस फूलना
- खेलते वक्त सांस रुक जाना
बच्चों के दिल की सुरक्षा के लिए जरूरी सावधानियां:
1. रोजाना फिजिकल एक्टिविटी
बच्चों को कम से कम 1 घंटे का आउटडोर गेम या फिजिकल एक्टिविटी जरूर करनी चाहिए. मोबाइल, टीवी और टैबलेट का समय 2 घंटे से कम रखें.
2. हेल्दी डाइट
जंक फूड और ज्यादा तली चीजों से दूरी. फाइबर से भरपूर डाइट जैसे फल, सब्जियां, दालें और नट्स. बच्चों को चीनी और सॉफ्ट ड्रिंक्स से दूर रखें.
3. रेगुलर हेल्थ चेकअप
साल में एक बार बच्चों का पूरा हेल्थ चेकअप कराएं जिसमें ECG, BP और शुगर लेवल भी हो. अगर परिवार में किसी को हार्ट प्रॉब्लम है, तो और सतर्क रहें.
4. अच्छी नींद और तनाव से बचाव
बच्चों को कम से कम 8 से 9 घंटे की नींद जरूरी है. स्कूल का दबाव बढ़े तो माता-पिता बात करें, उन्हें सपोर्ट करें.
5. स्कूल में CPR ट्रेनिंग और मेडिकल सपोर्ट
हर स्कूल में CPR (Cardio Pulmonary Resuscitation) की ट्रेनिंग होनी चाहिए. स्पोर्ट्स या PT क्लास में मेडिकल स्टाफ और फर्स्ट एड जरूरी है.
माता-पिता और स्कूलों की भूमिका बहुत अहम
आज की लाइफस्टाइल में बच्चों के लिए सेफ हार्ट रखना सिर्फ डॉक्टर की जिम्मेदारी नहीं है. माता-पिता को भी अपने बच्चों की आदतों पर ध्यान देना होगा, वह क्या खा रहे हैं, कितना सो रहे हैं, कितनी एक्टिविटी कर रहे हैं. साथ ही, स्कूलों को भी बच्चों के लिए तनावमुक्त वातावरण और सही हेल्थ प्रैक्टिस अपनाने होंगे.
बचपन में हार्ट अटैक अभी भी एक दुर्लभ लेकिन गंभीर समस्या है. कोविड के बाद बच्चों की इम्यूनिटी और हार्ट हेल्थ पर असर पड़ा है, वहीं आज की लाइफस्टाइल ने खतरे को और बढ़ा दिया है. हम जितना जल्दी सतर्क होंगे, उतना ही हम बच्चों का भविष्य सुरक्षित रख सकेंगे.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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