
Heart Attacks In Childrens: दिल का दौरा जहां मुख्य रूप से 45 वर्ष से ज्यादा उम्केर पुरुषों और 55 वर्ष से ज्यादा आयु की महिलाओं को आते थे, वहीं अब देखा जा रहा है कि 20, 30 और 40 वर्ष की आयु के लोग भी हार्ट अटैक से अपनी जान गंवा रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि अब छोटे बच्चे भी हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं. हाल ही में उत्तर प्रदेश के बागपत में स्कूल में खेलते समय दिल का दौरा पड़ने से सात साल की बच्ची की दुखद मौत हो गई. ऐसे में आइए जानते हैं कि स्कूल के बच्चों में हार्ट अटैक के मामले क्यों बढ़ रहे हैं. इसके क्या कारण हैं और कैसे बचा जा सकता है.
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भारत के इन हिस्सों में हार्ट अटैक से जान गंवा चुके हैं मासूम बच्चे
अगर आंकड़ा देखा जाए तो स्कूलों में छोटे बच्चों में हार्ट अटैक के केस में बढ़ोतरी हो रही है. उत्तर प्रदेश में 7 साल की बच्ची के अलावा फिरोजाबाद में एक 8 साल के बच्चे की स्कूल में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. दिसंबर 2023 में, जयपुर के एक प्राइवेट स्कूल में प्रार्थना के दौरान एक 14 साल के बच्चे को हार्ट अटैक आया था. अगस्त 2024 में, लखनऊ के अलीगंज में एक 9 साल के बच्चे की जान हार्ट अटैक के कारण चली गई थी.
स्कूल में क्यों बढ़ रहे हैं हार्ट अटैक के मामले?
डॉक्टरों के मुताबिक, बच्चों को हार्ट अटैक आना दुर्लभ है, लेकिन आज जब इस बारे में सुनते हैं तो चौंक जाते हैं. ऐसे में यह बेहद ही चिंताजनक है. उन्होंने कहा, हार्ट अटैक क्यों आया है, इसका स्पष्ट कारण नहीं बताया जा सकता है, लेकिन यह सच है कि पहले की तुलना में आज के बच्चों के लाइफस्टाइल काफी हद तक बदल चुकी है. जहां पहले बच्चे दिनभर खेलकूद करते थे और तरह - तरह की एक्टिविटी में हिस्सा लेते थे, वहीं आज बच्चे घर में मोबाइल, लैपटॉप, टीवी पर घंटों समय बिताते हैं और किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी में शामिल नहीं होते हैं. जिसका सीधा असर उनकी सेहत पर पड़ रहा है.
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स्क्रीन टाइम है खतरनाक
जैसा कि डॉक्टर ने बताया कि बदलती लाइफस्टाइल के कारण बच्चे घंटों तक स्क्रीन टाइम पर समय बिता रहे हैं, जिस कारण फिजिकल एक्टिविटी से उन्होंने दूरी बना ली है. वहीं फिजिकल एक्टिविटी की कमी के कारण बच्चों में मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल जैसी गंभीर समस्याएं देखने को मिल रही हैं. ऐसे में ये सभी कारण हार्ट अटैक की जड़ होते हैं. इसलिए आज के समय में बच्चों की लाइफस्टाइल में सुधार करना काफी जरूरी हो गया है.
स्ट्रेस में रहते हैं बच्चे
माता- पिता और सोसाइटी के कारण बच्चे स्ट्रेस में रहते हैं और उन पर हर फील्ड में अच्छा करने की एक्सपेक्टेशन की जाती है, जिसके वजह से बच्चे टेंशन ले लेते हैं, स्ट्रेस में चले जाते हैं. डॉक्टर ने कहा कि स्ट्रेस बच्चों की सेहत के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है. इसके कारण बच्चे मानसिक रूप से तो परेशान होते ही हैं, साथ ही उनके दिल पर नकारात्मक असर पड़ता है.
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हार्ट अटैक से बच्चों का कैसे करें बचाव
डॉक्टर ने कहा, एक माता- पिता के तौर पर बच्चों को हार्ट अटैक से बचाना चाहते हैं, को एक हेल्दी लाइफस्टाइल को बढ़ावा देने पर ध्यान दें, जिसमें रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी, बैलेंस्ड डाइट और तंबाकू के धुएं के संपर्क से बचना शामिल है. इसी के साथ बच्चों का रेगुलर बॉडी चेकअप कराते रहें और फैमिली हिस्ट्री के बारे में भी पता लगाएं, ताकि संभावित हृदय समस्याओं से बचा जा सके.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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