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Passive Smoking: आपके बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरा है पैसिव स्मोकिंग- विशेषज्ञों की चेतावनी

What Is Passive Smoking: पैसिव स्मोकिंग जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एक खतरा है.

Passive Smoking: आपके बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरा है पैसिव स्मोकिंग- विशेषज्ञों की चेतावनी
Passive Smoking: पैसिव स्मोकिंग बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एक खतरा है.

What Is Passive Smoking: स्मोकिंग सेहत के लिए कितनी खतरनाक है ये बताने की जरूरत नहीं है लेकिन, पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष धूम्रपान), जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एक खतरा है. यह बात शनिवार को विशेषज्ञों ने कही. पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों में सांस संबंधी समस्याएं, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस), कान में संक्रमण, ग्रोथ संबंधी समस्याएं और भविष्य में हार्ट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान से मुक्त रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से बचना आवश्यक है. धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है.

पैसिव स्मोकिंग से कैसे बचें- How to Avoid Passive Smoking:

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के निदेशक और एचओडी, पल्मोनोलॉजी, रवि शेखर झा ने आईएएनएस को बताया, "पैसिव स्मोकिंग से बच्चों में सांस संबंधी समस्याएं, एसआईडीएस, कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग की आशंका रहती है. इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान मुक्त बनाए रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए. धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन करना और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है. उन्होंने कहा, पैसिव स्मोकिंग बच्चों को हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाता है, इससे श्वसन संक्रमण, अस्थमा और एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है. यह फेफड़ों के विकास को भी बाधित कर सकता है, इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. 

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पैसिव स्मोकिंग से होने वाली समस्याएं- Health Caused Of Passive Smoking:

सीके बिरला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया, "पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव तत्काल और लंबे समय तक रहने वाले हैं. अल्पावधि में, इसके संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है. समय के साथ, पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है. उन्होंने यह भी कहा, स्पेशली शिशु और बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें सांस संक्रमण, अस्थमा, कान के संक्रमण और एसआईडीएस का अधिक खतरा रहता है.

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है. घर और कार को धूम्रपान मुक्त रखना, बच्चों के आसपास धूम्रपान से बचना और सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रहना आवश्यक कदम हैं. सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण उपाय हैं.

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कानूनी उपायों को जन जागरूकता अभियानों के साथ जोड़कर, पैसिव स्मोकिंग के हानिकारक परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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