
Health Tracking Toilet: अब आपकी सुबह की टॉयलेट विजिट सिर्फ एक रूटीन नहीं रही. AI तकनीक और सेंसर की मदद से अब टॉयलेट आपकी गट हेल्थ यानी आंतों की सेहत के बारे में बता सकता है. मल के रंग आकार और मात्रा को देखकर यह तकनीक बीमारियों के शुरुआती संकेत दे सकती है. जापान की मशहूर कंपनी Toto ने पहले ही हीटेड सीट्स, म्यूजिक सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक बिडेट्स से टॉयलेट को हाईटेक बना दिया था. अब उन्होंने एक स्मार्ट टॉयलेट बाउल लॉन्च किया है जिसमें सेंसर लगे हैं जो मल के रंग, आकार और वॉल्यूम को स्कैन करते हैं, जैसे बारकोड स्कैनर. जब आप सीट पर बैठते हैं, LED लाइट मल का डेटा सीधे आपके स्मार्टफोन ऐप में पहुंचा देती है. ऐप एक पूप कैलेंडर भी रखता है जो आपकी आदतों और बदलावों को ट्रैक करता है और लाइफस्टाइल टिप्स भी देता है.
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AI ऐप्स से सेहत की निगरानी
अमेरिका की कंपनी Throne ने एक ऐसा टॉयलेट कैमरा बनाया है जो स्मार्टफोन ऐप से जुड़ता है और मल व मूत्र दोनों का विश्लेषण करता है. यह आपके पाचन पैटर्न, हाइड्रेशन और यूरीन फ्लो को रियल टाइम में ट्रैक करता है. खास बात यह है कि यह शेयर्ड बाथरूम के लिए भी डिजाइन किया गया है. हर यूजर का अलग प्रोफाइल बनता है और Bluetooth से पहचान होती है ताकि डेटा सटीक रहे.
लैब टेस्ट और AI का कमाल
हालांकि ये घरेलू सिस्टम पूरी तरह से लैब टेस्ट की जगह नहीं ले सकते, लेकिन AI बेस्ड लैब टेस्ट अब तेजी से विकसित हो रहे हैं. University of Geneva के वैज्ञानिकों ने गट बैक्टीरिया का पहली बार इतना डिटेल्ड कैटलॉग बनाया है जिसमें सबस्पीशीज़ लेवल तक की जानकारी है. इससे कोलोरेक्टल कैंसर जैसी बीमारियों का पता सिर्फ मल के नमूने से लगाया जा सकता है, बिना किसी महंगे और असहज कोलोनोस्कोपी टेस्ट के.
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गट माइक्रोबायोम और कैंसर का संबंध
2022 में South Korea के वैज्ञानिकों ने पाया कि कोलोरेक्टल कैंसर के मरीजों में गट बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ा होता है. एक ही बैक्टीरिया की अलग-अलग प्रजातियां अलग असर डाल सकती हैं. कुछ बीमारी बढ़ाती हैं, कुछ रोकती हैं. इसलिए सबस्पीशीज का विश्लेषण जरूरी है.
Geneva की टीम ने इस डेटा से एक मॉडल बनाया जो 90 प्रतिशत मामलों में कैंसर की पहचान कर सकता है, जो कोलोनोस्कोपी की 94 प्रतिशत सटीकता के करीब है.
भविष्य की झलक: टॉयलेट से हेल्थ रिपोर्ट
AI तकनीक अब इस दिशा में काम कर रही है कि टॉयलेट से ही नॉन-इनवेसिव यानी बिना शरीर में कोई प्रक्रिया किए डायग्नोसिस हो सके. सिर्फ मल के नमूने से कैंसर ही नहीं, कई अन्य बीमारियों का भी पता लगाया जा सकेगा.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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