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कोलेस्ट्रॉल का पता लगाने वाला नया ऑप्टिकल सेंसिंग प्लेटफॉर्म करेगा संभावित बीमारियों की पहचान

कोलेस्ट्रॉल मनुष्यों में एक जरूरी लिपिड है. यह लिवर द्वारा बनता है. यह विटामिन डी, पित्त एसिड और स्टेरॉयड हार्मोन का अग्रदूत है. कोलेस्ट्रॉल एनिमल टिश्यू, ब्लड और नर्व्स सिस्टम के लिए जरूरी है. स्तनधारियों में इसे ब्लड द्वारा ले जाया जाता है.

कोलेस्ट्रॉल का पता लगाने वाला नया ऑप्टिकल सेंसिंग प्लेटफॉर्म करेगा संभावित बीमारियों की पहचान
कोलेस्ट्रॉल मनुष्यों में एक जरूरी लिपिड है.

कोलेस्ट्रॉल का पता लगाने के लिए ऑप्टिकल सेंसिंग प्लेटफॉर्म विकसित किया गया है. यह प्लेटफॉर्म बहुत सेंसिटिव, एनवायरमेंट-फ्रेंडली और किफायती है. इससे एथेरोस्क्लेरोसिस, वेनस थ्रोम्बोसिस, कार्डियोवास्कुलर रोग, हार्ट डिजीज, मायोकार्डियल इन्फार्क्शन, हाई ब्लड प्रेशर और कैंसर जैसी बीमारियों के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने में मदद मिल सकती है. शुरुआती लक्षणों के आधार पर डेडली डिजीज का पता लगाना जरूरी होता है. कभी-कभी असामान्य बायोकैमिकल मार्कर्स ऐसे डिसऑर्डर के साथ हो सकते हैं. ऐसे में व्यक्तिगत स्वास्थ्य की निगरानी के लिए इन बीमारियों से जुड़े बायोमार्करों का विश्वसनीय पॉइंट-ऑफ-केयर (पीओसी) का पता लगाना जरूरी है.

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कोलेस्ट्रॉल की इंपोर्टेंस

कोलेस्ट्रॉल मनुष्यों में एक जरूरी लिपिड है. यह लिवर द्वारा बनता है. यह विटामिन डी, पित्त एसिड और स्टेरॉयड हार्मोन का अग्रदूत है. कोलेस्ट्रॉल एनिमल टिश्यू, ब्लड और नर्व्स सिस्टम के लिए जरूरी है. स्तनधारियों में इसे ब्लड द्वारा ले जाया जाता है.

कोलेस्ट्ऱॉल कितने प्रकार का होता है?

कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार का होता है, एलडीएल (लो डेंसिटी वाला लिपोप्रोटीन) और एचडीएल (हाई डेंसिटी वाला लिपोप्रोटीन). एलडीएल को अक्सर खराब कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है, क्योंकि यह धमनियों की दीवारों में जमा हो सकता है और गंभीर बीमारियों में योगदान दे सकता है. वहीं, एचडीएल को 'अच्छा' कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है.

कोलेस्ट्रॉल को बैलेंस रखना जरूरी

कोलेस्ट्रॉल लेवल में संतुलन बनाए रखना जरूरी है. कोलेस्ट्रॉल का हाई और लो लेवल दोनों ही कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं. इनमें एथेरोस्क्लेरोसिस, वेनस थ्रोम्बोसिस, कार्डियोवास्कुलर रोग, हार्ट डिजीज, मायोकार्डियल इन्फार्क्शन, हाई ब्लड प्रेशर और कैंसर शामिल हैं.

एथेरोस्क्लेरोटिक प्लेक तब बनते हैं जब धमनी की दीवारों पर एक्स्ट्रा कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है, जिससे प्रोपर ब्लड फ्लो में बाधा बन सकता है.

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गुवाहाटी स्थित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक ऑटोनोमस इंस्टिट्यूशन है. इस संस्थान के रिसर्चर्स की एक टीम ने फॉस्फोरिन क्वांटम डॉट का उपयोग करके रेशम फाइबर के आधार पर कोलेस्ट्रॉल का पता लगाने के लिए एक ऑप्टिकल सेंसिंग प्लेटफॉर्म विकसित किया है.

पॉइंट-ऑफ-केयर (पीओसी) डिवाइस

प्रयोगशाला में कोलेस्ट्रॉल का पता लगाने के लिए एक पॉइंट-ऑफ-केयर (पीओसी) डिवाइस विकसित की गई है. यह कोलेस्ट्रॉल की ट्रेस मात्रा, यहां तक कि पसंदीदा सीमा से कम मात्रा में भी पहचान सकता है. यह मानव शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल की नियमित निगरानी के लिए एक कारगर उपकरण हो सकता है.

सेवानिवृत्त प्रोफेसर नीलोत्पल सेन शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आशीष बाला और डीएसटी इंस्पायर की वरिष्ठ अनुसंधान फेलो नसरीन सुल्ताना के नेतृत्व में इस परियोजना में, कोलेस्ट्रॉल का पता लगाने के लिए एक विद्युत संवेदी प्लेटफॉर्म बनाने के लिए रेशम फाइबर नामक पदार्थ को सेल्यूलोज नाइट्रेट झिल्ली में शामिल किया गया.

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संश्लेषित सेंसर कोलेस्ट्रॉल का पता लगाने के लिए बहुत सेंसिटिव होने के साथ-साथ सिलेक्टिव भी थे. इसके अलावा, विद्युत संवेदी प्लेटफॉर्म कोई ई-कचरा पैदा नहीं करता है. यह इस निर्मित डिवाइस का एक प्रमुख लाभ है. दोनों संवेदी प्लेटफॉर्म समसामयिक दुनिया के मीडिया की तरह मानव ब्लड सीरम, प्रायोगिक चूहे के ब्लड सीरम और दूध के प्रति समान रूप से प्रतिक्रिया करते हैं. यह कार्य रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री द्वारा प्रकाशित 'नैनोस्केल' जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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