Myths Related To Organ Donation: बहुत से लोग इस दुनिया से जाने के बाद अपने अंगों को दान करने का प्रण लेते हैं. ऑर्गन डोनेशन एक नेक काम है, लेकिन इससे कई सारे मिथक भी जुड़े हुए हैं. अंगदान से बहुत से लोग घबराते हैं, क्योंकि इससे जुड़े मिथकों पर लोग विश्वास कर लेते हैं. अंगदान से जुड़े मिथकों को लेकर एनडीटीवी ने अमृता अस्पताल, फरीदाबाद के यूरोलॉजी विभाग के सीनियर कंल्सटेंट डॉ अनिल शर्मा से बात की. आइए अंगदान जुड़े मिथकों और उनकी सच्चाई जानते हैं.
अंगदान से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई (Myths and truths related to organ donation)
- डॉ अनिल शर्मा ने बताया कि अंगदान से जुड़ा पहला मिथक है कि अगर हमारी उम्र अधिक है तो हम अंगदान नहीं कर सकते. जबकि ये सच्चाई नहीं है. 80 साल की उम्र तक अगर आपके अंग सही तरीके से काम करते हैं तो आप अंगदान कर सकते हैं.
- दूसरा मिथक है कि छोटे बच्चों का अंगदान नहीं किया जा सकता. लेकिन ऐसा नहीं है छोटे बच्चों का अंगदान भी किया जा सकता है.
- तीसरा मिथक है कि अगर आपको कोई बीमारी है तो आप अपना अंग दान नहीं कर सकते हैं. सच्चाई ये है कि अधिकतर बीमारी में लोग अपना अंगदान कर सकते हैं और इसे दूसरों में प्रत्यारोपित किया जा सकता है. केवल गंभीर इंफेक्शन के मामले में अंगदान नहीं किया जा सकता.
- चौथा मिथक है कि अगर आपने अंगदान का प्रण लिया है तो अस्पताल में आपका इलाज अच्छे से नहीं होता. लेकिन सच्चाई ये नहीं है, अंगदान की टीम अलग होती है और ट्रीटमेंट की अलग, ऐसे में उन्हें पता नहीं होता कि किस मरीज का अंगदान होना है और सभी का एक बराबर इलाज होता है.
- पांचवां मिथ ब्रेन डेड हो गया तो अंगदान करें या न करें इससे जुड़ा है. आप इस स्थिति में अंगदान कर सकते हैं.
- छठां मिथक है कि एचआईवी या हेपेटाइटिस के मरीज अंगदान नहीं कर सकते. लेकिन सच्चाई है कि ऐसे मरीजों का अगर सही तरीके से इलाज हुआ है तो अंगदान कर सकते हैं. ऐसे मरीजों का अंग इसी बीमारी के मरीज को दिया जाता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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